
रचनाकार परिचय:-
अनुपमा चौहान का जन्म मुम्बई के नजदीक तारापुर नामक स्थान पर हुआ, वहीं इनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा हुई। मूलत: कानपुर (उत्तर प्रदेश) से सम्बद्ध अनुपमा ने तदुपरांत M.B.E.S. कॉलेज़ ऑफ़ इंजीनियरिंग (औरंगाबाद विश्वविद्यालय) से B.E. की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे पुणे की USA आधारित एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में वरिष्ठ साफ़्टवेयर परीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। कविता से इनका परिचय बहुत पुराना है, स्कूल से ही कविता का रस लेती आयी हैं। सबसे पहली बार इनकी कविता का प्रकाशन कॉलेज स्तरीय पत्रिका में हुआ था। कविता के अतिरिक्त इनकी दिलचस्पी चित्रकारी और नृत्य में भी है। इन्होंने कई 'शो' को होस्ट भी किया है। एक फैशन शो का आयोजन भी कर चुकी हैं। अपनी चित्रों की एक प्रदर्शनी भी लगा चुकी हैं जहाँ उन्हें उस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ चित्रकार के सम्मान से सम्मानित किया गया।
शब्द
क़्या तुम्हारे आँगन में अपना
पहला कदम रख सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का
क्या तुमसे व्यक्त हो सकता हूँ...
अपनी मर्यादा में कसकर बंधा हुआ हूँ
ऊँच नीच जाति भेद में तुला हुआ हूँ
क्या मैं तुम्हारे पंखों का आत्मसात कर
खुले गगन में उङने का
आभास कर सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
भुलाया हुआ चैतन्य परमार्थी हूँ
तुम्हारी पहचान का सच्चा सार्थी हूँ
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
भुलाया हुआ चैतन्य परमार्थी हूँ
तुम्हारी पहचान का सच्चा सार्थी हूँ
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
10 टिप्पणियाँ
भुलाया हुआ चैतन्य परमार्थी हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारी पहचान का सच्चा सार्थी हूँ
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
प्रभावी कविता।
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
जवाब देंहटाएंतुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
अभिलाषा को अभिव्यक्ति। अच्छी कविता है।
भुलाया हुआ चैतन्य परमार्थी हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारी पहचान का सच्चा सार्थी हूँ
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
bahut bahut sunder shabad ka varan
shabd hoon tumhare labon ka
बहुत अच्च्छी कविता है .. बधाई...
जवाब देंहटाएंबिम्ब बहुत अच्छा चुना है आपनें। "शब्द" को ही अभिव्यक्ति दे दी आपकी रचना के शब्दों नें।
जवाब देंहटाएंक्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
Good Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
बढिया विचार....सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंदार्शनिक विचार समेटे सुन्दर कविता के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंक्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
जवाब देंहटाएंतुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
सुन्दर कविता...
भुलाया हुआ चैतन्य परमार्थी हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारी पहचान का सच्चा सार्थी हूँ
क्या तुममें बस प्रेम का आवाहन कर
तुम्हें पिरो जीवन के धागे में गा सकता हूँ
शब्द हूँ मैं तुम्हारे लबों का...
mn ki sachchi abhilashaaoN
ki shaashvat abhivyakti...
bahut sundar kaavya-rachna..
kalaa aur bhaav-paksh dono
saraahneey . . . .
badhaaee
---MUFLIS---
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