स्वर शिल्पी पर हम अपने पाठकों को विभिन्न साहित्यिक रचनाओं की स्वर-प्रस्तुति सुनवाते रहे हैं। इस प्रक्रिया में वरिष्ठ कवि श्री महेन्द्र भटनागर के गीत व कवितायें पहले भी कई बार इस मंच पर आप सुन चुके हैं। आज एक बार फिर प्रस्तुत है इन्हीं का एक गीत; बोल हैं:
उड़ गये
ज़िन्दगी के बरस रे कई,
राग सूनी
अभावों भरी
ज़िन्दगी के बरस
हाँ, कई उड़ गये!
लौट कर आयगा अब नहीं
वक़्त जो —
धूल में, धूप में
खो गया,
स्याह में सो गया!
शोर में
चीखती ही रही ज़िन्दगी,
हर क़दम पर विवश,
कोशिशों में अधिक विवश!
गा न पाया कभी
एक भी गीत मैं हर्ष का,
एक भी गीत मैं दर्द का!
गूँजता रव रहा
मात्र :
संघर्ष....संघर्ष... संघर्ष!
विश्रान्ति के
पथ सभी मुड़ गये!
ज़िन्दगी के बरस,
रे कई
देखते...देखते उड़ गये!
तो आइये सुनते स्वयं महेन्द्र भटनागर जी का गाया हुआ यह गीत जिसका शीर्षक है "अनुदर्शन": (गीत सुनने के लिये नीचे दिये गये प्लेयर में चटखा लगायें):
महेन्द्र भटनागर जी वरिष्ठ रचनाकार है जिनका हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य पर समान दखल है। सन् 1941 से आरंभ आपकी रचनाशीलता आज भी अनवरत जारी है। आपकी प्रथम प्रकाशित कविता 'हुंकार' है; जो 'विशाल भारत' (कलकत्ता) के मार्च 1944 के अंक में प्रकाशित हुई। आप सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध रहे हैं तथा प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षर माने जाते हैं। समाजार्थिक यथार्थ के अतिरिक्त आपके अन्य प्रमुख काव्य-विषय प्रेम, प्रकृति, व जीवन-दर्शन रहे हैं। आपने छंदबद्ध और मुक्त-छंद दोनों में काव्य-सॄष्टि की है। आपका अधिकांश साहित्य 'महेंद्र भटनागर-समग्र' के छह-खंडों में एवं काव्य-सृष्टि 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' के तीन खंडों में प्रकाशित है। अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
13 टिप्पणियाँ
संघर्ष....संघर्ष... संघर्ष!
जवाब देंहटाएंविश्रान्ति के
पथ सभी मुड़ गये!
ज़िन्दगी के बरस,
रे कई
देखते...देखते उड़ गये!
महेन्द्र जी को पढना और सुनना अच्छा लगता है।
Nice Poem, presented well.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
गा न पाया कभी
जवाब देंहटाएंएक भी गीत मैं हर्ष का,
एक भी गीत मैं दर्द का!
गूँजता रव रहा
मात्र :
संघर्ष....संघर्ष... संघर्ष!
अच्छी कविता।
काव्य पाठ नें आनंदित किया।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र भटनागर जी की कविता में उनके अनुभव प्रकट होते हैं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकविता पाठ ने आनंदित किया
जवाब देंहटाएंअच्छा रहा ...
जवाब देंहटाएंसंघर्ष....संघर्ष... संघर्ष!
जवाब देंहटाएंMahendra ji ko sunna aur unka likha padhna bahut achha laga
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस सुंदर गीत को सुनना बेहद आनंददायक अनुभव रहा। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंजी सच कहा है आपने... देखते देखते ही जिन्दगी यूं गुजर जाती है जैसे मुट्ठी से रेत फ़िसल कर जमीन पर गिर जाये..
जवाब देंहटाएंभावभीनि रचना.. आभार
Wonderful poetry
जवाब देंहटाएंRaksha Bandhan Wishes for sister
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.