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कविता मत सुनाईये [सप्ताह का कार्टून] - अभिषेक तिवारी


रचनाकार परिचय:-

अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....




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12 टिप्पणियाँ

  1. हा हा!! तो फिर सुनाऊँ किसको. :)

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  2. ऐसा कैसे हो सकता है......


    ये कवित्त नहीं रस की धारा,
    जिसे बहाने आयी बाला,

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  3. सुनोगे नहीं तो कैसे जानोगे कि कैसी लिखता हूं।

    अच्‍छा कार्टून । बोलता हुआ।

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  4. सारे कवियों दर्द समा कर भी हँसाता हुआ...
    बधाई अभिषेक जी को

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  5. सुनाये बिना भी अवसाद नहीं जाता :)

    जवाब देंहटाएं
  6. अवसाद बढ जायेगा कविता को श्रोता नहीं मिला तो।

    जवाब देंहटाएं
  7. मुझे सुना दीजिये मगर एक सुननी भी पडेगी :)

    श्रोता बन जाऊंगा, शर्त यह है मगर
    सुना कर अपना पल्ला न छुडा लीजिये

    जवाब देंहटाएं
  8. अभिषेक जी की प्रतिभा को प्रणाम!

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