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हर कोई पर नमक हलाल नहीं [गज़ल] - प्राण शर्मा

माना, इसकी निढाल चाल नहीं
ठीक लेकिन जहाँ का हाल नहीं

रचनाकार परिचय:-


प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं।
आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' - दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।


कौन है दोस्त, है सवाल मेरा
कौन दुश्मन है, ये सवाल नहीं

काश , हमदर्द भी कोई होता
दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
हर कोई पर नमक हलाल नहीं

उससे उम्मीद कोई क्या रक्खे
जिसको अपना कोई ख़याल नहीं

कुछ न कुछ तो कमाल है सब में
माना, हर शख्स पर जमाल नहीं

"प्राण" छलकेगा ये भला क्योंकर
दूध में एक भी उबाल नहीं

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21 टिप्पणियाँ

  1. "काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
    हर कोई पर नमक हलाल नहीं"
    खूबसूरत और गहरी ग़ज़ल .. एक बार फिर .. प्राण साहब ने दिखाया कि उन्हें उस्ताद क्यूँ कहते हैं .. :-)
    छोटे बेहर पे गहरी बात कहना थोडा मुश्किल होता है

    जवाब देंहटाएं
  2. किस शेर को कम कहूँ ,किसे ज्यादा........एक एक शेर पढ़ते गए और मुंह से वाह !! निकलता गया....
    बेहतरीन ग़ज़ल....बहुत ही खूबसूरत...

    जवाब देंहटाएं
  3. काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
    हर कोई पर नमक हलाल नहीं
    waah bahut nayab baat kahi.lajawab gazal

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय अग्रज !
    प्रणाम

    किस पन्क्ति का उल्लेख करुं और किसका नहीं. सभी का वजन इस नासमझ के लिये बहुत है. गज़ल बहुत अच्छी लगी इतना कहने भर से मन का आभार प्रकट होता नहीं लगता . हां एक शब्द अन्तिम पंक्ति में बार बार मेरे जेहन में अपने आप चला आ रहा है

    "प्राण" छलकेगा ये भला क्योंकर
    दूध में एक भी (अब) उबाल नहीं

    कृपया बताने की कृपा करें कि क्या (अब) का प्रयोग गज़ल में हो सकता है मुझे प्रतीत होता है कि अब का प्रयोग मात्तृभूमि के दूध के सन्दर्भ और युवाओं में आज की परिस्थिति में उबाल के निरुपण से एक व्यापक और विस्तृत अर्थ प्रकट करता प्रतीत होता है

    अस्तु ... अनुज से यदि धृ‍‍ष्टता हो तो क्षमा करें.

    आदर

    जवाब देंहटाएं
  5. प्राण जी से पहला अनुरोध कि गज़ल की कक्षाओं में भी लौटिये। आपकी ग़ज़ल की प्रशंसा करने जितनी क्षमता तो नहीं, यही कहूंगी कि आपको पढना अच्छा लगता है।

    जवाब देंहटाएं
  6. काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    बहुत अच्छी ग़ज़ल, बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
    हर कोई पर नमक हलाल नहीं

    संजीदा गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  8. Shri Kaant jee,
    kuchh shabd aese hain jinka
    upyog nahin bhee karo to
    vakya mein koee antar nahin padta
    hai.jaese --jabse vah gayaa hai,
    vaapas nahin aayaa hai.Is vakya
    mein "Tab se " undestood hai.Ab
    bhee aesaa hee shabd hai."Vah ghar
    nahin aayegaa se arth hee yahee hai
    ki vah ab ghar nahin aayegaa.

    जवाब देंहटाएं
  9. "काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं


    "प्राण" छलकेगा ये भला क्योंकर
    दूध में एक भी उबाल नहीं


    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....

    आभार...

    जवाब देंहटाएं
  10. ’कौन है दोस्त, है सवाल मेरा’

    प्राण जी बहुत खूब. गजल सम्राट हैं. लगता है कि गजल के लिए ’वातायन’ आपको स्वीकार्य नहीं.

    साहित्य शिल्पी और आपको - दोनों को ही बधाई.

    चन्देल

    जवाब देंहटाएं
  11. ......सहज, सुन्दर और त्वरित उत्तर के लिये आभार

    सादर् शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर गज़ल प्राण साब...ये शेर "काश , हमदर्द भी कोई होता/दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं" क्या बात है और मक्‍ता तो बस जान लेवा है...
    शुक्रिया साहित्य-शिल्पी का

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय प्राण शर्मा जी की गज़ल अपने उँचे प्रतिमानों के लिये जानी जाती है। आपकी पंक्तियों में कथ्य और शिल्प का अध्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है।

    कौन है दोस्त, है सवाल मेरा
    कौन दुश्मन है, ये सवाल नहीं

    काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    उससे उम्मीद कोई क्या रक्खे
    जिसको अपना कोई ख़याल नहीं

    जवाब देंहटाएं
  14. उससे उम्मीद कोई क्या रक्खे
    जिसको अपना कोई ख़याल नहीं
    अच्छी ग़ज़ल है।

    जवाब देंहटाएं
  15. आपको पढ़ना हमेशा पूर्णानंद मे डूब जाना है।
    कुछ कहने लिखने के लिये प्रेरणानुभूति
    है।
    आप कहते रहें, मैं सुनता रहूं। कह भी सका तो बड़भागी।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  16. हर शेर एक से बढ कर एक है..

    काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    कौन है दोस्त, है सवाल मेरा
    कौन दुश्मन है, ये सवाल नहीं

    प्राण" छलकेगा ये भला क्योंकर
    दूध में एक भी उबाल नहीं

    जवाब देंहटाएं
  17. सभी शेर अच्छे हैं।

    उससे उम्मीद कोई क्या रक्खे
    जिसको अपना कोई ख़याल नहीं

    जवाब देंहटाएं
  18. कौन है दोस्त, है सवाल मेरा
    कौन दुश्मन है, ये सवाल नहीं

    wah Guru ji ye baat sach kahi

    काश , हमदर्द भी कोई होता
    दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

    hmm bahut ghara khyaal

    यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
    हर कोई पर नमक हलाल नहीं

    wah wah kamaal ki baat


    Aapki gazal tak der tak pahunchi kashma chahti hoon aajkal net par aana bahut kam ho gaya hai

    aapko padhna bhaut achha laga

    जवाब देंहटाएं
  19. भले ही आप बेमिसाल नहीं।

    मगर है आपकी मिसाल नहीं॥

    प्राण की गजल सलिल ने पढ़ ली।

    बाकी न पढने का मलाल नहीं॥

    जवाब देंहटाएं

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