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कामरेड की शादी और प्यार [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक

कामरेड नाराज थे, नान-कामरेड साथी को बोल दिया-अब हनीमून खत्म।

नान-कामरेड साथी का जवाब था-हू केयर्स, गेट लौस्ट।

कामरेड को इस जवाब की उम्मीद ना थी। कामरेड ने फिर वही किया, जो वह 77797979797 बार कर चुके थे। कामरेड बोले-सो व्हाट, हनीमून खत्म होने से शादी तो खत्म नहीं होती। हम साथ रह सकते हैं। चलो चार-पांच महीने साथ रह सकते हैं। पर मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं। हनीमून खत्म।

फिर कामरेड ने एक दिन फील किया कि पीछे से उन्हे एक जोरदार लात पड़ी है। शायद नान कामरेड साथी ने दी है, जमा कर। कामरेड नाराज हुए और बोले-मैं नाराज हूं। हनीमून खत्म।

नान कामरेड साथी ने कहा-अबे चिरकुट, हनीमून खत्म होने की बात तू सुबह से सातवीं बार बोल रहा है। कितनी बार हनीमून खत्म करेगा।

रचनाकार परिचय:-

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं तथा अंतर्जाल के साथ-साथ पिछले कई वर्षों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से स्तंभ लिख रहे हैं।


कामरेड ने कुछ कैलकुलेट करते हुए कहा-नहीं इस बार पक्का।

नान-कामरेड साथी ने मौज लेते हुए कहा-कामरेड हनीमून आप खत्म करने की बात कैसे कर सकते हो। आप तो बाहर से सपोर्ट देते रहे हो। कोई बाहर से ही हनीमून के लेवल पर कैसे पहुंच सकता है। अगर आप हनीमून की बात कर रहे हो, तो कबूल करो कि अंदर ही थे, और हनीमूनिंग कर रहे थे। पब्लिक को बताते रहे कि क्रांति कर रहे हैं, पर सच में हनीमून कर रहे थे।

कामरेड परेशान हो गये। पब्लिक जवाब मांगने लगी-कामरेड जब तुम बाहर थे, तो हनीमून कैसे कर रहे थे। इसका मतलब तुम बाहर दिखते थे, पर अंदर थे।

कामरेड परेशान हैं-हनीमून की बात मानें, तो अंदर साबित हो जायेंगे।

हनीमून की बात ना मानें, तो कैरेक्टर पर सवाल उठेंगे कि बाहर से कोई हनीमूनिंग कैसे कर सकता है।

कामरेड परेशान हैं, कैरेक्टर पर सवाल उठ रहे हैं।

आप बतायें कि कामरेड क्या करें।

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5 टिप्पणियाँ

  1. "कामरेड परेशान हैं-हनीमून की बात मानें, तो अंदर साबित हो जायेंगे।

    हनीमून की बात ना मानें, तो कैरेक्टर पर सवाल उठेंगे कि बाहर से कोई हनीमूनिंग कैसे कर सकता है।

    कामरेड परेशान हैं, कैरेक्टर पर सवाल उठ रहे हैं।

    आप बतायें कि कामरेड क्या करें।"

    आलोक जी !
    .... अब कामरेडों कॊ कुछ भी नहीं करना है जो कुछ करना है वह जनता को ही करना है. हमें और आपको बस मई तक बच्चे के जन्म की प्रतीक्षा ही करनी है.

    अस्तु मधुर कटाक्ष .. शुभ वोटिंग नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  2. अपनी पालटिक्‍स में तो भइया बाहर ही बाहर से न केवल हनीमूनिंग हो रही है बल्कि गैर जिम्‍मेवाराना नतीजों की नाजायज और बेशरम औलादें भी ठेली जा रही है हमारे सिर पर;
    खूब कही

    सूरज

    जवाब देंहटाएं
  3. कटाक्ष तो यकीन बहुत बढिया है लेकिन आलोक जी ये बात समझ नहीं आई कि आप इन लाल झण्डे वाली भंईसन के आगे बीन काहे बजावत हो?...

    जवाब देंहटाएं
  4. ईलेक्शन तक ही तलाक है फिर से गटबंधन होगा फिर से..

    जवाब देंहटाएं
  5. अग्रज सूरज प्रकश जी की बात सही है इन नाजायज गठबन्धनों की नाजायज और बेशरम औलादों को जनता को ही बर्दाश्त करना पड़्ता है.

    अभी सब कुछ जनता के हाथ में है लेकिन वह कहीं फ़िर से दारू दावत बाजीगर और जोकरों के चक्कर में पड़ कर समय को खॊ न दे.

    मित्र राजीव तनेजा जी आलोक जी वा्ली बीन अब कुछ समय तक हम सभी को मिलकर बजानी चाहिये. इससे लाल झण्डे पर कुछ असर हो ना हो किन्तु हमारी जनता पर संभवत: आंशिक ही सही कुछ प्रभाव पडे़.

    इस व्यंग्य पर प्राप्त टिप्प्णियों की संख्या में भी कुछ न कुछ देश और समाज की मनोदशा की झलक है.

    अनन्या जी का आकलन सही है. मैं भी सहमत हूं कि चुनाव बाद विखण्डित जनादेश के गर्म चूल्हे पर अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिये लाल और लालू सहित सभी इकट्ठे होंगे.

    एक बार पुन: शुभ वोटिंग नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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