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अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
10 टिप्पणियाँ
60 साल बाद :
जवाब देंहटाएंअब तो चाहिए
कंप्यूटर, इंटरनेट
और मोबाइल।
KYA KHOOB CARTOON HAI!ROTI,KAPDA
जवाब देंहटाएंAUR MAKAAN:TERA EMOTIONAL ATYACHAAR
VYANGYA KATHA LIKHNE WAALON KE LIYE
ACHCHHAA SHEERSHAK HAI.BADHAAEE.
जाने और कब तक यह इमोशनल अत्याचार चलता रहेगा...
जवाब देंहटाएंरोटी कपडा और मकान से आगे भी बहुत कुछ चाहिए हर इंसान को
हा हा हा बहुत सटीक।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक।
जवाब देंहटाएंवाह अभिषेक जी...सही है।
जवाब देंहटाएंजब तक मांगोंगे कुछ नहीं मिलेगा। यह राजनेता भी एक दिन ऐसे ही भिखारी थे, इन्होंने किसी से मांगा नहीं बस खड़े हो गए तख्ती लेकर कि हम नेता हैं। बस शीघ्र ही बदन मुटियाने लगा और कपड़े उजले होते गए और मन में कलास भरती गयी।
जवाब देंहटाएंईलेक्शन स्पेशल है।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सार्थक
जवाब देंहटाएंसही दिखाया है
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.