
थे चले देने गवाही कुछ ख़ुदाओं के ख़िलाफ़
जो हमेशा हैं दुआओं प्रार्थनाओं के ख़िलाफ़
आ रही है बद्दुआ फिर उन खुदाओं के ख़िलाफ़
मौसमों ने पर कुतरने का किया है इन्तज़ाम
कब परिंदे उड़ सके कुछ भावनाओं के ख़िलाफ़
आदमी व्यवहार में आदिम ही दिखता है अभी
यूँ तो है दुनिया सभी आदिम-प्रथाओं के ख़िलाफ़
फूल, ख़ुश्बू, घर, इबादत, मुस्कुराहट, तितलियाँ
ये सभी सपने रहे कुछ कल्पनाओं के ख़िलाफ़
रात-दिन जिनकी ज़बाँ पर रोटियाँ बैठी रहीं
बोल ही पाए कहाँ वो यातनाओं के ख़िलाफ़
सींखचे ये, ज़ह्र ये, संत्रास, अंगारे, सलीब
कब नहीं रहते हमारी आस्थाओं के ख़िलाफ़
भूख, बेकारी, ग़रीबी, खौफ़, मज़हब का जुनूँ
माँगिए दिल से दुआ इन बद्दुआओं के ख़िलाफ़
कारख़ानों ,होटलों सड़कों घरों में था ग़ुलाम
हो गया बचपन गवाही योजनाओं के ख़िलाफ़
तजरिबे कर के ही लाती है दलीलें भी तमाम
हर नई पीढ़ी पुरानी मान्यताओं के ख़िलाफ़
अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
लिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
रचनाकार परिचय:-
द्विजेन्द्र ‘द्विज’ का जन्म 10 अक्तूबर,1962 को हुआ। आपकी शिक्षा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सेन्टर फ़ार पोस्ट्ग्रेजुएट स्टडीज़, धर्मशाला से हुई है तथा आप अँग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं।
आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : जन-गण-मन (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशन वर्ष-२००३। इस संग्रह की १५० से अधिक समीक्षाएँ राष्ट्र स्तरीय पत्रिकाओं एवं समाचार—पत्रों में प्रकाशित हुई है।
आपनें डा. सुशील कुमार फुल्ल द्वारा संपादित पात्रिका रचना के ग़ज़ल अंक का अतिथि सम्पादन भी किया है।
आपकी ग़ज़में अनेल महत्वपूर्ण संकलन का भी हिस्सा हैं जिनमें दीक्षित दनकौरी के सम्पादन में ‘ग़ज़ल …दुष्यन्त के बाद’ (वाणी प्रकाशन), डा.प्रेम भारद्वाज के संपादन में सीराँ (नैशनल बुक ट्रस्ट), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की पत्रिका साहित्य भारती के नागरी ग़ज़ल अंक, रमेश नील कमल के सम्पादन में दर्द अभी तक हमसाए हैं, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी द्वारा संपादित चांद सितारे, नासिर यूसुफ़ज़ई द्वारा संपादित कुछ पत्ते पीले कुछ हरे इत्यादि प्रमुख हैं। आप की ग़ज़लें देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं। आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं।
आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : जन-गण-मन (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशन वर्ष-२००३। इस संग्रह की १५० से अधिक समीक्षाएँ राष्ट्र स्तरीय पत्रिकाओं एवं समाचार—पत्रों में प्रकाशित हुई है।
आपनें डा. सुशील कुमार फुल्ल द्वारा संपादित पात्रिका रचना के ग़ज़ल अंक का अतिथि सम्पादन भी किया है।
आपकी ग़ज़में अनेल महत्वपूर्ण संकलन का भी हिस्सा हैं जिनमें दीक्षित दनकौरी के सम्पादन में ‘ग़ज़ल …दुष्यन्त के बाद’ (वाणी प्रकाशन), डा.प्रेम भारद्वाज के संपादन में सीराँ (नैशनल बुक ट्रस्ट), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की पत्रिका साहित्य भारती के नागरी ग़ज़ल अंक, रमेश नील कमल के सम्पादन में दर्द अभी तक हमसाए हैं, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी द्वारा संपादित चांद सितारे, नासिर यूसुफ़ज़ई द्वारा संपादित कुछ पत्ते पीले कुछ हरे इत्यादि प्रमुख हैं। आप की ग़ज़लें देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं। आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं।
20 टिप्पणियाँ
लौट कर आए हो अपनी मान्यताओं के ख़िलाफ़
जवाब देंहटाएंथे चले देने गवाही कुछ ख़ुदाओं के ख़िलाफ़
जो हमेशा हैं दुआओं प्रार्थनाओं के ख़िलाफ़
आ रही है बद्दुआ फिर उन खुदाओं के ख़िलाफ़
मौसमों ने पर कुतरने का किया है इन्तज़ाम
कब परिंदे उड़ सके कुछ भावनाओं के ख़िलाफ़
आदमी व्यवहार में आदिम ही दिखता है अभी
यूँ तो है दुनिया सभी आदिम-प्रथाओं के ख़िलाफ़
charoN sher achchhe haiN.
द्विज जी को मेरा प्रणाम.
जवाब देंहटाएंसादर
ख्याल
dwij ji ko mera saadar pranaam,
जवाब देंहटाएंarsh
अच्छी रचना है |
जवाब देंहटाएंहिन्दी की ग़ज़ल ! बढिया है |
अवनीश
लौट कर आए हो अपनी मान्यताओं के ख़िलाफ़
जवाब देंहटाएंथे चले देने गवाही कुछ ख़ुदाओं के ख़िलाफ़
फूल, ख़ुश्बू, घर, इबादत, मुस्कुराहट, तितलियाँ
ये सभी सपने रहे कुछ कल्पनाओं के ख़िलाफ़
अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
लिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
बहुत अच्छी ग़ज़ल है द्विज जी।
Nice Gazal.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
जवाब देंहटाएंलिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
बहुत खूब।
बहुत अच्छी ग़ज़ल है द्विजेन्द्र जी, बधाई।
जवाब देंहटाएंभूख, बेकारी, ग़रीबी, खौफ़, मज़हब का जुनूँ
जवाब देंहटाएंमाँगिए दिल से दुआ इन बद्दुआओं के ख़िलाफ़
अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
लिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
सशक्त रचना है। द्विज जी आपको प्रणाम।
वाह! वाह!!
जवाब देंहटाएंअब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
जवाब देंहटाएंलिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
द्विज जी उपर वाली पंक्ति में आपने मेरे मन की बात कह दी है। पूरी ग़ज़ल ही बेहतरीन है।
मौसमों ने पर कुतरने का किया है इन्तज़ाम
जवाब देंहटाएंकब परिंदे उड़ सके कुछ भावनाओं के ख़िलाफ़
आदमी व्यवहार में आदिम ही दिखता है अभी
यूँ तो है दुनिया सभी आदिम-प्रथाओं के ख़िलाफ़
फूल, ख़ुश्बू, घर, इबादत, मुस्कुराहट, तितलियाँ
ये सभी सपने रहे कुछ कल्पनाओं के ख़िलाफ़
वाह वाह बहुत सुन्दर
कमाल की ग़ज़ल है
जवाब देंहटाएं।
कारख़ानों ,होटलों सड़कों घरों में था ग़ुलाम
जवाब देंहटाएंहो गया बचपन गवाही योजनाओं के ख़िलाफ़
-बहुत उम्दा रचना!! वाह वाह!!
द्विज जी!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल है....
मौसमों ने पर कुतरने का किया है इन्तज़ाम
कब परिंदे उड़ सके कुछ भावनाओं के ख़िलाफ़
फूल, ख़ुश्बू, घर, इबादत, मुस्कुराहट, तितलियाँ
ये सभी सपने रहे कुछ कल्पनाओं के ख़िलाफ़
रात-दिन जिनकी ज़बाँ पर रोटियाँ बैठी रहीं
बोल ही पाए कहाँ वो यातनाओं के ख़िलाफ़
अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें
लिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़
वाह ....
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल है। बड़े ही ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है। पढ़ते ही महसूस हो जाता है कि यह ग़ज़ल सिर्फ़ मनोरंजन या वाह वाह के ही लिए नहीं है बल्कि इसमें संदेश है, कुछ सोचने को मिलता है। उर्दू शायरी में दो शब्द हैं: तग़ज़्ज़ुल और तख़्ख़युल।
जवाब देंहटाएंजिनको इनकी तलाश हो तो यह ग़ज़ल एक अच्छी मिसाल है। हर शे'र लजवाब है। आपकी ग़ज़लों का साहित्य शिल्पी पर इंतज़ार रहेगा।
अब द्विज जी गज़लों को इतना और इतनी बार पढ़ चुका हूँ कि एकदम अपनी सी लगने लगती है कई बार तो.....
जवाब देंहटाएंउनकी गज़लों पर कुछ कहना तारीफ़ में मुझ अदने से सूरज को दीप दिखाने जैसी हिमाकत होगी
वैसे इस शेर का तो जमाना कायल है "अब ग़ज़ल, कविता कहानी गीत क्या देंगे हमें / लिख रही हैं 'द्विज'! विधाएँ ही विधाओं के ख़िलाफ़ "
द्विज साब को नमन !
हर शेर....अति उत्तम
जवाब देंहटाएंपूरी गज़ल....वाह!...क्या कहने
यों तो पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है पर मक़ता गजब ढा रहा है द्विज जी.... वाह..
जवाब देंहटाएंaadarniya dwij ji
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah , behatreen gazal...
भूख, बेकारी, ग़रीबी, खौफ़, मज़हब का जुनूँ
माँगिए दिल से दुआ इन बद्दुआओं के ख़िलाफ़
kya khoob likha hai ji
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.