
डॉ॰ कुँअर बेचैन का जन्म ग्राम उमरी, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में 01 जुलाई 1942 को हुआ। आपका मूल नाम कुँअर बहादुर सक्सेना है। आप के प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं - गीत-संग्रह: पिन बहुत सारे (1972), भीतर साँकलः बाहर साँकल (1978), उर्वशी हो तुम, (1987), झुलसो मत मोरपंख (1990), एक दीप चौमुखी (1997), नदी पसीने की (2005), दिन दिवंगत हुए (2005), ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने काँच के (1983), महावर इंतज़ारों का (1983), रस्सियाँ पानी की (1987), पत्थर की बाँसुरी (1990), दीवारों पर दस्तक (1991), नाव बनता हुआ काग़ज़ (1991), आग पर कंदील (1993), आँधियों में पेड़ (1997), आठ सुरों की बाँसुरी (1997), आँगन की अलगनी (1997), तो सुबह हो (2000), कोई आवाज़ देता है (2005);कविता-संग्रह: नदी तुम रुक क्यों गई (1997), शब्दः एक लालटेन (1997); पाँचाली (महाकाव्य)
कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई
आप कहिएगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई
'पास-बुक' पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है
प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई
ठोकरें दे के तुझे उसने तो समझाया बहुत
एक ठोकर का भी क्या तुझपे असर है कोई
रात-दिन अपने इशारों पे नचाता है मुझे
मैंने देखा तो नहीं, मुझमें मगर है कोई
एक भी दिल में न उतरी, न कोई दोस्त बना
यार तू यह तो बता यह भी नज़र है कोई
प्यार से हाथ मिलाने से ही पुल बनते हैं
काट दो, काट दो गर दिल में भँवर है कोई
मौत दीवार है, दीवार के उस पार से अब
मुझको रह-रह के बुलाता है उधर है कोई
सारी दुनिया में लुटाता ही रहा प्यार अपना
कौन है, सुनते हैं, बेचैन 'कुँअर' है कोई
20 टिप्पणियाँ
डॉ. साहब
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़ल
नवगीत की तरह
लाजवाब
बेहतरीन
ताजातरीन
महीन
जहीन।
पास-बुक' पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है
जवाब देंहटाएंप्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई
समय सचमुच बदल गया है।
arneey dr sahab aap waqai bahut pyar lutaate hain mujhe bhi aapne khoob pyar diya aur likhne me to aapka gar main jawaab du to meri nadani hogi
जवाब देंहटाएंki
आप ही का तो दिया हुआ है ये अदब मिरा
आपको जानते हो,क्या आपको खबर है कोई
प्यार से हाथ मिलाने से ही पुल बनते हैं
जवाब देंहटाएंकाट दो, काट दो गर दिल में भँवर है कोई
आज के नेताओं को चाँटा। वाह! लाजवाब!
प्यार से हाथ मिलाने से ही पुल बनते हैं
जवाब देंहटाएंकाट दो, काट दो गर दिल में भँवर है कोई
कुँअर बेचैन जी का जब हर शेर उम्दा हो तो बेहतरीन गज़ल अपने आप बन जाती है
An ultimate Gazal
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
जब कुंवर जी रचना हो तो क्या कहना
जवाब देंहटाएंMERE PRIY GAZALKAAR Dr.KUNVAR
जवाब देंहटाएंBECHAIN KEE EK AUR YAADGAAR GAZAL.
BADHAAEE.
पास-बुक' पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है
जवाब देंहटाएंप्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई
waah lajawab
दिल को छूती हुई ग़ज़ल ..
जवाब देंहटाएंहर शेर अपने आप में बेमिसाल है..
डॉ.साहिब,
जवाब देंहटाएंआपकी हर ग़ज़ल एक नया जोश पैदा करती है और सीने में हलचल मचा देती है । कल ही तो आपकी एक और ग़ज़ल पर अटक गया था-
दोनों ही पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ
हम गर्दनों के साथ हैं वो आरियों के साथ
शुभकामनाएं
डॉ.कुँअर बेचैन को पढ़ना हमेशा ही एक सुखद अहसास रहा है। भावनाओं को जिस खूबसूरत और प्राभावशाली ढंग से वे उकेरते हैं, वह पाठकों के दिल में सीधे उतर जाता है।
जवाब देंहटाएंएक और सशक्त रचना के लिये आभार।
एक भी दिल में न उतरी, न कोई दोस्त बना
जवाब देंहटाएंयार तू यह तो बता यह भी नज़र है कोई
waah..waah...!!
kya kahane ... ab aapke baare me kya kahun.. itne mahaan gazalkaar ke baare me ... har she'r jaise khud me ek gazal ho... waah ... bas dhero badhaaeee aapko...
जवाब देंहटाएंarsh
bahut khoob ek ek sher lajavab hai .hamesha yad rahen asae.
जवाब देंहटाएंsaader
rachana
डॉ.कुँअर बेचैन जी की ग़ज़लें क्या कहूँ ---
जवाब देंहटाएंएक भी दिल में न उतरी, न कोई दोस्त बना
यार तू यह तो बता यह भी नज़र है कोई
या
पास-बुक' पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है
प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई
वाह-वाह सिर्फ वाह-वाह और कुछ नहीं
सुधा
ग़ज़ल का हर शेर बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंप्यार से हाथ मिलाने से ही पुल बनते हैं
काट दो, काट दो गर दिल में भँवर है कोई
कुंवर बेचैन सामने हैं, तो सुनते रहिये या पढ़ते रहिये।
जवाब देंहटाएंकहिये क्या?
प्रवीण पंडित
हर शेर बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंकोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई
आप कहिएगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई
वाह!
शुभकामनाएं
कुँअर बैचैन जी की शायरी पर टिप्पणी करने की क्षमता नहीं है। आप संस्था हैं।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.