
मोहिन्दर कुमार का जन्म 14 मार्च, 1956 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आप राजस्थान यूनिवर्सिटी से पब्लिक- एडमिन्सट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं।
आपकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं साथ ही साथ आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं। आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में एक हैं। वर्तमान में इन्डियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड में आप उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।
कुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
कुछ शोखी हसीनों की
कुछ अंदाज जमाने के
कुछ कौल मेरे टूटे
कुछ वादे निभाये भी
कुछ बातें कह डाली
कुछ किस्से छुपाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ झूठे सौदाई
कुछ याद रहे अब तक
कुछ नाम भुलाये भी
कुछ अरमां बर आये
कुछ उम्मीदें मुर्झाई
कुछ जीत के मैं हारा
कुछ हार सजाई भी
कुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
15 टिप्पणियाँ
बहुत बढिया मोहिंदर जी, कामाला की रचना है. सारा मन का वृतांत कहा डाला आपने तो और बहुत सुन्दर ढंग से.. बधाई स्वीकार करें..
जवाब देंहटाएंकुछ दर्द मेरे अपने
जवाब देंहटाएंकुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
बहुत ही बढिया
कुछ दोस्त मिले मुझको,
जवाब देंहटाएंकुछ झूठे सौदाई
कुछ याद रहे अब तक
कुछ नाम भुलाये भी
बहुत अच्छी पंक्तियाँ
छूने वाली कविता पढवा दी मोहिन्दर जी। हम तो पुराने दिनों में हो लिये।
जवाब देंहटाएंकुछ दोस्त मिले मुझको,
जवाब देंहटाएंकुछ झूठे सौदाई
कुछ याद रहे अब तक
कुछ नाम भुलाये भी
waah dil ko chu gayi kavita,sunder.
कुछ बातें कह डाली
जवाब देंहटाएंकुछ किस्से छुपाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी
बहुत बढिया मोहिंदर जी......बहुत अच्छी पंक्तियाँ
वाह मोहिन्दर जी, संवेदनाओं का पूरा गुलद्स्ता सजा दिया आपनें।
जवाब देंहटाएंकुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
जन्मदिन की बधाई
जवाब देंहटाएंमोहिन्दर भाई
समदर्शी जी ने कामाला की रचना बताई
इस कामाला से मुझे भी मिलवाओ
मैं कामाला से रचना लिखवाना चाहता हूं।
MOHINDER JEE,
जवाब देंहटाएंAAPKEE KAVITA ACHCHHEE BANTE-
BANTE RAH GAYEE HAI,KUCHH PANKTIYON
MEIN CHHAND KAA SAHEE NIRVAAH N
HO PAANE KE KAARAN.JAESE --
KUCHH KHAAMOSH PEEYE MAINE
IS PANKTI MEIN "KUCHH" KEE 2
MAATRAAYEN BADH GAYEE HAIN.PANKTI
VAZAN MEIN HOTEE AGAR ISE YUN
LIKHAA JAATAA--
KHAAMOSH PIYE MAINE
YAA
KUCHH CHUPKE PIYE MAINE
AAPKEE NIMN PANKTIYON MEIN BHEE
YAHEE DOSH HAI--
KUCHH ANDAAZ ZAMAANE KE
KUCHH UMMEEDDEN MURJHAYEE
ASHA HAI KI AAP ISE
ANYATHA N LEKAR SWASTH TIPPANI
MAANEGE.
कुछ शोखी हसीनों की
जवाब देंहटाएंकुछ अंदाज जमाने के
कुछ कौल मेरे टूटे
कुछ वादे निभाये भी
bahut sundar. janam din ki bahut bahut badhayi.
प्राण जी की सलाह पर भी ध्यान दीजियेगा। कविता भावपूर्ण है व अच्छी है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत आसान कोमल शब्दों में रची-बसी एक बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा मोहिंदर जी
सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों का टिप्पणी के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंप्राण जी मैं विषेश रूप से आपका आभारी हूं जिन्होंने मेरा ध्यान रचना की त्रुटियों की और खींचा.. कोशिश रहेगी कि भविष्य में इसको न दोहराऊं
कुछ दर्द मेरे अपने
जवाब देंहटाएंकुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
मोहिंदर जी,
बहुत सुन्दर रचना ...
बधाई स्वीकार करें..
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.