
धीरेन्द्र सिंह का जन्म १० जुलाई १९८७ को छतरपुर जिले के चंदला नाम के गाँव में हुआ था | आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चंदला में ही पूरी की। वर्तमान में आप इंदौर में अभियन्त्रिकी में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं| कविताएँ लिखने का शौक आपको अल्पायु से ही था, किन्तु पन्नो में लिखना कक्षा नवीं से प्रारंभ किया | आप हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में रचनाएं लिखते हैं। आपका 'काफ़िर' तखल्लुस है |
नींद के तालाब में
डूब रहा हूं
एक कतरा कुरेदा
तो भंवर आ गया
अब ये सर नहीं
जाता उसकी गहराई में
हथेली जो
छाप से मारता हूं
पानी के सीने में तो
उछल के मुह तक
आता है !
मगर, सर अन्दर
नहीं जाता
भीगता भर है
मुह पर सूखी बूंदों के
दाग बन जाते हैं
मिट भी जाते हैं
सारी रात ये
उथल-पुथल चलती है
पर नींद नहीं आती
यह गहरी तो बहुत है
मगर मेरी नींद में
शायद........
पत्थर तैरता रहता है !!!
10 टिप्पणियाँ
क्या बात है..
जवाब देंहटाएं"नींद के तालाब","पानी के सीने", "सूखी बूंदों के दाग ".... काफी प्रभावित किया धीरन्द्र भाई .. नज़्म की तासीर सत्तर अस्सी के दशको के साकेडेलिक रॉक की मालूम होती है | सब से ज्यादा जमा आपका नज़्म को ख़त्म करने का अंदाज़ .. पत्थर का तैरना एक सोचे समझे विरोधाभास को जन्म देता है | और आप की नज़्म कई उम्मीदों को ... शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबिम्ब पर आपकी पकड प्रभावित करती है। आप अपार संभावनाओं से भरे कवि हैं। साहित्य शिल्पी पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंNice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
सारी रात ये
जवाब देंहटाएंउथल-पुथल चलती है
पर नींद नहीं आती
यह गहरी तो बहुत है
मगर मेरी नींद में
शायद........
पत्थर तैरता रहता है !!!
वाह बहुत सुन्दर।
अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंDhiren sawagat hai aapka Sahitya shilpi par
जवाब देंहटाएंaapki ye kavita pahile bhi padhi thi bhaut achha laga dobara padhna
Tumhari kalam hamesha hi prabhavit karti hai
tum bhaut ghara sochte ho
aise hi achha achha likhte raho yahi dua hai
shbd nahi
जवाब देंहटाएंpahle bhi padi thi achhi lagi aaj bhi achhi lagi
dheerendra ji
जवाब देंहटाएंitni choti umr men aapne itni gahri poem likh di , bahut badhai ho ..
सारी रात ये
उथल-पुथल चलती है
पर नींद नहीं आती
यह गहरी तो बहुत है
मगर मेरी नींद में
शायद........
पत्थर तैरता रहता है !!!
wah ji wah
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
aap sabhi ko sa-hriday dhanywaad abhaari hu aapka.......
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.