
तुम्हारा आना
फसलों का पकना
वाह क्या बात है!
तुम्हारा आना
आम का महकना
मुंह में पानी आना
वाह क्या बात है!
भारी लबादे उतरे
सूती कपड़े आये
मौसम ने ली अंगड़ाई
वाह क्या बात है!
मधु अरोड़ा का जन्म जनवरी, १९५८ को हुआ। आप वर्तमान में भारत सरकार के एक संस्थान में कार्यरत हैं आपने अनेक सामाजिक विषयों पर लेखन, भारतीय लेखकों के साक्षात्कार तथा स्वतंत्र लेखन किया है। आपकी आकाशवाणी से कई पुस्तक-समीक्षायें प्रसारित हुई हैं। आपका मंचन से भी जुड़ाव रहा है।
छुटटी मना रहे हैं
टी वी देख रहे हैं
वाह क्या बात है!
गुलमोहर फूल रहा है
जीने की शिद्दत
दिखा रहा है
वाह क्या बात है!
11 टिप्पणियाँ
मोसम के बदलाव पर
जवाब देंहटाएंगर्मी के स्वभाव पर
आपकी कविता के प्रभाव पर
बधाई.......
Good Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
kavita par thodi mehnat ki hoti to aachi ban padti
जवाब देंहटाएं.....
जवाब देंहटाएंतुम्हारा आना
आम का महकना
मुंह में पानी आना
वाह क्या बात है!
और अप्रिल में बच्चों के स्कूल क कुछ दिन फ़िर खुल जाना वाह क्या बात है. बच्चों के लिये सरस और मौसमानुकूल रचना के लिये बधाई मधु जी
बढ़िया रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है, वैसे भी गर्मी आ गयी है।
जवाब देंहटाएंकविता कमजोर है
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ... बधाई।
जवाब देंहटाएंजीवन की छोटी छोटी खुशियों को यदि समेट लिया जाये तो जीवन आन्नदमय हो जाता है.. सार्थक संदेश देती रचना
जवाब देंहटाएंकविता का भाव सुन्दर होते हुए भी पढकर मजा नही आया |
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.