किसी भी समस्या को समाधान तक पहुंचाने के लिये कुछ चरणों से गुजरना पडता है I इन चरणों को हमारा समाज व हमारे नेता चुनाव के दौरान किस तरह से लेते हैं इसका एक चित्र खींचने का मेरा प्रयास इस प्रकार से है I
समस्या की अनुभूति
चुनाव जब जब पास आते हैं
नेता
देश की समस्यों की
लिस्ट बनाने में जुट जाते हैं
मंहगायी, बेरोजगारी, शिक्षा
मंहगायी, बेरोजगारी, शिक्षा
उन्हें याद आने लगती हैं
वादों के बिगुल बजाने लगते है
रचनाकार परिचय:-
मुल्यांकन
अपनी उपलब्धियों
वादों के बिगुल बजाने लगते है
मोहिन्दर कुमार का जन्म 14 मार्च, 1956 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आप राजस्थान यूनिवर्सिटी से पब्लिक- एडमिन्सट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं।
आपकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं साथ ही साथ आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं। आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में एक हैं। वर्तमान में इन्डियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड में आप उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।
अपनी उपलब्धियों
एंव दूसरी पार्टी की कमियों का
गुणगान होता है
पार्टी भाषण
पार्टी भाषण
मंच विरोधी पार्टी कर्ताओं के
शिकार का मचान होता है
कारण
अकारण हुए कारण बताये जाते है
जनता जानती है
कारण
अकारण हुए कारण बताये जाते है
जनता जानती है
वोटर किस तरह सताये जाते हैं
आंकडे
आंकडे सुझाते हैं
आंकडे
आंकडे सुझाते हैं
कि जितना पैसा चुनाव व सरकार बनाने
व उसकी सुरक्षा एंव चलाने में लगता है
यदि वही धन
व उसकी सुरक्षा एंव चलाने में लगता है
यदि वही धन
उत्थान के कार्यों में लगाया जाता
हमारे देश का नाम
हमारे देश का नाम
संसार के उन्नत देशों में आता
निवारण की और कदम
गरीबी व बेरोजगारी को
देश के पिछडेपन का सबसे बडा कारण बता कर
छोटी छोटी दुकाने सील कर
बडे बडे माल बना कर
और अधिक भुखमरी फैला रहे हैं
गरीबी नही
गरीबों के उन्मूलन का कार्यक्रम बना रहे हैं
निवारण का सत्यापन
निवारण हुआ कि नही
इस का निर्णायक कौन है
मंहगायी, बेरोज़गारी दिनो दिन बढती जाती है
जनसंख्या काबू में नही आती है
नेता देश में क्या हो रहा है
विदेश यात्रा कर पता लगा रहे हैं
कर्मठ गधे हैं
काम के बोझ से लदे हैं
राजनीति के गलियारों में शोर है
जनता मौन है
निवारण के दूरगामी प्रभाव
जैसे चल रहा है
चलता जायेगा
चुनाव कौन सा कुम्भ का मेला है
पांच वर्ष में फिर लौट आयेगा
जनता में बडी शक्ति है
सरकार पलट जायेगी
अभी यह पार्टी निचोड रही थी
अब दूसरी पार्टी खायेगी
निवारण एक अनावर्त प्रयास
जब तक अवचेतन जनता में
चेतना नही आयेगी
तब तक निरन्तर यूहीं
बाड खेत को खायेगी
बाड खेत को खायेगी
निवारण की और कदम
गरीबी व बेरोजगारी को
देश के पिछडेपन का सबसे बडा कारण बता कर
छोटी छोटी दुकाने सील कर
बडे बडे माल बना कर
और अधिक भुखमरी फैला रहे हैं
गरीबी नही
गरीबों के उन्मूलन का कार्यक्रम बना रहे हैं
निवारण का सत्यापन
निवारण हुआ कि नही
इस का निर्णायक कौन है
मंहगायी, बेरोज़गारी दिनो दिन बढती जाती है
जनसंख्या काबू में नही आती है
नेता देश में क्या हो रहा है
विदेश यात्रा कर पता लगा रहे हैं
कर्मठ गधे हैं
काम के बोझ से लदे हैं
राजनीति के गलियारों में शोर है
जनता मौन है
निवारण के दूरगामी प्रभाव
जैसे चल रहा है
चलता जायेगा
चुनाव कौन सा कुम्भ का मेला है
पांच वर्ष में फिर लौट आयेगा
जनता में बडी शक्ति है
सरकार पलट जायेगी
अभी यह पार्टी निचोड रही थी
अब दूसरी पार्टी खायेगी
निवारण एक अनावर्त प्रयास
जब तक अवचेतन जनता में
चेतना नही आयेगी
तब तक निरन्तर यूहीं
बाड खेत को खायेगी
बाड खेत को खायेगी
14 टिप्पणियाँ
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमोहिन्दर जी
जवाब देंहटाएंबहुत सही समय पर आप इन रचनाओं को लाये हैं. इस समय जनता के एक हाथ में निंदनीय राजनीतिकॊं के रूप में नाग का फन है और दूसरे में वोट का ड्ण्डा जिससे वह इन सांपों से अपने घर को मुक्त भी कर सकती है. आपकी इन छोटी किन्तु गम्भीर बातों के मर्म से यदि कुछ लोग भी सचेष्ट हो सके तो चुनाव रूपी महायज्ञ में आपकी ओर से एक आहुति ही होगी. धन्यवाद
SACHCHAAE KO UJAAGAR KARTEE HAIN
जवाब देंहटाएंSHRI MOHINDER KUMAAR KEE YE
CHHOTEE-CHHOTEE KAVITAYEN .BAHUT
KHOOB.
बहुत अच्छी रचना है
जवाब देंहटाएंसच्चाई है इन में अच्छी लगी आज के संदर्भ में आपकी यह रचनाये मोहिंदर जी
जवाब देंहटाएंek naye hi aandaj ki kavita bahut khoob
जवाब देंहटाएंsaader
rachana
बहुत अच्छी रचनाएं हैं ... बधाई।
जवाब देंहटाएंनेताओं की पोल खोलने में आपकी रचना सक्षम है...
जवाब देंहटाएंलेकिन आपके अलख जगाने से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि जैसे भैंस का दिमाग मोटा होता है ...वैसे ही ही जनता भी मोटे दिमाग की है जो हर बार इन नेताओं के झूठे वायदों और जात-पात के चक्कर में फंस कर बरगला दी जाती है।
इनके आगे बीन बजाने से कुछ नहीं होने वाला लेकिन ये भी सच है कि...
उम्मीद पे दुनिया कायम है...
इसलिए लगे रहिए...जमे रहिए...टिके रहिए
Bahut bahut sahi kaha aapne... samsamyik yatharth ko chitrit karti sundar rachna..
जवाब देंहटाएंमोहिंदर जी की छोटी -छोटी रचनाएँ बड़ी गहरी बात कह गई हैं.हाँ, जनता को समझाने के लिए बार -बार सच्च सामने लाना पड़ेगा.शायद तभी कुछ असर हो.सही समय पर आप की रचनाएँ आईं हैं.
जवाब देंहटाएंजनता में बडी शक्ति है
जवाब देंहटाएंसरकार पलट जायेगी
अभी यह पार्टी निचोड रही थी
अब दूसरी पार्टी खायेगी
बड़ी हीं सटीक बात लिखी है आपने। जनता कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, जब तक हमारे पास विकल्प न हो, हालत तो जस की तस हीं रह जाएगी।
इसी को ध्यान में रखकर मैने कभी लिखा था:
अबकी जो मात होगी, कुछ अलहदा होगा,
प्यादे तो होंगे वो हीं, राजा नया होगा।
परियोजना के विभिन्न चरणों का पर्दाफाश करने के लिए बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक
सटक टिप्पणी है आज के सन्दर्भ में..........
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सही समय पर....
मोहिन्दर जी
बधाई।
क्षणिकाओं में गंभीर कविता
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.