अभिषेक तिवारी "कार्टूनिस्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
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6 टिप्पणियाँ
वाह !
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी
चुनावी मौसम में चेहरे पर स्मित लाने वाला इससे अधिक सामयिक कोई और कार्टून हो ही नहीं सकता ..... शुभकामना
एक ठौ जोड़ा हमऊ लेबे....
जवाब देंहटाएंअब यह जूता पब्लिसिटी का माध्यम लगता है और यही लगता है कि
जवाब देंहटाएंखबरों में रहने और थोथी लोकप्रियता बटोरने के लिए जानबूझ कर जूता फैंका जाता है |
भला इससे आसान तरीका और क्या हो सकता है - मशहूर होने के लिए |
कार्टून में आपने उस कटु सत्य को उजागर किया है , जो कम से कम
भारतीय पत्रकारिता पर तो न मिटने वाला धब्बा है |
क्या बढिया उडता हुआ जूता है....
जवाब देंहटाएंवो तो ठीक है मगर जोडा नहीं मिलता न... एक पैर का क्या करेंगे :)
जवाब देंहटाएंजूता
जवाब देंहटाएंया
जूतायान
(फ्लाइंग शूज)
जूता अभियान
जूता देता है अब
भरपूर मुस्कान
नेताओं की
कठोर जान
पिघलाता है जूता मान।
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.