
धूसरित हो धूल से
क्या मुझे पहचान पाये
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' का जन्म 10 अक्तूबर 1959 को हुआ। आप आपात स्थिति के दिनों में लोकनायक जयप्रकाश के आह्वान पर छात्र आंदोलन में सक्रिय रहे।
आपकी रचनाओं का विभिन्न समाचार पत्रों, कादम्बिनी तथा साप्ताहिक पांचजन्य में प्रकाशन होता रहा है। वायुसेना की विभागीय पत्रिकाओं में लेख निबन्ध के प्रकाशन के साथ कई बार आपने सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया है। वर्तमान में आप वायुसेना मे सूचना प्रोद्यौगिकी अनुभाग में वारण्ट अफसर के पद पर कार्यरत हैं तथा चंडीगढ में अवस्थित हैं।
आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में हैं।
आपकी रचनाओं का विभिन्न समाचार पत्रों, कादम्बिनी तथा साप्ताहिक पांचजन्य में प्रकाशन होता रहा है। वायुसेना की विभागीय पत्रिकाओं में लेख निबन्ध के प्रकाशन के साथ कई बार आपने सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया है। वर्तमान में आप वायुसेना मे सूचना प्रोद्यौगिकी अनुभाग में वारण्ट अफसर के पद पर कार्यरत हैं तथा चंडीगढ में अवस्थित हैं।
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मैं वही तो मीत हूँ
जो संग तेरे
खेलता था धूल में
कभी गिरता
और पड़ता
भागता पीछे तुम्हारे
मोतियों से चमकते
निशा के जिस स्वेद पर
कभी नन्हें
और नंगे पाँव
हिम शीत के
स्पर्श से जो थे न हारे
बालमन के सब सखा
काक, कोकिल, मन मयूरों
के कहाँ अब झुंड सारे..
है कहाँ अब हे पखेरू ..!
मनुज पशु का साथ
मशीनी युग से विदग्धित
ग्राम जंगल खेत सारे
तड़पता हूँ हाय फिर से
चाहता हूँ दौड़ना
तितलियों के रंग वैविध
चाहता हूँ ढूँढ़ना
हैं कहाँ ....
वह गाँव वन उपवन
जहाँ निज ठौर था
धूसरित पग रास्ते में ..!
पग चिन्ह फिर कुछ ढूँढना
कहाँ हो तुम
हे करौंदे ...
और टेसू जेठ के
सेमलों के पुष्प से
फिर चाहता कुछ सीखना
बरष बीते बारिशों में
मन खोजता मृदु गंध है
हाय मेरे बालपन की
सब खो गयी सुगंध है
19 टिप्पणियाँ
हाय मेरे बालपन की
जवाब देंहटाएंसब खो गयी सुगंध है
सुन्दर अहसासों से भरी कविता है। कविता की भाषा प्रशंसनीय है।
आपकी शिकायत सही है |
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
श्रीकान्त जी
जवाब देंहटाएंसमय चक्र में खो गये पलों को खोजती एक भावपूर्ण रचना के लिये बधाई.
कहाँ हो तुम
जवाब देंहटाएंहे करौंदे ...
और टेसू जेठ के
सेमलों के पुष्प से
फिर चाहता कुछ सीखना
बरष बीते बारिशों में
मन खोजता मृदु गंध है
हाय मेरे बालपन की
सब खो गयी सुगंध है
आपकी कविता में हम भी खो गये..
बरष बीते बारिशों में
जवाब देंहटाएंमन खोजता मृदु गंध है
हाय मेरे बालपन की
सब खो गयी सुगंध है
--हम जो़ड़ पा रहे हैं अपने आपको इस रचना से..सफल लेखनी!!
रचना बहुत कुछ पुराना याद दिला रही है।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya bhavapoorn rachana . abhaar.
जवाब देंहटाएंमनुज पशु का साथ
जवाब देंहटाएंमशीनी युग से विदग्धित
ग्राम जंगल खेत सारे
तड़पता हूँ हाय फिर से
चाहता हूँ दौड़ना
तितलियों के रंग वैविध
चाहता हूँ ढूँढ़ना
हैं कहाँ ....
बहुत सुन्दर !
मन की आस /चाहना को शब्दों में खूब बांधा है.
खूबसूरत भाव-अभिव्यक्ति.
[ब्लॉग पेज पर पोस्ट के नीचे पीले रंग के अक्षर दिखाई नहीं दे रहे.कृपया जांच लें ]
ACHCHHEE KAVITA KE LIYE MEREE
जवाब देंहटाएंBADHAAEE.
मनुज पशु का साथ
जवाब देंहटाएंमशीनी युग से विदग्धित
ग्राम जंगल खेत सारे
तड़पता हूँ हाय फिर से
चाहता हूँ दौड़ना
तितलियों के रंग वैविध
चाहता हूँ ढूँढ़ना
हैं कहाँ ....
जीवन की अनवरत दौड़ से थक कर इंसान अक्सर ऐसे लम्हों को ढूँढ़ता है................पुराने वैभव में जाना चाता है.........
शशक्त रचना
अल्पना जी !
जवाब देंहटाएंआपके सभी सुझावों का हार्दिक अभिनन्दन.... ब्लॉग पेज पर पोस्ट के नीचे दिखाई नहीं पड़्ने वाले अक्षरों का रंग परिवर्तित कर दिया गया है. प्रगति के लिये परिवर्तन की प्रत्येक संभावना पर हम संपूर्ण प्रयास करते रहेंगे इसी प्रतिविश्वास के साथ आपका हार्दिक आभार.
प्रकृति और शैशव को बखूबी पिरोया गया है आपकी कविता मेँ जो बहुत पसँद आयी -
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsundar kavita lagi....
जवाब देंहटाएंकहाँ हो तुम
जवाब देंहटाएंहे करौंदे ...
और टेसू जेठ के
सेमलों के पुष्प से
फिर चाहता कुछ सीखना
बरष बीते बारिशों में
मन खोजता मृदु गंध है
हाय मेरे बालपन की
सब खो गयी सुगंध है
भावों से भरी सुन्दर कविता
बड़ी भावपूर्ण प्रसंशनीय रचना है।
जवाब देंहटाएंaapki kavita padhi....bahut achhi lagi......baalpan ki choti choti baatein bahut sundar tareekey se prastut ki gayi hain....dhanywaad...
जवाब देंहटाएंshrikaant ji
जवाब देंहटाएंmain kya kahun .. nishabd hoon .. aapne mere bachpan me mere gaon ki galiyon me pahuncha diya hai ..
aapko dil se badhai ..
विजय
http://poemsofvijay.blogspot.com
मन खोजता मृदु गंध है
जवाब देंहटाएंहाय मेरे बालपन की
सब खो गयी सुगंध है
श्रीकान्त जी
सुन्दर,भावपूर्ण रचना के लिये
बधाई
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.