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पहलू [कविता] - श्यामल सुमन

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रचनाकार परिचय:-


10 जनवरी 1960 को चैनपुर (जिला सहरसा, बिहार) में जन्मे श्यामल सुमन में लिखने की ललक छात्र जीवन से ही रही है। स्थानीय समाचार पत्रों सहित देश की कई पत्रिकाओं में इनकी अनेक रचनायें प्रकाशित हुई हैं। स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में भी इनके गीत, ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है।
अंतरजाल पत्रिका साहित्य कुंज, अनुभूति, हिन्दी नेस्ट, कृत्या आदि में भी इनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं।
इनका एक गीत ग़ज़ल संकलन शीघ्र प्रकाश्य है।

मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है।
जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है।।

जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर।
लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है।।

हौंसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया।
जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है।।

ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।

जब सुमन को है जरूरत बागबां के प्यार की।
मिल गया तो सच में उसकी मेहरबानी और है।।

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15 टिप्पणियाँ

  1. मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है।
    जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है।।

    ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  2. ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।
    बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिये बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर।
    लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है।।

    वाह सुमन जी बहुत सुंदर रचना ... मर्म कॊ छू गयी

    जवाब देंहटाएं
  4. ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।
    बहुत ख़ूब अच्छी लगी आपकी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  5. श्यामल जी,

    बहुत खूब भाव हैं. निम्न पंक्तियाँ अपना असर छोड़ती हैं :-

    हौंसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया।
    जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है।।


    मुकेश कुमार तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  6. मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है।
    जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है।।


    मैंने कभी लिखा था-
    ऐ बादल मत बरस अभी तू मेरे आंगन मैं...
    कुछ नाज़ुक लम्हे बंजर हैं अब तक सावन में...
    -------------------------------
    जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर।
    लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है।।

    कभी ऐसा ही कुछ लिखा था-
    आज नहा लो कल न भरोसा,
    ये सरिता भी हो ना हो...
    सबको करने पावन बहता
    मेरी आंखों का पानी...
    ----------------------------------

    हौंसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया।
    जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है।।

    मेरी बोली में इसका भावसाम्य शायद ये हो-
    आँखों भरे नीर के तट पर
    जो दिखता है, सत्य नहीं है।
    एक तथ्य का कथ्य कहीं है,
    और दिखा प्रतिबिम्ब कहीं है।।
    -----------------------------------

    ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।

    ये दर्द कुछ यूं लिखा था-
    इसमें-मुझमें अंतर कितना
    इसका व्याकुल केवल तन है,
    लेकिन देखो मेरा व्याकुल
    तन है, मन है,जीवन है।
    -----------------------------------

    जब सुमन को है जरूरत बागबां के प्यार की।
    मिल गया तो सच में उसकी मेहरबानी और है।।

    जिन्दगी की सारी राह मोड दीं थी जिस तरफ,
    हमने देख उनके कदम डिगने लगे।
    अब क्या बतायें हमको क्या क्या वफा मिली,
    कुछ सौदाइयों में हम बिकने लगे।

    लगा जैसे कुछ मेरा ही है- छितरा छिटका-
    बहुत दिनों बाद कोई रचना सरसरी नहीं पढ़ी---
    अंदर तक उतरती रचना...
    देवेश वशिष्ठ खबरी
    9953717705

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी रचना है, देवेश जी से भी सहमत।

    जवाब देंहटाएं
  8. श्यामल सुमन जी
    बहुत ही सुन्दर ख्यालात का मुजाहरा किया है आपने इस गजल की मार्फ़त.

    जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर।
    लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है।।

    ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।

    जवाब देंहटाएं
  9. श्यामल जी...........बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है.
    यथार्थ बोलता है

    जवाब देंहटाएं
  10. ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
    दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।

    shyamal ji....
    bahut sunder.....tajurbe ki baat kahi hai

    जवाब देंहटाएं
  11. मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है।
    जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है

    बढिया रचना

    जवाब देंहटाएं
  12. दिया समर्थन आपने हृदय से है आभार।
    इसी तरह देते रहें मुझको अपना प्यार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं

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