अभिषेक तिवारी "कार्टूनिस्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
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आइये कारवां बनायें...
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आइये कारवां बनायें...

वाह अभिषेक जी वाह !
जवाब देंहटाएंएक तीर से दो निशाने ..... व्यंग्य का व्यंग्य और नोट पर वॊट देने वालों को आपकी दिव्य दृष्टि से अनुपम शिक्षा भी ..... नॊट प्राप्तकर्ता भइये ! नेताजीओं से सावधान.... कहीं नेताजी चुनावी नैया पार करने के लिये चुनाव आयोग और आपके साथ साथ रिजर्व बैंक को भी चूना ना लगा रहे हों. नोट बंटाऊ नेताओं का कोई भरोसा नहीं सो वोट अपनी अक्ल से ही देना ..... आंख खोलाऊ कार्टून के लिये धन्यवाद अभिषेक जी
नोट तो होते ही
जवाब देंहटाएंबंटने और छंटने
के लिए ही हैं।
बहुत सही...
जवाब देंहटाएंमजेदार..
जवाब देंहटाएंसचमुच भितरघात है :)
जवाब देंहटाएंचुनावी मौसम की एक झांकी यह भी।
जवाब देंहटाएंहा हा... अब तो देख के लेने पडेंगे...सुन्दर व्यंग्य.. दोधारी तलवार की तरह
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी के हर कार्टून विशिष्ठ होते हैं।
जवाब देंहटाएंसही है!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह एक सशक्त व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंबोले तो 'झकास'
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