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ज़हर [लघुकथा] - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

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--'टॉमी को तुंरत अस्पताल ले जाओ।' जैकी बोला।

--'जल्दी करो, फ़ौरन इलाज शुरू होना जरूरी है। थोड़ी सी देर भी घातक हो सकती है।' टाइगर ने कहा।

--'अरे! मुझे हुआ क्या है?, मैं तो बीमार नहीं हूँ फ़िर काहे का इलाज?' टॉमी ने पूछा।

--'क्यों अभी काटा नहीं उसे...?' जैकी ने पूछा।

--'काटा तो क्या हुआ? आदमी को काटना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।'

--'है, तो किसी आदमी को काटता। तूने तो नेता को काट लिया। कमबख्त कह ज़हर चढ़ गया तो भाषण देने, धोखा देने, झूठ बोलने, रिश्वत लेने, घोटाला करने और न जाने कौन-कौन सी बीमारियाँ घेर लेंगी? बहस मत कर, जाकर तुंरत इलाज शुरू करा। जैकी ने आदेश के स्वर में कहा...बाकी कुत्तों ने सहमति जताई और टॉमी चुपचाप सर झुकाए चला गया इलाज कराने।

रचनाकार परिचय:-


आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' नें नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा, बी.ई., एम.आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम.ए., एल.एल.बी., विशारद, पत्रकारिता में डिप्लोमा व कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है।

आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नाम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।

आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीं शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि।

वर्तमान में आप म.प्र. सड़क विकास निगम में उप महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं।

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13 टिप्पणियाँ

  1. Tomy needs immediate treatment. Nice Satire.

    Alok Kataria

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  2. "कमबख्त कह ज़हर चढ़ गया तो भाषण देने, धोखा देने, झूठ बोलने, रिश्वत लेने, घोटाला करने और न जाने कौन-कौन सी बीमारियाँ घेर लेंगी? बहस मत कर, जाकर तुंरत इलाज शुरू करा।" बहुत बडी बात कम शब्दों में।

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  3. सटी व्यंग्य करती लघुकथा.

    सचमुच आदमी नेता बन सकता है मगर नेता आदमी नहीं बन सकता.. बेचारा टामी तो गया काम से नेता को काट कर :)

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  4. नेता के काटे का सचमुच कोई इलाज नहीं। गहरा व्यंग्य।

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  5. प्रभावी लघुकथा साथ ही गहरा व्यंग्य।

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  6. कम शब्दों में सीधी और करारी चोट!! बहुत पसंद आई यह लघु कथा. बधाई.

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  7. कमबख्त कह ज़हर चढ़ गया तो भाषण देने, धोखा देने, झूठ बोलने, रिश्वत लेने, घोटाला करने और न जाने कौन-कौन सी बीमारियाँ घेर लेंगी? बहस मत कर, जाकर तुंरत इलाज शुरू करा..

    आचार्यवर ! कुत्तों ने तो नेता रूपी विषदंतक को पहचान लिया है परन्तु निरीह मानव का यह दुर्भाग्य कि वह निरंतर इस विषैले प्राणी का शिकार होता जा रहा है . यह लघु कथा भी खूब रही.

    आभार

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  8. kya khoob likha hai .aap ko kahani ke bate me me to kuchh kahne ke kabil bahi hoon bas wah wah wah
    saader
    rachana

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  9. हमारे नेताओं पर कटाक्ष करती लघुकथा बढिया लगी

    जवाब देंहटाएं

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