
जीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते
इज्ज़त के सामने भला दौलत का क्या वकार
मर जाते हैं हजारों ही इज्ज़त के वास्ते
प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं।
आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' - दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
बैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
माना कि "प्राण" इसकी जरूरत सही मगर
क्यों भूलें रिश्तों -नातों को दौलत के वास्ते
26 टिप्पणियाँ
दहशत के वास्ते न ही नफरत के वास्ते
जवाब देंहटाएंजीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते
जय हो।
सुन्दर गजल.. आपकी गजल पढ कर अचानक एक शेर मन में आ गया.. लिख ही दिया..
जवाब देंहटाएंक्षमा कीजियेगा
साथ चलने का बनाया मन बहुत मगर
मिलते नहीं उनके मेरे सफ़र के रास्ते
बहूत ही लाजवाब ग़ज़ल है प्राण शर्मा जी की...........उस्ताद लोग अक्सर जीवन के अनुभव को खूबसूरती से उआरते है अपनी कलम से ...........देखिये इस शेर को .........
जवाब देंहटाएंबैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
इस शेर में कितना गहरा दर्शन छिपा है .............
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
लाजवाब ..........
Nice Gazal. Nice Touught on Environment-
जवाब देंहटाएंहरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
Alok Kataria
सभी शेर लाजवाब हैं।
जवाब देंहटाएंबैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
जवाब देंहटाएंसंघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
--बहुत उम्दा गजल!! आनन्द आ गया.
माना कि "प्राण" इसकी जरूरत सही मगर
जवाब देंहटाएंक्यों भूलें रिश्तों -नातों को दौलत के वास्ते
समय के अनुरूप ग़ज़ल है।
बहुत अच्छी ग़ज़ल है, बधाई।
जवाब देंहटाएंआदरणीय प्राण जी की इस मंच पर उपस्थिति इस प्रयास को आशीर्वाद स्वरूप होती है। आपसे इस मंच नें बहुत कुछ सीखा और बहुत कुछ पाया है। आपकी प्रस्तुत ग़ज़ल भी आपके विस्तृत अनुभवाकाश से निकल कर आयी है। धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंदहशत के वास्ते न ही नफरत के वास्ते
जवाब देंहटाएंजीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते
lambe intezaar ke baad ghazal aayee hai Pran ji ki.sh. Pran ji ka aur Ranjan ji ka shukria..
saadar
khyaal
ग़ज़ल पितामह के अब गज़ल्गोई के बारे में क्या कोई कहे ... कितनी सिद्दत से उन्होंने अपने अनुभव को ग़ज़ल के रस्ते कहा है बहोत ही करीने कही गयी ग़ज़ल...ढेरो बधाई
जवाब देंहटाएंअर्श
'संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते’ क्या बात है प्राण जी. हिन्दी साहित्य में भी यही स्थिति है. शोहरत के लिए संघर्ष के साथ और भी बहुत कुछ करना पड़ रहा है लोगों को---- बधाई.
जवाब देंहटाएंचन्देल
प्राण शर्मा जी की ग़ज़ल के सभी शे'र उम्दा हैं--
जवाब देंहटाएंबैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
हर बार कुछ सीखना को ही मिलता है.
बहुत -बहुत बधाई!
सुधा
दिल में गहरे उतर आने वाली यह बहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंगजल है।
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
आप तो इस फ़न के उस्ताद हैं कहना ही क्या !!!
बैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
जवाब देंहटाएंसंघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
बहुत बढिया
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो
जवाब देंहटाएंकाम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
बैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
जवाब देंहटाएंसंघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते
bahut hi khoobsurat sher kaha hai aapne
zindgi mein bahut sachhi baat
दहशत के वास्ते न ही नफरत के वास्ते
जवाब देंहटाएंजीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते -छेकानुप्रास, अंत्यानुप्रास
इज्ज़त के सामने भला दौलत का क्या वकार -छेकानुप्रास
मर जाते हैं हजारों ही इज्ज़त के वास्ते -व्रंत्यानुप्रास
बैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी
संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते --छेकानुप्रास
हरयाली हर तरफ ही हो दुनिया में दोस्तो --व्रंत्यानुप्रास
काम ऐसा कोई कीजिये कुदरत के वास्ते ---व्रंत्यानुप्रास
माना कि "प्राण" इसकी जरूरत सही मगर
क्यों भूलें रिश्तों -नातों को दौलत के वास्ते --छेकानुप्रास
JIS TARAH SE ACHARYA SALIL JEE NE
जवाब देंहटाएंMEREE GAZAL KE HAR SHER MEIN
ALANKARON KO DARSHAAYAAA HAI VAH
SARAAHINYA HAI.YASH UNKE ACHARYATAV
KAA DYOTAK HAI.UNSE BAHUT KUCHH
SEEKHAA JAA SAKTAA HAI.MAIN SHREE
RAJIV RANJAN KO DHANYAVAAD DETAA
HOON KI UNHONNE ACHARYA SANJEEV
VERMA "SALIL" SE HAMAARAA PARICHAY
KARVAAYAA HAI.
साहित्य शिल्पी पर आज बहुत दिनों के बाद प्राण शर्मा जी की ग़ज़ल पढ़कर हृदय को बड़ी प्रसन्नता हुई। शर्मा जी की ग़ज़ल हो या फिर अन्य रचना हो, पढ़ने के बाद इसका ख़ुमार बहुत समय तक चढ़ा रहता है। बस, वही हालत इस ग़ज़ल की है, अभी पढ़ी है और गुनगुनाना शुरू हो गया है। बहरो-वज़न, लफ़्जों का चुनाव, लयात्मकता, प्रवाह, अर्थपूर्ण बातों का कुछ ही शब्दों में बहुत ही प्रभावी ढंग से कहने की क्षमता - यह सभी गुण इस ग़ज़ल के हर शे'र में समाये हुए हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत पहले की बात है कि नवभारत टाइम्स में
एम.जे. अकबर ने कहा था "शब्द अनुभवों की ही अभिव्यक्ति करते हैं." शर्मा जी के अनुभवों के शब्दों का जादू यहां देखा जा सकता है।
आदरणीय आचार्य 'सलिल' जी की टिप्पणी तो सोने पर सुहागा का काम कर रही है। आचार्य जी के सामने तो स्वत: ही मस्तक नत हो जाता है।
प्राण जी और साहित्य शिल्पी को धन्यवाद।
महावीर शर्मा
aadarniya pran saheb ,
जवाब देंहटाएंaapki gazal ki kya tareef karun , na main apne aapko is layak samjhta hooon aur na hi mere paas wo shabd hai , jo ki aapke lekhan ki tareef kar sake..
दहशत के वास्ते न ही नफरत के वास्ते
जीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते
is akele sher ne poori duniya ke saamne ek aisi baat kahi hai ki .. jeevan ko kaise jiya jaaye..
aapko dil se badhai ..
विजय
http://poemsofvijay.blogspot.com
बड़े दिनों बाद प्राण साब की ग़ज़ल देख कर मन पुलकित हो उठा...
जवाब देंहटाएं"बैठे--बिठाए घर में ही मिलती नहीं कभी/संघर्ष करना पड़ता है शोहरत के वास्ते"
वाह !!!
प्राण साब को नमन और राजीव जी का शुक्रिया
इज्ज़त के सामने भला दौलत का क्या वकार
जवाब देंहटाएंमर जाते हैं हजारों ही इज्ज़त के वास्ते
अत्मानुभूति सी प्रतीत हुयी संपूर्ण गज़ल को पढ़ते हुये - प्रणाम
ab aapko kya daad hu us kaabil hi nahi hu.............
जवाब देंहटाएंbahut hi achchhi ewam saaf suthari ghazal
दहशत के वास्ते न ही नफरत के वास्ते
जवाब देंहटाएंजीवन मिला है सबको मुहब्बत के वास्ते
प्राण शर्मा जी,
बहुत सुन्दर गजल..
बधाई।
शौहरत की कोई उम्र हो तो कहो
जवाब देंहटाएंजीने की ख्वाहिश नहीं हो तो कहो
संघर्ष हैं कारण मात्र कि जिन्दे रहो
तडपन हैं अमीरो की उसे शौहरत कहो।
छगन लाल गर्ग।
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