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आह्लाद के पंख [कविता] - शोभा महेन्द्रू

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तुम प्रेम हो
या बस उसका भ्रम
नहीं जानती
पर जीवन बेल
तुमसे रस पाकर
फूलती फलती जा रही है

रचनाकार परिचय:-


शोभा महेन्द्रू का जन्म देहरादून में १४ मार्च सन् १९५८ में हुआ। लेखन में आपकी रुचि प्रारम्भ से ही रही है। कभी आक्रोश, कभी आह्लाद, कभी निराशा लेखन में अभिव्यक्त होती रही किन्तु जो भी लिखा स्वान्तः सुखाय ही लिखा। लेखन के अतिरिक्त भाषण, नाटक और संगीत में आपकी विशेष रुचि है। 

आपने गढ़वाल विश्व विद्यालय से हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर परीक्षा पास की है। वर्तमान में फरीदाबाद शहर के 'मार्डन स्कूल' में हिन्दी की विभागाध्यक्ष हैं।

अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।

इस पर आस के
कितने ही सुन्दर फूल
खिल आए हैं
मन का सरोवर
मीठे जल से लबालब है

पता नहीं मौसम बदला है
या मन…
पर मेरी बगिया
महक उठी है
कानों में हर पल
एक मीठी सी धुन
गूँजती रहती है
पीहू-पीहू--

झंकृत है तन
आह्लादित है मन
छलकता है हृदय
मीठे पानी का
यह अजस्र स्रोत
कहाँ से फूट रहा है
प्रेम की अतिशयता
चंचलता जगा रही है

मन करता है
अपनी इस खुशी को
अंबर में लिख आऊँ
हवाओं के हवाले कर दूँ
अथवा गीत बनकर
कोकिल कंठ में समाऊँ
सबको सुनाऊँ

इसकी सुगन्ध पहुँचाऊँ
हर दिल को महकाऊँ

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9 टिप्पणियाँ

  1. Shoba ji ,

    bahut sundar kavita .. man ko choo gayi, prem ras se bharpoor .. jeevan me aanand ko khilati hui ..

    bahut hi accha laga padhkar .. man ko pankh lag gaye is kavita ke kaaran .

    aapko dil se badhai ..

    regards
    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. मन करता है
    अपनी इस खुशी को
    अंबर में लिख आऊँ
    हवाओं के हवाले कर दूँ
    अथवा गीत बनकर
    कोकिल कंठ में समाऊँ
    सबको सुनाऊँ

    इसकी सुगन्ध पहुँचाऊँ
    हर दिल को महकाऊँ

    मनोरम अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर रचना के लिए बधाई
    व आभार

    द्विजेन्द्र द्विज

    www.dwijendradwij.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. मन करता है
    अपनी इस खुशी को
    अंबर में लिख आऊँ
    हवाओं के हवाले कर दूँ
    अथवा गीत बनकर
    कोकिल कंठ में समाऊँ
    सबको सुनाऊँ

    ........
    संयोग एवं अनुराग की एक उत्तम रचना - बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेम रस से परिपूर्ण एक बहुत ही प्यारी कविता....


    बधाई स्वीकार करें

    जवाब देंहटाएं
  6. एक आशावान उमंग भरे दिल की भावनाओं को बहुत सुन्दर ढंग से अपनी रचना में ढाला है आपने.. बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति शोभा जी

    बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  8. पता नहीं मौसम बदला है
    या मन…
    पर मेरी बगिया
    महक उठी है
    कानों में हर पल
    एक मीठी सी धुन
    गूँजती रहती है
    पीहू-पीहू....

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति! बधाई शोभा जी!

    जवाब देंहटाएं

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