
ज़रा सी जान मुझमें भर दो ना
बगैर आहट के आओ
और जुल्फें बिखेर दो मेरी
या एक काम करो.. जब मैं सो जाऊं..
लटों में मेरा चेहरा छुपा ही देना तुम…
उपासना अरोड़ा का जन्म 24/6/1986 को नयी दिल्ली में हुआ। आपने एम. बी. ए तक की शिक्षा प्राप्त की है। आप 11 वर्ष की उम्र से ही कवितायें लिख रही हैं। आप वर्तमान में हेनले इंडस्ट्रीज नामक संस्था में कार्यरत हैं।
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
सर्दियों में शाल में लिपटे
हथेलियों को सहलाते हुए सुबह में
सुनाओगे ताज़ा कोई ग़ज़ल जब मुझपे
तो बस उसी पल जी उठेंगे हम….
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
जब सजूँगी तुम्हारी ही खातिर
और तुम बेकरार बैठोगे..
और मुझे देख के तुम्हारे लब से
लफ्ज़ सारे ही हवा हवा होंगे
बस उसी पल पे कुर्बान हैं सब ग़म
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
ताज़ा ताज़ा से झगडों में अक्सर
दोनों चुप चाप ही बैठ जायेंगे
और मनाने का मन करेगा जब
फूँक देंगे न गुस्से को तब हम
बस उसी के लिए ही साँसे हैं
आती जाती यही तो कहती हैं…
तुम्हारे नाम काम साथ का ही
जिस्म दम भरता है
और है जान भी तभी
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
ज़रा सी जान मुझमें भर दो ना...
14 टिप्पणियाँ
वाह उपासना जी वाह ...मान गए आपको ....इतनी अच्छी रचना की है आपने कि बस आपकी तारीफ के लिए शब्द नहीं मिल रहे ...बेहतरीन
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया
बहुत सुन्दर और कोमल कविता। एसे ही लिखते रहें उपासना जी। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंNice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
जवाब देंहटाएंताज़ा ताज़ा से झगडों में अक्सर
दोनों चुप चाप ही बैठ जायेंगे
और मनाने का मन करेगा जब
फूँक देंगे न गुस्से को तब हम
बस उसी के लिए ही साँसे हैं
बहुत खूब।
बहुत अच्छी कविता है, बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रेम कविता है
जवाब देंहटाएंफूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
ज़रा सी जान मुझमें भर दो ना...
वाह वाह।
जवाब देंहटाएंफूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
जवाब देंहटाएंजब सजूँगी तुम्हारी ही खातिर
और तुम बेकरार बैठोगे..
और मुझे देख के तुम्हारे लब से
लफ्ज़ सारे ही हवा हवा होंगे
बस उसी पल पे कुर्बान हैं सब ग़म
उपासना जी बहुत अच्छी रचना है।
प्रेम रस में डूबी रचना के लिए उपासना जी को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंwaah upasana ji .
जवाब देंहटाएंbahu hi sundar kavita ji ;
ye ultimate lines hai ..
फूँक दो साँस मुझमें ऐ हमदम
ताज़ा ताज़ा से झगडों में अक्सर
दोनों चुप चाप ही बैठ जायेंगे
और मनाने का मन करेगा जब
फूँक देंगे न गुस्से को तब हम
बस उसी के लिए ही साँसे हैं
dil se badhai sweekar karen ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
जिन्दगी को पूर्णता से महसूस करती दिल से निकलकर दिल तक पहुँचती रचना के लिए शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंbahut achchha likha hai
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
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