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मैं कवि हूँ [कविता] - डॉ. कुमार विश्वास

सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी
होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी
हर विवश आँख के आँसू को
यूँ ही हँस हँस पीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

रचनाकार परिचय:-


डॉ॰ कुमार विश्वास का नाम किसी भी हिन्दी काव्य-रसिक के लिये अपरिचित नहीं है। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में गिने जाने वाले डॉ॰ कुमार विश्वास के अब तक दो काव्य-संग्रह प्रकाशित हुये हैं जिन्हें पाठकों का अपार स्नेह मिला है। ये अपने काव्य-वाचन के अंदाज़ के लिये सभी के चहेते हैं।

मनमोहन के आकर्षण मे भूली भटकी राधाऒं की
हर अभिशापित वैदेही को पथ मे मिलती बाधाऒं की
दे प्राण देह का मोह छुडाने वाली हाडा रानी की
मीराऒं की आँखों से झरते गंगाजल से पानी की
मुझको ही कथा सँजोनी है,
मुझको ही व्यथा पिरोनी है
स्मृतियाँ घाव भले ही दें
मुझको उनको सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

जो सूरज को पिघलाती है व्याकुल उन साँसों को देखूँ
या सतरंगी परिधानों पर मिटती इन प्यासों को देखूँ
देखूँ आँसू की कीमत पर मुस्कानों के सौदे होते
या फूलों के हित औरों के पथ मे देखूँ काँटे बोते
इन द्रौपदियों के चीरों से
हर क्रौंच-वधिक के तीरों से
सारा जग बच जाएगा पर
छलनी मेरा सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

कलरव ने सूनापन सौंपा मुझको अभाव से भाव मिले
पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले
सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना
शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना
पीडा की इस मधुशाला में
आँसू की खारी हाला में
तन-मन जो आज डुबो देगा
वह ही युग का मीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा
**********

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19 टिप्पणियाँ

  1. mane aapko jiapur men suna hai...
    ab pad bhi rha hun....
    vartmaan dour ke aap ek sashakat hastakshar hain.....
    regards

    जवाब देंहटाएं
  2. कलरव ने सूनापन सौंपा मुझको अभाव से भाव मिले
    पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले
    सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना
    शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना
    पीडा की इस मधुशाला में
    आँसू की खारी हाला में
    तन-मन जो आज डुबो देगा
    वह ही युग का मीना होगा
    मै कवि हूँ जब तक पीडा है
    तब तक मुझको जीना होगा

    अभिषेक जी नें सही लिखा है। आप आज के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपको सुनना एक अनुभव है और्क़ आपको पधना भी।

    जवाब देंहटाएं
  3. मै कवि हूँ जब तक पीडा है
    तब तक मुझको जीना होगा

    भागलपुर में होली के दर्म्यान हुए कवि सम्मेनन में आपको सुना था तब से आपका फैन हूँ। साहित्य शिल्पी पर आपके वीडियो भी देखना या सुनना चाहता हूँ। मेरा अनुरोध आपसे और साहित्य शिल्पी दोनो से है।

    अनुज कुमार सिन्हा
    भागलपुर

    जवाब देंहटाएं
  4. Vishwas Sir.... ultimate number .. Superb! Jab tak peeda hain tab tak nahi......balki jab tak jeevan ki ek bhi nishani hain is dharti par tab tak aapko jeena hoga.......Aap jaise log ek jeevan kaha jete hain..... peedhiyan yaad rakhti hain aap logo ko

    जवाब देंहटाएं
  5. सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी
    होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी
    हर विवश आँख के आँसू को
    यूँ ही हँस हँस पीना होगा
    मै कवि हूँ जब तक पीडा है
    तब तक मुझको जीना होगा

    Nice poem. Thanks.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  6. सारगर्भित, सटीक शब्द चयन, सरस, सहज बोधगम्य, मोहक रचना ...साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  7. kumaar ji ko is behatarin kavita ke liye dhero badhaayee ..


    arsh

    जवाब देंहटाएं
  8. कुमार जी बेहतरीन कविता की बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. कुमार विश्वास समय और पीढी की नब्ज समझ कर लिखने वाले कवियों में हैं। प्रभावित करने वाली कविता है।

    जवाब देंहटाएं
  10. विश्वास जी, आपको जितना पढना अच्छा लगता है उससे लाखों गुना ज्यादा सुनना... (और एक अच्छी कविता के बजायाव्ता आपको पढ़ना भी करोड़ गुना ज्यादा अच्छा लगता है ) आपका पॉडकास्ट मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए...

    जवाब देंहटाएं
  11. आहहाहा....कुमार साब की कविता के तो हम ऐसे ही मुरीद रहे हैं।
    ये पंक्तियाँ "जो सूरज को पिघलाती है व्याकुल उन साँसों को देखूँ/या सतरंगी परिधानों पर मिटती इन प्यासों को देखूँ".....यूं तो पूरी कविता ही अद्‍भुत है और कुमार विश्वास जी की कलम से उपजी है तो अद्‍भुत तो होनी ही है...

    "किस्से को हकीकत में बदल कर हंगामा" मचाने वाले इस अनूठे कवि को नमन !!!

    जवाब देंहटाएं
  12. इस बेहतरीन रचना के लिये कुमार जी का आभार । प्रत्येक पंक्ति संजोने लायक है ।

    जवाब देंहटाएं
  13. कुमार विश्वास की रचनायें प्रभावित करती है। वे केवल मंचीय कवि ही नहीं है साहित्य उनकी पंक्तियों में ठोस पैठा है।

    जवाब देंहटाएं
  14. डा. कुमार विश्वास जी को मंच पर सुनना और पढना दोनों ही एक सुखद एहसास हैं...
    इस कविता के माध्यक से कवि के कोमल मन के भाव उजागर करते हुये शब्द मन को छू जाते हैं..
    शब्द चयन व भाव अनूठे हैं..

    जवाब देंहटाएं
  15. aadarniya kumar ji

    aapko to bahut suna hai maine youtube me aur aksar kahin kahin ga bhi leta hoon ..

    sir ji is kavita ke dwara aapne hum saare kaviyon ko ek samman diya hai ...

    mera naman hai aapko..

    itni acchi rachna ke liye badhai sweekar karen...
    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  16. कलरव ने सूनापन सौंपा मुझको अभाव से भाव मिले
    पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले
    सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना
    शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना
    पीडा की इस मधुशाला में
    आँसू की खारी हाला में
    तन-मन जो आज डुबो देगा
    वह ही युग का मीना होगा
    मै कवि हूँ जब तक पीडा है
    तब तक मुझको जीना होगा

    धन्यबाद
    ........

    जवाब देंहटाएं
  17. मधुशाला की वो पंक्ति याद आयी
    "पीडा में आनंद जिसे हो आये मेरी मधुशाला "
    .....
    या कहिए तो एक कवी की मधुशाला

    जवाब देंहटाएं
  18. कुमार विश्वास की रचना ,बेहतरीन कविता बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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