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माँ ! तुम याद बहुत आती हो.....[कविता] - सुधा ओम ढींगरा

मेरा बच्चा,
जब हँसता,
रोता,
अठखेलियाँ करता है,
ऐसा लगता है
मानों लौट आया हो
बचपन मेरा.
बच्चे को देख
जब ख़ुश होती हूँ तो
महसूस होता है
तुम मुझ में खड़ी--
मुझी को निहारती हो.....
माँ! तुम याद बहुत आती हो.......

<span title=साहित्य शिल्पी" width="100" align="left" border="0">रचनाकार परिचय:-


पंजाब के जालंधर शहर में जन्मी डा. सुधा धीगरा हिन्दी और पंजाबी की सम्मानित लेखिका हैं। इनकी कई रचनाये जैसे- मेरा दावा है (काव्य संग्रह-अमेरिका के कवियों का संपादन ), तलाश पहचान की (काव्यसंग्रह) ,परिक्रमा (पंजाबी से अनुवादित हिन्दी उपन्यास), वसूली (कथा- संग्रह हिन्दी एवं पंजाबी), सफर यादों का (काव्य संग्रह हिन्दी एवं पंजाबी), माँ ने कहा था (काव्य सी.डी). पैरां दे पड़ाह (पंजाबी में काव्यसंग्रह), संदली बूआ (पंजाबी में संस्मरण) आदि प्रकाशित हैं।

अमेरिका में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये कार्यरत डा. सुधा को अनेक सम्मान प्राप्त हुये हैं जिनमें अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान (२००६), सर्वोतम कवयित्री (२००६) आदि हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति (अमेरिका) द्वारा हिन्दी के प्रचार -प्रसार एवं सामाजिक कार्यों के लिए भी कई बार सम्मानित की गई हैं।

पता है माँ,
बच्चे को जब दुलारती हूँ,
प्यार करती हूँ,
सोए को जगाती हूँ,
रूठे को मनाती हूँ,
वही बातें मुहँ से निकलती हैं
जो तुम
मुझे कहा करती थी--
मेरे होंठों से लोरी भी तुम्हीं सुनाती हो....
माँ ! तुम याद बहुत आती हो.....

सुना तुमने,
मैं वैसे ही गुस्सा हुई
बच्चे पर,
जैसे तुम मुझ पर होती थी,
आवाज़ भी वही
और अंदाज़ भी वही.
कुदरत की कैसी यह लीला है?
माँ बनने के बाद,
माँ की महिमा
और भी बढ़ जाती है--
पल- पल इसका आभास कराती हो.....
माँ! तुम याद बहुत आती हो......

हर माँ,
हर लड़की में बसती है,
माँ बनने के बाद वह उभरती है.
नया कुछ नहीं
किस्सा सब पुराना है
सदियों से चला आ रहा फसाना है--
इस बात को ढंग से समझाती हो......
माँ! तुम याद बहुत आती हो......

क्षण -क्षण,
बच्चे में ख़ुद को
ख़ुद में तुम को पाती हूँ,
जिंदगी का अर्थ,
अर्थ से विस्तार,
विस्तार से अनन्त का
सुख पाती हूँ--
मेरे अन्तस में दर्प के फूल खिलाती हो...
माँ! तुम याद बहुत आती हो......

एक टिप्पणी भेजें

27 टिप्पणियाँ

  1. मां की महिमा अपरंपार
    कितना दिए जाओ विस्‍तार

    फिर भी मन नहीं भरता है
    बचपन तुझमें सबका अठखेलियां करता है

    जवाब देंहटाएं
  2. माँ के व्यक्तित्व को बहुत ही अच्छे ढंग से उकेरती कविता पसन्द आई...


    मदर्स डॆ के अवसर पर इतनी बढिया रचना प्रस्तुत करने के लिए सुधा जी के साथ-साथ साहित्य शिल्पी को भी बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. क्षण -क्षण,
    बच्चे में ख़ुद को
    ख़ुद में तुम को पाती हूँ,
    जिंदगी का अर्थ,
    अर्थ से विस्तार,
    विस्तार से अनन्त का
    सुख पाती हूँ--
    मेरे अन्तस में दर्प के फूल खिलाती हो...
    माँ! तुम याद बहुत आती हो......

    हर दिन ही मदर्स डे है।

    जवाब देंहटाएं
  4. मातृ दिवस पर इस रचना नें साहित्य शिल्पी का स्तर बढाया है। सुधा जी आपनें बहुत संवेदित करने वाली कविता लिखी है।

    जवाब देंहटाएं
  5. Happy Mothers Day. Nice Poem.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  6. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

    जवाब देंहटाएं
  7. माँ का वर्णन करने में शब्द कम पड़ जाते हैं। इस गीत में मन के भावों को सुन्दर अभिव्यक्ति दी गई है।

    जवाब देंहटाएं
  8. जी हाँ, माँएँ होती ही ऐसी हैं, वे बहुत याद आया करती हैं। जीवन के हर रणक्षेत्र में माँ हमारे साथ ही खड़ी होती है ! माँ जैसा दुनिया में कोई नहीं होता, ममता की मूरत माँ पर कितना भी लिखें, सागर में बूँद बराबर होगा।

    जवाब देंहटाएं
  9. maa ke gungaan me jitna likhaa jaye kam hai ... bahot hi sadhi hui shabd me kahaa hai aapne achhe bhav ke saath


    arsh

    जवाब देंहटाएं
  10. माँ बनने के बाद,
    माँ की महिमा
    और भी बढ़ जाती है--
    पल- पल इसका आभास कराती हो.....

    छू गयी आपकी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  11. ’मां ! तुम बहुत याद आती हो....’ सुधा जी की इस कविता ने मुझमें एक हलचल पैदा कर दी और मैं मां की यादों में डूब गया. मेरी शैतानी पर मां किस प्रकार छड़ी लेकर मुझे दौड़ाती थीं और मैं हंसता हुआ घर के आंगन मे बिछी चारपाई के चारों ओर चक्कर काटता रहता था और मेरे पीछे मां भी दौड़ती रहती थी और अंत में थककर बैठ जाती थीं. मैं खिलखिलाता फिर बाहर भाग जाया करता था.

    सुधा जी , इतनी अच्छी कविता के लिए आपको ढेरों बधाई.

    और ’मदर्स डे’ पर इसे प्रस्तुत करने के लिए राजीव जी आपको धन्यवाद.

    चन्देल

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत कविता पढें और अपनी माँ के प्यार,अहसास और त्याग को जिंदा रखें
    कविता पढने नीचे क्लीक करें
    सताता है,रुलाता है,हाँथ उठाता है पर वो मुझे माँ कहता है

    जवाब देंहटाएं
  13. मां तूने दिया हमको जन्म
    तेरा हम पर अहसान है
    आज तेरे ही करम से
    हमारा दुनिया में नाम है
    हर बेटा तुझे आज
    करता सलाम है

    जवाब देंहटाएं
  14. बिलकुल सच ...जब औरत माँ बनती है तभी अपनी माँ को महसूस कर पाती है ....दिल को छूती रचना ....

    जवाब देंहटाएं
  15. SUDHA JEE ,AAPNE "MAA,TUM YAAD
    BAHUT AATEE HO"KAVITA MEIN JAN-
    JAN KEE VAANEE KO MUKHRIT KIYA HAI.
    PANJABEE MEIN KAHTE HAIN---"MAAVAN
    THANDIYAN CHHAAVAAN" .AAPNE IS UKTI
    KO BADEE SAADGEE AUR SUNDARTAA SE
    CHARITARTH KIYAA HAI.MAA KEE
    MAHAANTAA KE AAGE TO DEVTA BHEE
    NATMASTAK HAIN.UMDAA KAVITA KE LIYE
    AAPKO DHERON BADHAAEEYAN.

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही बेहतरीन कविता लिखी है आपने

    जवाब देंहटाएं
  17. माँ बनने के बाद,
    माँ की महिमा
    और भी बढ़ जाती है--
    सुधा जी,
    आपकी माँ जी को याद कर
    लिखी ये बिरदावली सी कविता
    बहुत पसँद आयी -
    स स्नेह, सादर,
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  18. सुधा जी बहुत अच्छी कविता। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  19. क्षण -क्षण,
    बच्चे में ख़ुद को
    ख़ुद में तुम को पाती हूँ,
    जिंदगी का अर्थ,
    अर्थ से विस्तार,
    विस्तार से अनन्त का
    सुख पाती हूँ--
    मेरे अन्तस में दर्प के फूल खिलाती हो...
    माँ! तुम याद बहुत आती हो......

    बेहद अच्छी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  20. निधि अग्रवाल जी
    आपकी रचना निधि में
    रचनायें नहीं हैं जी
    आपका ई मेल पता भी नहीं है
    कमेंट बाक्‍स भी नहीं है

    जवाब देंहटाएं
  21. बचपन में एक गीत सुना था...

    मां ही गंगा, मां ही जमुना, मां ही तीर्थधाम
    मां का सर पर हाथ जो होवे क्या ईश्वर का काम

    सचमुच मां का स्थान सब से ऊपर है.. इस भावभिनी रचना को पढवाने के लिये सुधा जी का आभार

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत ही भावपूर्ण, सुन्दर रचना है |

    अवनीश तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  23. क्षण -क्षण,
    बच्चे में ख़ुद को
    ख़ुद में तुम को पाती हूँ,
    जिंदगी का अर्थ,
    अर्थ से विस्तार,
    विस्तार से अनन्त का
    सुख पाती हूँ--

    बहूत ही गहरी............माँ को जैसे जीलिया
    जितना पढो उतना ही दिल में गहरी उतरती है

    जवाब देंहटाएं
  24. sudha ji
    kitni bariki se aap ne hum sabhi ki baat kah di .bahut khoob dil ko chune wali kavita
    saader
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  25. sudha ji ,

    aapki rachna ko padhkar main apne bachpan me pahunch gaya ..

    itni acchi kavita ke liye badhai sweekar karen...

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  26. khoob
    bahut khoob
    bahut bahut khoob

    gazab ki kavita

    maaki kavita

    maa jaisee kavita

    _____________BADHAI !

    जवाब देंहटाएं

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