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मैं चाहता हूँ [कविता] - मंगलेश डबराल


साहित्य शिल्पी परिवार मंगलेश डबराल को उनके जन्मदिवस की शुभकामनायें देता है।


समकालीन कवियों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को काफलपानी गाँव, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ। आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं - पहाड़ पर लालटेन (1981); घर का रास्ता (1988); हम जो देखते हैं (1995)आदि। आपको अनेकों सम्मानों से नवाजा गया है जिनमें - ओमप्रकाश स्मृति सम्मान (1982); श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार (1989) और " हम जो देखते हैं" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000) आदि प्रमुख हैं।
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कवि का जन्मदिन उनकी कविता के आस्वादन के साथ अपने पाठको के बीच मनाने से बेहतर क्या होता? हम प्रस्तुत हैं डबराल जी के चर्चित काव्य-संग्रह " हम जो देखते हैं" से साभार उद्धरित इस कविता के साथ।
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मैं चाहता हूँ कि स्पर्श बचा रहे
वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ
आततायी की तरह गुज़रता है
बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद
धरती के किसी छोर पर पहुँचने जैसा होता है

मैं चाहता हूँ स्वाद बचा रहे
मिठास और कड़वाहट से दूर
जो चीज़ों को खाता नहीं है
बल्कि उन्हें बचाए रखने की कोशिश का
एक नाम है

एक सरल वाक्य बचाना मेरा उद्देश्य है
मसलन यह कि हम इंसान हैं
मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे
सड़क पर जो नारा सुनाई दे रहा है
वह बचा रहे अपने अर्थ के साथ

मैं चाहता हूँ निराशा बची रहे
जो फिर से एक उम्मीद
पैदा करती है अपने लिए

शब्द बचे रहें
जो चिड़ियों की तरह कभी पकड़ में नहीं आते
प्रेम में बचकानापन बचा रहे
कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा ।

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9 टिप्पणियाँ

  1. मंगलेष डबराल जी को जन्मदिवस की शुभकामनायें। निर्विवाद रूप से वे समकालिईन कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. शब्द बचे रहें
    जो चिड़ियों की तरह कभी पकड़ में नहीं आते
    प्रेम में बचकानापन बचा रहे
    कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा ।

    अच्छी रचना है। मंगलेश जी को शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बधाई डबराल जी। बहुत अच्छी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  4. sabse pahle to main sahitya shilpi ko badhai dena chahunga ki unhone dabraal ji ki kavita ko prastuth kiya hai , jo apne aap me bahut badi baat hai ...

    dabraal ji ko janamdin ki badhai aur mujhe khushi hai ki maine pahle bhi unki rachnao ko padha hai ..

    prastuth kavita ke bhaav bahut gahre hai .. jeevan ki philosphy ko bahut hi gambheer roop se darshaya gaya hai ..

    main itni acchi kavita ke liye unhe badhai deta hoon aur nama karta hoon..

    aabhar..

    जवाब देंहटाएं
  5. Happy B'Day Dabraj ji. Nice Poem. Thanks.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  6. shabd k param sadhak shri dabralji ko hardik badhaiyan...
    AAPKE BLOG PAR AAKAR BAHUT SUKH MILA........

    जवाब देंहटाएं
  7. साहित्य शिल्पी का हिन्दी के लिये समर्पण देखते ही बनता है। बडे साहित्यकारों को उनके महत्वपूर्ण दिवसों पर याद करना बडा काम है। मंगलेश डबराल को बधाई और साहित्य शिल्पी को धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. म्ंगलेश डबराल को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. मन की गहराईयों का मंथन कर लिखी गई रचना..

    जवाब देंहटाएं

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