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रात चले, तू जले ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या है [ग़ज़ल] - धीरेन्द्र सिंह

रात चले, तू जले ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या है
आई है तो जायेगी, ऐ ख़ुशी तेरा क्या है

मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं
सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है

आज उजाला है तो , कल अँधेरा भी होगा
पखवारे-पखवारे आये चांदनी तेरा क्या है

जोड़ लूँ ख़ुशी के लम्हे आया बहुत दिन बाद
तू भी कल को चल देगा अजनबी तेरा क्या है

धुंआ उठा है तो कुछ जला भी होगा "काफ़िर"
ठहर जा वारिश तू भी आई गयी तेरा क्या है

साहित्य शिल्पीरचनाकार परिचय:-


धीरेन्द्र सिंह का जन्म १० जुलाई १९८७ को छतरपुर जिले के चंदला नाम के गाँव में हुआ था | आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चंदला में ही पूरी की। वर्तमान में आप इंदौर में अभियन्त्रिकी में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं| कविताएँ लिखने का शौक आपको अल्पायु से ही था, किन्तु पन्नो में लिखना कक्षा नवीं से प्रारंभ किया | आप हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में रचनाएं लिखते हैं। आपका 'काफ़िर' तखल्लुस है |

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16 टिप्पणियाँ

  1. धुंआ उठा है तो कुछ जला भी होगा "काफ़िर"
    ठहर जा वारिश तू भी आई गयी तेरा क्या है

    लाजवाब शेर सब के सब..........काफिराना ग़ज़ल है

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  2. मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं
    सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है
    वाह, बहुत अच्छे शेर।

    जवाब देंहटाएं
  3. dheerendra ji ,

    namaskar ..

    abhi abhi aapki gazal padhi ... kya khoob likha hai yaar...

    आज उजाला है तो , कल अँधेरा भी होगा
    पखवारे-पखवारे आये चांदनी तेरा क्या है

    aur ye bhi kuch kam nahi mere dost..

    जोड़ लूँ ख़ुशी के लम्हे आया बहुत दिन बाद
    तू भी कल को चल देगा अजनबी तेरा क्या है

    maza aa gaya janaab , meri dil se badhai sweekar karen itne shaandar gazal par...शायरी तेरा क्या है... waah waah ji waah ..

    dhanyawad ..
    vijay

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन गजल। श्री धीरेन्द्र सिंह युवा हैं मगर जानदार लिखते हैं। भई, हम तो ऐसे गजलों पर फ़ना हो जाया करते हैं!***सुशील कुमार

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  5. धीरेन्द्र जी,
    ग़ज़ल पढ कर आनंद आ गया। मेरे पसंद के शेर हैं:-
    रात चले, तू जले ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या है
    आई है तो जायेगी, ऐ ख़ुशी तेरा क्या है

    मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं
    सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है

    धुंआ उठा है तो कुछ जला भी होगा "काफ़िर"
    ठहर जा वारिश तू भी आई गयी तेरा क्या है

    जवाब देंहटाएं
  6. Waah !! Waah !!

    Bahut khoob ! Lajawaab !!

    Har sher par munh se apne aap waah nikal gaya..

    जवाब देंहटाएं
  7. bahut-bahut dhanywaad dosto.........
    bado ko mera pranaam....
    aap logon ko bata dun ki yah ghazal mere kavita sangrah-''spandan'' ki dwiteey antim ghazal hai meri kitaab bhi sheeghra baazaar me aane waali hai....

    जवाब देंहटाएं
  8. अच्छी ग़ज़ल धीरेन्द्र जी..
    खास कर ये शेर "मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं/सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है" तो बहुत जबरदस्त बन पड़ा है

    जवाब देंहटाएं
  9. DHEERENDRA JEE,ACHCHHE KAUSHISH
    HAI.KAUSHISH ZAAREE RAHNEE CHAHIYE.

    जवाब देंहटाएं
  10. "chota baccha jan ke mujhse na takrana re"
    aapko padhne ke baad yahi pangtiyan yaad aae.................
    bahut khub dhirendra jee...
    umar bhale kam hai par lekhni me bahut dam hai.............

    meri badhae swikar karen.........................
    vivekanand yadav"bhola"

    जवाब देंहटाएं
  11. ग़ज़ल पढ़ी -वाह क्या बात है --
    खूबसूरत शे'र -
    रात चले, तू जले ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या है
    आई है तो जायेगी, ऐ ख़ुशी तेरा क्या है

    मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं
    सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है
    बहुत -बहुत बधाई.
    खूब लिखें--

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर भावयुक्त गजल.. सभी शेर अच्छे बन पडे हैं.. बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. रात चले, तू जले ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या है
    आई है तो जायेगी, ऐ ख़ुशी तेरा क्या है

    मै वाशिंदा उस शहर का , जिसे वक़्त नहीं
    सफहों में दबी रह जा, शायरी तेरा क्या है
    shayree se itar shayar kee jindgee kyaa hai
    shayree kee diary kho jaye to shayar ke jeevan mai rakkha kya hai

    आज उजाला है तो , कल अँधेरा भी होगा
    पखवारे-पखवारे आये चांदनी तेरा क्या है

    pakhware mai bhee kambakhat chandnee kahaa aate hai poore maheene mai hee deedear ho paate hain
    जोड़ लूँ ख़ुशी के लम्हे आया बहुत दिन बाद
    तू भी कल को चल देगा अजनबी तेरा क्या है
    dukh kee karunaa bharee kathaa mai sukh to mahaj prasang hain ( atma prakash shukla )
    धुंआ उठा है तो कुछ जला भी होगा "काफ़िर"
    ठहर जा वारिश तू भी आई गयी तेरा क्या है
    kych jaltaa hai to jalne de
    vaarish mai nahaa aur aish bheekar

    very realistic and representative poem of my younger brother dheerendra

    जवाब देंहटाएं
  14. thank you bhaiya........'hari sharma ji' aur mere abhinn jyastho ewam mere dosto aapki pratikriya mujhe jeewan ghoont deti hai.....aapkeabhinn samay ke liye main aap sabhi ka abhinandan karta hu......dhanywaad deta hu...

    जवाब देंहटाएं

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