
बोतलों से जिन्न निकाले जाएँगे
आज फिर मुद्दे उछाले जाएँगे.
सतपाल ख्याल ग़ज़ल विधा को समर्पित हैं। आप निरंतर पत्र-पत्रिकाओं मे प्रकाशित होते रहते हैं।
आप सहित्य शिल्पी पर ग़ज़ल शिल्प और संरचना स्तंभ से भी जुडे हुए हैं तथा ग़ज़ल पर केन्द्रित एक ब्लाग aajkeeghazal.blogspot.com/ का संचालन भी कर रहे हैं।
आपका एक ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन है। अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
वक्त की काई जिन्हें ढकती रही
ताल वो फिर से खँगाले जाएँगे.
इस तरफ मस्जिद गिरी तो उस तरफ़
राम मंदिर से निकाले जाएँगे.
मुफ़लिसी मे बाप का साया गया
अब से बच्चों के निवाले जाएँगे.
आज संसद मे हमारे सब सवाल
गेंद के जैसे उछाले जाएँगे
तेज़ तूफ़ां मे दरख्तों से भला
कैसे ये पत्ते सँभाले जाएँगे.
वो रहे लशकर अँधेरों के "ख्याल"
ज़िंदगी से अब उजाले जाएँगे.
30 टिप्पणियाँ
इस तरफ मस्जिद गिरी तो उस तरफ़
जवाब देंहटाएंराम मंदिर से निकाले जाएँगे.
मुफ़लिसी मे बाप का साया गया
अब से बच्चों के निवाले जाएँगे.
आज संसद मे हमारे सब सवाल
गेंद के जैसे उछाले जाएँगे
ग़ज़ल लाजवाब है, एक एक शेर बेहतरीन।
वाह वाह वाह .....सतपाल जी की ग़ज़ल..............कमाल का लिखा है..........यथार्त को, सत्य को ग़ज़ल में शीशे कीतरह उतार दिया.......लाजवाब
जवाब देंहटाएंकिसी भी एक शेर को चुनु ये मेरे बस में नहीं है
कमाल लिखा है आपनें। हर शेर में दुष्यंत वाला तेवर।
जवाब देंहटाएंतेज़ तूफ़ां मे दरख्तों से भला
जवाब देंहटाएंकैसे ये पत्ते सँभाले जाएँगे.
बहुत अच्छी ग़ज़ल है। तीखे तेकर के साथ।
अति सुंदर।
जवाब देंहटाएंTEJ TOOFAAN ...YE SHE'R SATPAAL JI KHAASA BADHIYAAA LIKHAA HAI AAPNE.. BAHOT HI KAMAAL KE SHE'R KAHE HAI AAPNE GAZAL ME ... DHERO BADHAAYEE
जवाब देंहटाएंARSH
SATPAL JEE,ACHCHHEE GAZAL KE LIYE
जवाब देंहटाएंBADHAEE AUR SHUBH KAMNYEN.
SATPAL JEE,ACHCHHEE GAZAL KE LIYE
जवाब देंहटाएंBADHAAEE AUR SHUBH KAMNAYEN.
वाह ! वाह ! वाह ! लाजवाब ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंसच को खूबसूरती से बयां करता हर शेर कबीले दाद...वाह !!
वाह सतपाल जी वाह... क्या खूब कहा है... बधाई स्वीकारें..
जवाब देंहटाएंउदाहरण बन जाने वाली गज़ल है।
जवाब देंहटाएंअनुज कुमार सिन्हा
भागलपुर
इस तरफ मस्जिद गिरी तो उस तरफ़
जवाब देंहटाएंराम मंदिर से निकाले जाएँगे.
सुन्दर गजल
सभी शेर एक से बढ़ कर एक
वीनस केसरी
सतपाल जी को सलाम बजाता हूँ इस बेमिसाल ग़ज़ल पर...मतले पर ही पहले तो कितनी देर तक ठिठका रहा...अहा!
जवाब देंहटाएंहर शेर नायाब
वक्त की काई जिन्हें ढकती रही- वाला हो या फिर राम मंदिर से निकाले जाएँगे- वाला
करो़ड़ों बधाईयां !!
सतपाल बहुत बढ़िया ग़ज़ल -बधाई
जवाब देंहटाएंमुझे ब्लागिंग की कामेंट महिफ़िलों से अब डर सा लगने लगा है और इसी डर को लेकर मेरा ये एक शे’र सब के लिए:
जवाब देंहटाएंसताइश भी नहीं सच्ची
हैं नुक्ताचीं भी सब झूठे.
मैं महिफ़िल मे तो आता हूँ
मगर डरता हूँ दोनों से.
सादर
ख्याल
मेरे शे’र को अन्यथा न लें मैं सब का आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंअनन्या का,digambar ka,anil ka,nandan ka,ashabd ka,arsh ka,Pran ji ka, ranjana ji ka aur sudha ji ka...
aur ranjan ji ka ki mere ghazal publish karne ka.
Thanks to all
Hai bahut umdah ghazal Satpal ki
जवाब देंहटाएंPesh karta hoon mubarakbaad main
Is mein asri aagahi ki hai jhalak
jisko psdh kar hoon nehayat shaad main
Qabil e taareef hain unke vichaar
De raha hoon jiski unko daad main
Ahmad Ali Barqi Azmi
New Delhi-110025
satpalji
जवाब देंहटाएंbehtareen ghazal ke liye badhaai
jogeshwar garg
shandaar bahut sundar vyangaatmak abhivyakti ke saath sundar ghazal
जवाब देंहटाएंबोतलों से जिन्न निकाले जाएँगे
जवाब देंहटाएंआज फिर मुद्दे उछाले जाएँगे.
वो रहे लशकर अँधेरों के "ख्याल"
ज़िंदगी से अब उजाले जाएँगे.
Great!
RC
ताज़ातरीन विष्य पर लिखी गई गज़ल बहुत पसन्द आई...
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें
aadarniya satpaal ji
जवाब देंहटाएंaapoke gazal lekhan ka to mainkaayal hoon sir ji
aap bahut hi behatreen dhang se apni baat kahte hai ...
ye lines to hamne kuch sochane par mazboor karti hai .
इस तरफ मस्जिद गिरी तो उस तरफ़
राम मंदिर से निकाले जाएँगे.
मुफ़लिसी मे बाप का साया गया
अब से बच्चों के निवाले जाएँगे.
meri dil se badhai sweekar kariyenga pls.
dhanyawad
vijay
आपकी गजल तो प्यारी है ही... शेर भी बहुत उम्दा है... जो आपने टिप्पणी में लिखा है..
जवाब देंहटाएंसताइश भी नहीं सच्ची
हैं नुक्ताचीं भी सब झूठे.
मैं महिफ़िल मे तो आता हूँ
मगर डरता हूँ दोनों से.
मेरे शब्दों में
यकीं न भी आये तो
यकीं करना पडता है
जमाना है और जमाने में
उसी की रीत चलती है
इस गज़ल की तारीफ में सिर्फ इतना कहूंगा- इस गज़ल के कई शेर मेरी स्क्रिप्ट को वजन देने के काम आएंगे...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
सादर,
खबरी
http://deveshkhabri.blogspot.com/
बहुत अछ्छे शेर ...........बधाई.......
जवाब देंहटाएंकवि दीपक गुप्ता
www.kavideepakgupta.com
ग़ज़ल के शायर ने अपने ख्याल में
जवाब देंहटाएंआज के सिआसी समाजी और सकाफती
इक्दार की मंज़रकशी की है
कायम रहो दायम रहो
शुभ कामनाएं
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
मुफ़लिसी मे बाप का साया गया
जवाब देंहटाएंअब से बच्चों के निवाले जाएँगे
तेज़ तूफ़ां मे दरख्तों से भला
कैसे ये पत्ते सँभाले जाएँगे.
ye do sher kuch jyada hi acche lage ..
Bhai Satpal ji,
जवाब देंहटाएंachchhi ghazal kahi hai, badhai.
tej toofan men darakhton se bhalaaa,
kaise ye patte sanbhale jayenge.
sunder sher hai.punah badhai.
वक्त की काई जिन्हें ढ्कती रही, ताल वो फिर से खंगाले जायेंगे। उम्दा शे'र , अच्छी ग़ज़ल्।
जवाब देंहटाएंI am glad to read the blog.
जवाब देंहटाएंThank you...
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