
मेरे घर में बहुत जरूरी चीजें हैं
जो बहुत कीमती हैं
ये बाज़ार में नही मिलती हैं
पुरखों से मिले संस्कार
और माता-पिता के आशीष से भरा है
डॉ.एस.एस. धुर्वे (डॉ. नंदन) का जन्म 5 अक्टूबर 1969 को बिलासपुर (छतीसगढ) में हुआ। आप एम.ए (हिन्दी), बी.एड, एल.एल.बी, पी.एच.डी (कवि नागार्जुन की कविताओं का वैचारिक परिप्रेक्ष्य: एक अनुशीलन) हैं। आप कथादेश, सर्वनाम, आकंठ, सूत्र, असुविधा जैसी पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं। आपकी रचनाओं का समाचार पत्रों में भी नियमित प्रकाशन होता रहा है। वर्तमान में आप अरुणाचल प्रदेश में पोस्टेड हैं तथा केन्द्रीय विद्यालय में प्राचार्य के पद पर हैं।
यह मेरा छोटा सा घर
जहाँ बहुत सारी खुशियाँ हैं
बच्चों के लिए ढेर सारा प्यार
आपसी समझ और विश्वास के साथ
पत्नी के लिए थोडा सा वक्त
थोडी-थोडी भूख और नींद है
जो हम सबके लिए जरूरी है
इन सबके साथ अपने घर में
मैं बचाकर रखता हूँ
थोडी-सी चेतना,थोडी जिज्ञासा
थोडी-सी चिंता, थोडी आशा
थोडी-थोडी भावुकता, नैतिकता
प्रेम, घृणा, सादगी, सम्मान
संवाद और ज़रूरी गुस्सा
आगत भविष्य के लिए
*********
मैं बचाकर रखता हूँ
थोडी-सी चेतना,थोडी जिज्ञासा
थोडी-सी चिंता, थोडी आशा
थोडी-थोडी भावुकता, नैतिकता
प्रेम, घृणा, सादगी, सम्मान
संवाद और ज़रूरी गुस्सा
आगत भविष्य के लिए
*********
7 टिप्पणियाँ
इन सबके साथ अपने घर में
जवाब देंहटाएंमैं बचाकर रखता हूँ
थोडी-सी चेतना,थोडी जिज्ञासा
थोडी-सी चिंता, थोडी आशा
थोडी-थोडी भावुकता, नैतिकता
प्रेम, घृणा, सादगी, सम्मान
संवाद और ज़रूरी गुस्सा
आगत भविष्य के लिए
उत्कृष्ट कविता।
जीवन के नजदीक से गुजरती एक अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएं-----------
TSALIIM
SBAI
nandan ji
जवाब देंहटाएंइन सबके साथ अपने घर में
मैं बचाकर रखता हूँ
थोडी-सी चेतना,थोडी जिज्ञासा
थोडी-सी चिंता, थोडी आशा
थोडी-थोडी भावुकता, नैतिकता
प्रेम, घृणा, सादगी, सम्मान
संवाद और ज़रूरी गुस्सा
आगत भविष्य के लिए
in panktiyon me aapne jeevan ki gahraiyon ko aur maanav man ki kamjoriyon ko chua hai ...
kavita bahut prabhavshalli ban padhi hai ..
dhanyawad.
vijay
प्रभावित करने वाली कविता।
जवाब देंहटाएंइन सबके साथ अपने घर में
जवाब देंहटाएंमैं बचाकर रखता हूँ
थोडी-सी चेतना,थोडी जिज्ञासा
थोडी-सी चिंता, थोडी आशा
थोडी-थोडी भावुकता, नैतिकता
प्रेम, घृणा, सादगी, सम्मान
संवाद और ज़रूरी गुस्सा
आगत भविष्य के लिए
bahut sunder likha hai
badhai
rachana
अरे इतने अमीर हैं आप... अपने घर का पता बताईये... मैं आता हूं डाका डालने...
जवाब देंहटाएंजहां ना होता सम्मान और प्यार,
जवाब देंहटाएंवो घर नहीं , वो तो है इक मकान
सुन्दर रचना
अवनीश तिवारी
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.