कथा (यू के) के मुख्य सचिव एवं प्रतिष्ठित कथाकार श्री तेजेन्द्र शर्मा ने लंदन से सूचित किया है कि वर्ष 2009 के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान उपन्यातसकार श्री भगवानदास मोरवाल को राजकमल प्रकाशन से 2008 में प्रकाशित उपन्यास रेत पर देने का निर्णय लिया गया है।

इस सम्मान के अन्तर्गत दिल्ली - लंदन - दिल्ली का आने जाने का हवाई यात्रा का टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित) एअरपोर्ट टैक्स़, इंगलैंड के लिए वीसा शुल्क़, एक शील्ड, शॉल, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के खास खास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होंगे। यह सम्मान श्री मोरवाल को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में 09 जुलाई 2009 की शाम को एक भव्य आयोजन में प्रदान किया जायेगा।
इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गयी थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान सुश्री चित्रा मुद्गल, सर्वश्री संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एस आर हरनोट, विभूति नारायण राय, प्रमोद कुमार तिवारी, असग़र वजाहत, महुआ माजी एवं नासिरा शर्मा को प्रदान किया जा चुका है।
23 जनवरी 1960 को नगीना, मेवात में जन्मे भगवानदास मोरवाल ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। उन्हें पत्रकारिता में डिप्लोमा भी हासिल है।मोरवाल के अन्य प्रकाशित उपन्यास हैं काला पहाड़ (1999) एवं बाबल तेरा देस में (2004)। इसके अलावा उनके चार कहानी संग्रह, एक कविता संग्रह और कई संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल्ली हिन्दी अकादमी के सम्मानों के अतिरिक्त मोरवाल को बहुत से अन्य सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनके लेखन में मेवात क्षेत्र की ग्रामीण समस्याएं उभर कर सामने आती हैं। उनके पात्र हिन्दू-मुस्लिम सभ्यता के गंगा जमुनी किरदार होते हैं। कंजरों की जीवन शैली पर आधारित उपन्यास रेत को लेकर उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।
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वर्ष 2009 के लिए पद्मानन्द साहित्य सम्मान श्री मोहन राणा को उनके कविता संग्रह धूप के अन्धेरे में (2008 – सूर्यास्त्र प्रकाशन, नई दिल्ली) के लिए दिया जा रहा है। मोहन राणा का जन्म 1964 में दिल्ली में हुआ. वे दिल्ली विश्वविद्यालय से मानविकी में स्नातक हैं, आजकल ब्रिटेन के बाथ शहर के निवासी हैं। उनके 6 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. भारत में साहित्य की मुख्यधारा के आलोचक उन्हें हिन्दी का महत्वपूर्ण लेखक मानते हैं। कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार - हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता.

इससे पूर्व इंगलैण्ड के प्रतिष्ठित हिन्दी लेखकों क्रमश: डॉ सत्येन्द श्रीवास्तव, सुश्री दिव्या माथुर, श्री नरेश भारतीय, भारतेन्दु विमल, डा.अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेकना,गोविंद शर्मा, डा. गौतम सचदेव और उषा वर्मा को पद्मानन्द साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
कथा यू.के. परिवार उन सभी लेखकों, पत्रकारों, संपादकों मित्रों और शुभचिंतकों का हार्दिक आभार मानते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए लेखकों के नाम सुझा कर हमारा मार्गदर्शन किया और हमें अपनी बहुमूल्य संस्तुतियां भेजीं।
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10 टिप्पणियाँ
भगवान दास मोरवाल और मोहन राणा जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंइंदु शर्मा प्रतिष्ठित कथा सम्मान है। दोनों साहित्यकारों को इस उपलब्धि के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंयदि साहित्य शिल्पी इन पुरस्कृत पुस्तकों से रचनायें प्रस्तुत कर सके तो अच्छा होगा। यह मेरा अनुरोध है।
जवाब देंहटाएंCongrats.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
कथा यू.के एवं श्री तेजेन्द्र शर्मा को पंद्रहवे कथा सम्मान की घोषणाओं के लिये साहित्य शिल्पी परिवार की ओर से हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंलेखकों को बधाई और इस आयोजन के लिये कथा यू.के को भी।
जवाब देंहटाएंइंदु शर्मा कथा सम्मान के लिये श्री मोरवाल तथा पद्मानन्द साहित्य सम्मान के लिये श्री मोहन राणा जी को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंShri Bhagwandas Morval aur Shri Mohan Rana ko saMMan milne ki bahut bahut badhai.woh din hamare liye sach mein gaurav ka hoga jab London ke House Of Commons mein Hindi ke diggaj sammanit honge.
जवाब देंहटाएंaap dono ko bahut badhai.
Bahut Bahut badhai.
जवाब देंहटाएंRavi Kumar
मान्यवर,
जवाब देंहटाएंभगवान दास मोरवाल के ’रेत’ जैसे खराब उपन्यास को इन्दुशर्मा सम्मान देने से ’अंतर्राश्ट्रीय इन्दु शर्मा सम्मान’ की गरिमा घटी है. आज हिन्दी साहित्य की दुनिया में यह चर्चा का विषय है कि मोरवाल ने इस पुरस्कार को हस्तगत करने के लिए किस प्रकार की लाबीइंग की और किस प्रकार देनेवालों को प्रभावित किया. इस खेल में कई बड़े लोग भी शामिल हैं. हिन्दी साहित्य का दुर्भाग्य---!
बहुजन हिताय
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