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कुछ माहिया [कविता] - प्राण शर्मा


"महिया" पंजाब का प्रसिद्द लोकगीत है। यूँ तो इसमें श्रृंगार रस के दोनों पक्ष संयोग और वियोग रहते हैं लेकिन अब अन्य रस भी शामिल किये जाने लगे हैं। इस छंद में प्रेमी-प्रेमिका की नोंक-झोंक भी होती है। यह तीन पंक्तियों का छंद है। पहली और तीसरी पंक्ति में बारह मात्राएँ यानि 2211222 दूसरी पंक्ति में दस मात्राएँ यानि 211222 होती हैं। तीनों पंक्तियों में सारे गुरु (2) भी सकते हैं।

इसकी परिभाषा से
हम अनजान रहे
जीवन की भाषा से

रचनाकार परिचय:-


प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं।
आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' - दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।

सब कुछ पढ़कर देखा
पढ़ न सके लेकिन
जीवन की हम रेखा

आँखों में पानी है
हर इक प्राणी की
इक राम कहानी है

भावुकता में खोना
चलता आया है
मन का रोना-धोना

उड़ते गिर जाता है
कागज़ का पंछी
कुछ पल ही भाता है

नभ के बेशर्मी से
सड़कें पिघली हैं
सूरज की गर्मी से

कुछ ऐसा लगा झटका
टूट गया पल में
मिट्टी का इक मटका

हर बार नहीं मिलती
भीख भिखारी को
हर द्वार नहीं मिलती

सागर में सीप न हो
यह तो नहीं मुमकिन
मंदिर में दीप न हो

हर कतरा पानी है
समझो तो जानो
हर शब्द कहानी है

क्यों मुंह पे ताला है
चुप---चुप है राही
क्या देश- निकाला है

हर बार नहीं करते
अपनों का न्यौता
इनकार नहीं करते
---------------

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43 टिप्पणियाँ

  1. मुझे तो हाईकू से माहिया अधिक बेहतर लगने लगा है। बात कहने का अंदाज भी है और जटिलता भी नहीं है।

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  2. सच बात है कि हम अपने यहां की इतनी सुंदर विधा को छोड़कर हाइकू के चक्‍कर में पड़े रहते हैं । बहुत छोटे में बात को पूरा कर देना एक मुश्किल काम होता है और इसे प्राण साहब जैसा कोई उस्‍ताद ही कर सकता है । आनंद आ गया ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आँखों में पानी है
    हर इक प्राणी की
    इक राम कहानी है
    ati sundar !!
    maahiye ke khaas lay se naavakif log agar ye geet dhyaan me rakhke paRenge to maza do-guna ho jayega.bahut hi hit "mahia" hai.jo kisee zamane me kisi film me Mohd. rafi ne gaya tha...

    दिल देके दगा देंगे,
    यार हैं मतलब के,
    ये देंगे तो क्या देंगे

    दुनिया को दिखा देंगे
    यारों के पसीने पर हम
    ख़ून बहा देंगे
    बहुत धन्यवाद..प्राण साहब..आनंद आयेगा..प्रदेस
    मे माहिया लिखने का दुख और सुख आप बेहतर जानते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  4. प्राणजी किसी एक पँक्ति के लिये कहूँगी तो पूरे माहिया के साथ अन्याय होगा बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह वाह वाह !!! आनंद आ गया....
    संक्षिप्त वाक्यांशों में इतने गहन अर्थ !!! बहुत बहुत सुन्दर...
    पंकज जी की बातों से पूर्णतः सहमत हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  6. आँखों में पानी है
    हर इक प्राणी की
    इक राम कहानी है

    कुछ ऐसा लगा झटका
    टूट गया पल में
    मिट्टी का इक मटका

    सागर में सीप न हो
    यह तो नहीं मुमकिन
    मंदिर में दीप न हो

    परम आदरनीय प्राण साहेब साहेब मात्र तीन लाइनों, और वो भी बारह और दस मात्राओं की, में आपने पूरा जीवन दर्शन लिख दिया है...मैं आर्श्चय चकित हूँ...विस्मित हूँ...कैसे आप इतनी सादा जबान में ये कर पाए...वाह...धन्य हैं आप और आपकी विलक्षण रचना शीलता...आप से गुजारिश है की कभी माहिये का ये रूप पंजाबी में भी हम तक पहुंचाए ताकि जिस धरती से ये उपजे हैं उसकी सौंधी गंध हम तक पहुंचे...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  7. पंकज सुबीर जी और नीरज जी जैसे गुनी जनों नें जो बात कह दी है उसमें जोडने का सामर्थ तो नहीं यही कहूंगी कि यह छंद बहुत प्रभावित करने वाला है।

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय प्राण शर्मा जी से माध्यम से ही माहिया से पहला परिचय हुआ था जब साहित्य शिल्पी पर माँ विषयक माहिये पढने को मिले थे। आज इन माहियों को पढ कर यह यकीनन कह सकता हूँ कि छंद बहुत असरदार है।

    सब कुछ पढ़कर देखा
    पढ़ न सके लेकिन
    जीवन की हम रेखा

    उड़ते गिर जाता है
    कागज़ का पंछी
    कुछ पल ही भाता है

    कुछ ऐसा लगा झटका
    टूट गया पल में
    मिट्टी का इक मटका

    गहरे और गंभीर। बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. NEERAJ GOSWAMI JEE KE ANURODH PAR
    ROMAN LIPI MEIN PANJAABEE KAA EK
    " MAHIA" PRASTUT HAI----
    ROLA NAA PAAYAA KAR
    SAJNA DAA BELEE
    KAUVA N UDAAYAA KAR

    जवाब देंहटाएं
  10. MAINE AUR PANJAABEE RANG LAANE KE
    LIYE ISE YUN KAHA HAI--
    ROLA NAA PAA KUDIYE
    SAJNA DAA BELEE
    KAUVA N UDAA KUDIYE

    जवाब देंहटाएं
  11. मज़ा आ गया। माहिये तो सभी अच्छे हैं ही पंजाबी में और भी रंग जमा।

    जवाब देंहटाएं
  12. waah waah aur bus waah waah ...

    pichali baar padha tha tab se hi is shaili ka bahut bada prashansk ho gaya hoon..

    aadarniya pran saheb ke baare me kya kaha jaaye .. unki gazale hame har baar alag alag dishavo aur duniya me le jaati hai aur ab ye mahiya .. apni jameen se judi hui si baat lagti hai ...

    सब कुछ पढ़कर देखा
    पढ़ न सके लेकिन
    जीवन की हम रेखा

    आँखों में पानी है
    हर इक प्राणी की
    इक राम कहानी है

    हर कतरा पानी है
    समझो तो जानो
    हर शब्द कहानी है

    ek ek chand me ek ek gaath kahi gayi hai ..jeevan ki philosphy ko kis sarlata se shabdo me piroya gaya hai ..wah ji wah

    pran sir ko naman , unki lekhan shaili ko naman ..

    bus ab kuch aur kah paane ki kshamta nahi hai ,mujhme ..

    aapka
    vijay

    जवाब देंहटाएं
  13. Thanks Pran ji lekin ek mahiya te mai bhi kahanga:

    gall chabgee keetee ye
    sajjNha nooN injh lagda
    jiveN daaroo peetee ye...

    kothe te aa kuRiye
    sajjNha noo sohNa jiha
    mukhRa taan dikha kuRiye..

    mahie par ek mehfil sajaee jaye..online to maza aa jayega...

    shukria Pran ji...Mood badal dia aapne..

    जवाब देंहटाएं
  14. प्राण जी लेखन का क्या कहना
    बाकी सब के वो गुरु है
    उनकी माहिया का क्या कहना

    main unke tarah likh to nahi paaunga ..lekin satpal ji ne kuch kaha to mujhe bhi josh aa gaya ,is liye ye likha diya ..

    naman

    जवाब देंहटाएं
  15. प्राण जी,

    पहली बार पंजाब का ’महिया’ लोकगीत पढ़ा. आपकी प्रतिभा को प्रणाम.

    सब कुछ पढ़कर देखा
    पढ़ न सके लेकिन
    जीवन की हम रेखा

    ये पंक्तियां मन छू गयीं.

    बधाई.

    चन्देल

    जवाब देंहटाएं
  16. प्राण जी,

    पहली बार पंजाब का ’महिया’ लोकगीत पढ़ा. आपकी प्रतिभा को प्रणाम.

    सब कुछ पढ़कर देखा
    पढ़ न सके लेकिन
    जीवन की हम रेखा

    ये पंक्तियां मन छू गयीं.

    बधाई.

    चन्देल

    जवाब देंहटाएं
  17. SATPAL JEE,
    MERAA YE MAAHIA AAP KE
    LIYE HAI--
    TASVEER MILAA BAITHA
    GAL KARDE-KARDE
    TAQDEER MILAA BAITHA

    जवाब देंहटाएं
  18. रोला ना पा कुडिये
    सजना दा बेली
    कौवा ना उड़ा कुडिये

    वाह वाह वाह प्राण साहेब जी स्वाद आ गया...पंजाबी जबान में माहिये का आनंद ही कुछ और है...सच...एक अलग ही मिठास आयी है इस माहिये में...मन भरा नहीं बल्कि प्यास बढ़ गयी है...अब इसका क्या उपाय करें...गुजारिश है की कुछ और सुना दीजिये...

    जवाब देंहटाएं
  19. प्राण भाई साहब के माहिया ने अतीत के पृष्ठों को पलट दिया -पंजाब में ढोलक की थाप पर माहिया वर्षों गाया है और अ़ब भी गातीं हूँ पर इसके साहित्यिक और कलात्मक पक्ष की ओर कभी भी घ्यान नहीं गया बस माहिया का आन्नद लेती रही. भाई साहब आप ने पिछली बार माहिया छंद में जब माँ पर लिखा तभी तो इस विधा को जान पाई. आप की हर रचना मुझे भीतर से समृद्ध कर जाती है-अभी भी आप से मुझे बहुत कुछ सीखना है. पूरा माहिया बहुत पसंद आया पर--
    सब कुछ पढ़कर देखा
    पढ़ न सके लेकिन
    जीवन की हम रेखा
    मन को छू गईं.
    बधाई.....

    जवाब देंहटाएं
  20. GOSWAMI JEE,
    SAHITYA SHILPI KAA MANCH HO
    AUR TISPAR AAPKEE GUZAARISH HO,
    BHALAA MAIN INKAAR KAESE KAR SAKTA
    HOON? SUNIYE CHAND MAAHIYE,PAHLE
    EK PANJABEE MEIN----
    RASTE ANJANE HAN
    KHOVAN DAA DAR HAI
    SAATHEE BEGAANE HAN
    ---------
    MAANAA,TOO APNA HAI
    TUJHSE TO ACHCHHA
    TERAA HAR SAPNA HAI
    --------
    MOHAA PAHUNAHEE SE
    SAJAN NE LOOTA
    MAN KIS CHATURAAEE SE
    ---------
    KYAA MEETHEE BANI HAI
    KOYAL SHYAM SAHEE
    BAGIYA KEE RANI HAI
    -------------
    TAQDEER BANAA N SAKAA
    TOOLEE KE BIN MAIN
    TASVVEER BANAA N SAKAA

    GOSWAMI JEE,MAHIYE TO
    AAPKO DHER SAARE SUNAA DOON LEKIN
    BKAUL EK SHAYAR KAHIN AESA N HO--
    BADE SHAUQ SE SUN
    RAHAA THAA ZAMAANAA
    HAMEE SO GAYE DASTAN
    KAHTE--KAHTE

    जवाब देंहटाएं
  21. प्राण जी आप के माहिया ने समाँ बांध दिया। आपके माहिया का जवाब नहीं! मज़े की बात यह है कि टिप्पणी मंच भी महफ़िल में बदल गई। सुबीर जी भी झूमते से नज़र आरहे हैं, सतपाल जी द्वारा मुहम्मद रफ़ी के माहिये ने रौनक और भी बढ़ा दी। नीरज जी की फ़रमाईश पर प्राण जी के पंजाबी माहिया ने तो सोने पर सुहागे का काम कर दिया। प्राण जी से प्रेरणा मिले, तो कैसे हो सकता है कि सतपाल जी और नीरज जी की कलम पंजाबी अंदाज़ में रुक जाए!मज़ा आगया। बस दिल चाहता है कि यह महफ़िल ख़त्म न हो, ऐसे ही चलती रहे।
    प्राण जी, आपने महफ़िले-माहिया में जो शम्अ जलाई है, आगे भी इसी तरह चलती रहे।

    साहित्य-शिल्पी के संपादक-मंडल इस क्रम को नया रूप देकर आगे बढ़ाएं तो बड़ा अच्छा लगेगा।
    तरही ग़ज़ल तो सतपाल जी और गुरू सुबीर जी के ब्लागों पर चल ही रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  22. कमेंट बॉक्स तो अभी खोला है
    लेकिन ये माहिये पढ़ कर एक दम ज़ेह्न में आया कि हाइकू माहिये के आगे पानी भरता मालूम होता है.
    मैं हाइकू कभी -कभी पढ़ लेता हूँ . मुझे कभी नहीं भाया. लेकिन सामयिक भाव बोध के ये माहिये तो एक दम अनूठे और अपने-अपने -से लगे.
    आपके इस कमाल के आगे नतमस्तक हूँ.
    सादर
    द्विज

    जवाब देंहटाएं
  23. ARE WAAH YAHAAN TO SACH ME PURAA SAMAA BANDHAA HUAA HAI MAAHIYE KE JARIYE ... DER SE AANE KA FYAADAA BHI BHI HAI .. GAZAL PITAAMAH NE MAHIYE SE PURI MAHFIL SAJAA RAKHI HAI.. UPAR SE SATPAAL JI AUR NEERAJ JI NE BAHI APNI CHHAP CHHODI HAI.. KYA KAHNE IS MAHFIL KE,, UPAR SE GURU DEV AUR BADE BHAEE DWIJ SAHIB BI JHOOM RAHE HAI ,, AUR BAGAL ME SHRADHEV MAHAAVIR JI BHI WAAH SABKO ... SALAAM..


    ARSH

    जवाब देंहटाएं
  24. pran saheb,
    aapke abhinav aur adbhut mahiya ne toh kayal kar diya....kayal kya,ghayal hi kar diya ....vakai aapne khoob anand pradaan kiya

    PHATI RAH GAYI AANKHEN
    PADH KAR AAPKO
    KHUL GAYI MAN KI PANKHEN
    aapko aur aapki urjasvit lekhni ko mera vinamra pranaam
    -albela khatri
    www.albelakhatri.com

    जवाब देंहटाएं
  25. अच्छा किया कि विलंब से आया...
    माहिया के बारे में जानना दिलचस्प लगा...और फिर प्राण साब के कलम का जादू..तो बस हाय रेsssss

    बस मजा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  26. यहाँ आते देर हुई,
    अच्छा ही हुआ.......
    इत्ते सारे " माहिया " के रँग से बने इन्द्रधनुष को भी देख लिया
    प्राण भाई साहब ने आज महफिल को भारत के केसरिया रँग से रँग दिया है -बहुत शुभकामना -
    "साहित्य शिल्पी" नित नये प्रयास कर स्तरीय जालघर बन चुका है -
    सो उसकी भी हार्दिक बधाई !
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  27. रोला ना पा कुडिये
    सजना दा बेली
    कौवा ना उड़ा कुडिये

    माहिया ,................ऐसे छंद सुने तो हैं पर पंजाबी होने के बावजूद इस विद्या से महरूम ही थे हम..........प्राण साहब का बहूत बहूत शुक्रिया जो इतना खूबसूरत लिखा............ठेठ पंजाबी में तो ये और भी खिल उठेगा, इस बात पर यकीन है मुझे..........लाजवाब.....और प्रणाम है मेरा

    जवाब देंहटाएं
  28. आदरणीय प्राण साहब.............. आपने मेरी ग़ज़ल के शेरोन को साहित्य शिल्पी में सराहा है................जहां जहां मेरी गलती है कुछ कुछ समझ आ गयी............ आगे से ध्यान करने की कौशिश करूंगा और अगर आप का आर्शीवाद रहेगा तो यकीनन सुधार हो जाएगा,..............आप अपना आर्शीवाद बनाए रखें ...........

    जवाब देंहटाएं
  29. विस्मित हूँ...आश्चर्यचकित हूँ...कि इतने कम शब्द और इतने गहरे अर्थ...


    कला की इस विधा से परिचित करवाने के लिए प्राण साहब को शत-शत नमन

    जवाब देंहटाएं
  30. रस्ते अनजाने हन
    खोवन दा डर है
    साथी बेगाने हन

    माना ,तू अपना है
    तुझसे तो अच्छा
    तेरा हर सपना है

    वाह वाह वाह...माहिये की इस विधा पर हम तो लट्टू हो गए...सुबह सुबह इतने बेहतरीन माहिये पढ़ कर दिल बाग़ बाग़ हो गया...उम्मीद है आज का सारा दिन महकता रहेगा...प्राण साहेब का किस तरह शुक्रिया करूँ समझ नहीं पा रहा हूँ...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  31. इधर अपनी व्यस्तता और नेट की समस्या के चलते "साहित्य शिल्पी" नहीं देख पाया पिछले कुछ दिन। पंजाबी में जन जन का प्यारा माहिया अब हिन्दी में भी खूब लिखा जा रहा। नये और पुराने कवियों-शायरों ने इस पर अपनी कलम आजमाई है। प्राण साहब, आपके माहिये पंजाबी खुशबू के बहुत पास के माहिये हैं और दिल को छूते हैं। आपने जो इन्हें कलात्मक ऊँचाई दी है, वह नि:संदेह काबिले-तारीफ़ है। इतने खूबसूरत और आसानी से कंठ्स्थ किए जाने वाले माहिए पढ़वाने के लिए शुक्रिया और बधाई भी !

    जवाब देंहटाएं
  32. माहिया है प्राण शर्मा का नेहायत शानदार
    उनका तर्ज़-ए-फिक्रो फन है पुर कशिश और बा वक़ार
    दर हक़ीक़त आबरू साहित्य शिल्पी की हैँ वह
    इस लिए होते हैँ प्रकाशित वह इस मेँ बार बार
    अहमद अली बर्क़ी आज़मी

    जवाब देंहटाएं
  33. namaste Pran ji!
    kyaa khoob lekhan hai. maiN yeh naheeN jaantaa thaa keh is 3 panktiyoN meN lekhan kee ek aur catagory bhee hai. abhee tak to Triveni aur Haiku hee sunaa thaa. waah saHeb! kyaa khoob likhaa hai.
    mubaarakbaad!

    जवाब देंहटाएं
  34. इस विधा के बारे में आजतक नाम के सिवा कुछ पता नहीं था..एक अनजाना मार्ग जान लिया आपसे. आनन्द आ गया:

    जाना अनजाना है
    रस नव बातों का
    गीतों से पाना है


    (मात्राऐं ठीक हैं क्या? हा हा)

    -आप से जीवन में कितना कुछ सीख रहे हैं. बहुत आभार और साधुवाद, भाई साहब!!

    जवाब देंहटाएं
  35. SAMEER JEE,
    AAPKE PAHLE KHOOBSOORAT
    "MAHIYA" PAR MEREE HARDIK BADHAAEE
    SWEEKAR KIJIYE.

    जवाब देंहटाएं
  36. आहा--- गीत से सुंदर तरलता... हर छंद पढ़ने में अलग सा मजा आ रहा है... पंडित जी, इसे गाने का तरीका भी बताएं... दरअसल मैंने कभी माहिया सुना नहीं, लेकिन पढकर लग रहा है कि इसे गाने में बडा आनंद आता होगा...
    खबरी

    जवाब देंहटाएं
  37. DEVESH JEE,
    "MAHIYA" KO LOKGAAYAK KAEE
    DANG SE GAATE HAIN.JAGTE RAHO,NAYA
    DAUR FILMON MEIN ISKAA ISTEMAAL
    KIYA GAYA.ANAND BAKSHI AUR ASHA
    BHOSLE KAA GAAYE PRASIDH GEET"SUN
    BANTO BAAT MEREE,DIN TA GUZAR JAYEGA,NAEEYON KATNEE RAAT MEREE"
    ISKA SHUDH ROOP AAPKO MIL JAAYEGA.
    MAIN KAEE SAALON SE "MAHIYA"
    LIKH RAHAA HOON.LAGBHAG 15 SAAL
    PAHLE RAJENDRA AWASHTHI JEE NE MERE
    KUCHH "MAHIYA" KADAMBINI MEIN CHHAPE THE.

    जवाब देंहटाएं
  38. priya bhai pran jee aapki nae andaj mai likhi kavita padii kayal ho gaya hoon sab kuchh pad kar dekha pad n sake lekin jivan ki rekha vakei hamare jivan ki ek badii sachchai hai achhcha laga dhanyavad

    ashok andrey

    जवाब देंहटाएं
  39. कल 17/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  40. waah sir ji khoob kaha hai mere liye ek naya parichay ,,, wakai kam shabdo me kuchh kah pana chunoti hai.................

    जवाब देंहटाएं
  41. bahut khoob sir ji kam shabdo me apni baat kahna wakai me kaafi kathin hai aur aap ise aasaan kar dete hain

    जवाब देंहटाएं

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