
हिन्दी की पूजा करो, औरों पर अधिकार ||
दुनिया में चलता नहीं एक भाषा से काम |
हिन्दी है सोना अगर, अन्य सुहागा समान ||
केवल हिंदी से नहीं, प्राप्त हो रोजगार |
अंग्रेजी अपनाइए, होवे बेड़ा पार ||
अंग्रेजी स्कूल में, हिंदी पावे ध्यान |
मिटे छत्तीस आंकड़ा, दुनिया दे सम्मान ||
हिंदी पूरे विश्व में, बंधा सकल परिवार |
मराठी तमिल तेलगू, सबमें होवे प्यार ||
सांस्कृतिक अवतार ये , सबको दे सम्मान |
भाषाओं के बीच में, हिंदी हो बलवान ||
हिंदी बंगाली सभी, बाकी सबके संग |
मराठी सहित सब करें आपस में सत्संग ||
11 टिप्पणियाँ
िअम्बरीश जी बहुत बहुत धन्य्वद इस कवित के लिये और हिन्दी के आह्वाहन के लिये शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंजय हो हिंदी की..............
जवाब देंहटाएंहिन्दी की महत्ता को उजागर करती अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअम्बरीश जी
जवाब देंहटाएंहिंदी जागरण के लिए आपके इस आह्वान में हम आपके साथ हैं. हिंदी की स्थापना के लिए आपका यह प्रयास सराहनीय है. सरल एवं बोधगम्य भाषा आपकी रचना का आकर्षण है.
---किरण सिन्धु.
सुन्दर भाव। मेरे हिसाब से कुछ संपादन की आवश्यकता है क्योंकि दोहे के नियम कहीं कहीं अवरुद्ध हो रहे हैं। अवसर निकालकर देख लीजियेगा। जहाँ तक हिन्दी के मान सम्मान की बात है इसमें तो शुरू से गलतियाँ हो रहीं हैं-
जवाब देंहटाएंकिसी भी देश के नाम का न देखा अनुवाद।
भारत इन्डिया बना हुआ है नहीं कोई प्रतिवाद।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के अनुवाद का नियम नहीं है।
इन्डिया भारत बन न पाया इतनी बात सही है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
श्यामल सुमन जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ। दोहों के भाव अच्छे हैं पर कुछ संपादन प्रस्तुतिकरण को भी बेहतर कर सकता था।
जवाब देंहटाएंकाश! इन्डिया भारत बन पाता!
अच्छी भावाभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंहिन्दी की महत्वता पर एक सुन्दर काव्य रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्यामल सुमनजी, व अतुल्यजी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर सी टिप्पणियों हेतु धन्यवाद |
तथा श्यामल सुमनजी को इस सुन्दर से दोहे के लिए बधाई |
१२ २१ २ २१ २, २ २२ ११२१
किसी देश के नाम का, ना देखा अनुवाद।
भारत बनता इन्डिया, ना कोई प्रतिवाद।
२११ ११२ २१२, २ २२ ११२१
आपसे सादर अनुरोध है कि उपरोक्त हिन्दी आह्वान से सम्बंधित दोहों का संपादन दोहे के नियमों के हिसाब से कर के मुझे ambarishji@gmail.com पर मेल कर दें ताकि प्रस्तुतिकरण को और भी बेहतर बनाया जा सके।
साभार,
अम्बरीष श्रीवास्तव
वास्तुशिल्प अभियंता, सीतापुर
आप सभी को सुन्दर सी टिप्पणियों हेतु धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसाभार,
अम्बरीष श्रीवास्तव
वास्तुशिल्प अभियंता, सीतापुर
desh aur hindi ki jaagruti ke upar likhi gayi is kavita ke liye meri badhai sweekar kijiye
जवाब देंहटाएंaapka
vijay
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.