
प्रकाश कुमार सिंह "अर्श" मूलत: बिहार के भोजपुर जिले के निवासी हैं और दिल्ली से एम.बी.ए. करने के उपरांत वर्तमान में वरिष्ठ प्रबंधक के तौर पर एक संस्थान में कार्यरत हैं।
आप पिछले लगभग दस सालों से हिंदी में गज़लें कह रहे हैं जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होती रही हैं।
अपने ब्लाग "अर्श" के माध्यम से आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं।
आप पिछले लगभग दस सालों से हिंदी में गज़लें कह रहे हैं जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होती रही हैं।
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इतना तो असर है मेरी माँ की दुआओं में।
टूटा हुआ पत्ता भी बसे है फिजाओं में॥
बादल भी था बिजली भी थी तूफां भी तेज था।
आंचल ने बचाए मुझे रक्खा घटाओं में॥
आंखों से हूँ ओझल ओ' बड़ी दूर हूँ मगर।
दे जाती है ममता मुझे अम्मा हवाओं में॥
देती न सलीका जो वो चलने का धूप में
कैसे मैं भला बैठ यूँ पाता क़बाओं में ॥
देखा नही रोते हुए दुख में कभी उसे।
हां आंखें छलकती है खुशी की सदाओं में॥
वो पूजते पत्थर है मैं इंसान पूजता हूँ।
मां सबसे है पहले मिरी लिल्लाह खुदाओं में॥
हर मर्ज को हाथों से मां छूकर भगाए ज्यों।
तासीर मिली अर्श को कब वो दवाओं में॥
बहर - २२१ १२२१ १२२१ २१२
मफऊलु मुफाईलु मुफाईलु फाएलुन"
22 टिप्पणियाँ
देखा नही रोते हुए दुख में कभी उसे।
जवाब देंहटाएंहां आंखें छलकती है खुशी की सदाओं में॥
वो पूजते पत्थर है मैं इंसान पूजता हूँ।
मां सबसे है पहले मिरी लिल्लाह खुदाओं में॥
बहुत खूब।
बहुत अच्छी गज़ल है, बधाई।
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंबादल भी था बिजली भी थी तूफां भी तेज था।
जवाब देंहटाएंआंचल ने बचाए मुझे रक्खा घटाओं में॥
बहुत सुन्दर ..बहुत बढ़िया कहा आपने अर्श जी
"Arsh' humko to behad pasand aayi..... Maa ke to kya kahne ... but ye lines bahut achchi lagi
जवाब देंहटाएंदेती न सलीका जो वो चलने का धूप में
कैसे मैं भला बैठ यूँ पाता क़बाओं में ॥
इतना आसां नहीं लहू रोना
जवाब देंहटाएंदिल मे ताक़त ज़िग़र मे हाल कहाँ.
कायम रहो दायम रहो.
"आंखों से हूँ ओझल ओ' बड़ी दूर हूँ मगर।
जवाब देंहटाएंदे जाती है ममता मुझे अम्मा हवाओं में॥"
बेहद खूबसूरत ... फाजली का " मैं रोया परदेस में याद आ गया " .... आम तौर पर कही , सुनी , महसूस की हुई बातों को आप ने बडी खूबसूरती से ग़ज़ल में पिरोया है |
अर्श भाई, इस शानदार गजल के लिए ढेर सारी बधाई।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत बढिया रचना है।बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुनदर रचना है । माँ की ममता का कोई जोड़ नहीं है और नही कोई मोल है ।
जवाब देंहटाएंGAZAL KE BHAAVON NE MUN KO CHHOO
जवाब देंहटाएंLIYAA HAI.ARSH UBHARTE HUE GAZAL-
KARON MEIN HAIN.APNEE GAZAL KO
AUR MAANJE.
बहुत खूब --
जवाब देंहटाएंदेती न सलीका जो वो चलने का धूप में
कैसे मैं भला बैठ यूँ पाता क़बाओं में ॥
देखा नही रोते हुए दुख में कभी उसे।
हां आंखें छलकती है खुशी की सदाओं में॥
रुला दिया, बधाई अर्श जी--
अर्श बेहतरीन शायर हैं।
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंआंखों से हूँ ओझल ओ' बड़ी दूर हूँ मगर।
जवाब देंहटाएंदे जाती है ममता मुझे अम्मा हवाओं में
अर्श तुम्हारी गज़ल पढ कर आँख मे आँसू आगये और मैने ये मान लिया कि गज़ल मेरे लिये ही लिखी गयी है एकीक शब्द दिल को छूने वाला है
तुम्हारी मा को तो ललाम है ही तुम्हारी कलम को भी मेरा सलाम है बहुत बहुत आशीर्वाद गज़ल की दुनिया के बादशाह बनो
आप सभी गुनी जानो और समर्पित पाठकों को मेरा सलाम के आप लोगों ने इस खाकसार को अपने बहुमूल्य टिप्पणियों से नवाजा और स्नेहाशिर्वाद दिया .....सच में माँ केलिए जो कुछ कही जाये वो कम है .... ग़ज़ल पितामह श्री प्राण शर्मा जी को और बड़े भाई सतपाल जी को खास तौर से आभार इस ग़ज़ल को और अदना के ग़ज़ल को पसंद करने के लिए ... गुरु बहन कंचन और मेरी माँ निर्मला कपिला जी को भी आभार विशेष रूप से ... और तमाम उन सभी सुधि पाठकों को जिन्होंने मेरी हौसलाअफजाई करी है .....आगे भी अपनी ग़ज़लों के द्वारा शाहित्य शिल्पी के जरिये हिंदी और हिंदी ग़ज़ल की सेवा करता रहूँ...और आप सभी का स्नेह और आर्शीवाद मिलता रहे यही उम्मीद करता रहूँगा...
जवाब देंहटाएंआप सभी का
अर्श
अर्श जी, आपकी ये ग़ज़ल दिल में उतर गयी. जितनी बार इसे पढ़ता हूँ , दिल को छूती रहती है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत शब्दों से खयालातों को सजाया है. बधाई.
महावीर शर्मा
अर्श भाई की इस ग़ज़ल का तो पहले ही बहुत बड़ा फैन रहा हूँ मैं...
जवाब देंहटाएंवो यूं ही अपने नाम की तरह अर्श की बुलंदियों पर पहुँचे, यही कामना है।
kya kahon ankh bhar aai bahut khoob
जवाब देंहटाएंsaader
rachana
देखा नही रोते हुए दुख में कभी उसे।
जवाब देंहटाएंहां आंखें छलकती है खुशी की सदाओं में॥
अर्श साब की गद्लें तो लाजवाब होती हैं............. आशिक हैं हम तो उनकी गज़लों के....... इस का भी जवाब नहीं ........
sirf sallam karunga aapki kalam ko arsh bhai ..
जवाब देंहटाएंbus aur kuch nahi kahunga
gajal bahut achhi lagi aapko
जवाब देंहटाएंbadhai.
nisha
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.