
एक मक्खी ने अमेरिकी प्रेजीडेंट को कातिल बना दिया। सर्वशक्तिमान ओबामा ने एक मक्खी की हत्या् कर रिकार्ड बनाया है। वे कितने शक्तिशाली हैं आप इसे जान सकते हैं। एक मक्खी भी उनसे बच नहीं सकती। मक्खियां मारना वैसे तो खाली समय को बिताने के तौर पर सदा से व्यंजित होता रहा है परन्तु अमेरिकी राष्ट्रेपति ओबामा ने एक मक्खी मारकर इस मिथक को मक्खी के साथ ही धराशायी कर दिया है। मजे की बात तो यह है कि इस पूरी घटना, दुर्घटना या हादसा, आप जो भी मानना चाहें इसको मानने की आपको पूरी आजादी है, इसकी पूरी रिकार्डिंग की गई है और यह भी हो सकता है कि इस वीडियो रिकार्डिंग की बोली लगे और नीलामी में इस रिकार्डिंग को सबसे अधिक धनराशि से खरीद लिया जाए और उस धन को मक्खियों के विकास पर खर्च किया जाए। अगर ऐसा हुआ एक मक्खी की बलि करोड़ों अरबों मक्खियों के उत्थान का सबब बनेगी।
अविनाश वाचस्पति का जन्म 14 दिसंबर 1958 को हुआ। आप दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक हैं। आप सभी साहित्यिक विधाओं में समान रूप से लेखन कर रहे हैं। आपके व्यंग्य, कविता एवं फ़िल्म पत्रकारिता विषयक आलेख प्रमुखता से पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। आपने हरियाणवी फ़ीचर फ़िल्मों 'गुलाबो', 'छोटी साली' और 'ज़र, जोरू और ज़मीन' में प्रचार और जन-संपर्क तथा नेत्रदान पर बनी हिंदी टेली फ़िल्म 'ज्योति संकल्प' में सहायक निर्देशक के तौर पर भी कार्य किया है। वर्तमान में आप फ़िल्म समारोह निदेशालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली से संबद्ध हैं।
वैसे जिस मक्खी् को मारा गया है उसके बारे में मशहूर है कि वो कुत्ते पर सवारी करती थी। अब पता नहीं उसका वाहन कहां है? पता तो यह भी चला है कि रिकार्डिंग केन्द्र तक तो यह मक्खी कुत्ते पर सवार होकर ही आई थी परन्तु कुत्ते ने सुरक्षाकर्मियों को भ्रमित किया और वे उससे उलझ गए और इसी बीच मक्खी ने अवसर का लाभ उठाया और सर्र सर्र करती धीमे से सुरक्षा अधिकारी के पीछे से निकली, कुछ आगे बढ़ी और पीछे लौट पड़ी। उसे लौटते देख सुरक्षा अधिकारी अधिक सतर्क हुए और उन्हों ने मक्खी को सुरक्षा कारणों से बाहर जाने से रोका कि कहीं वो सीक्रेट्स आउट न कर दे और उसे अंदर ही रोक दिया गया। जबकि असलियत में वो अंदर ही जाना चाह रही थी, बल्कि अंदर जाने में 100 प्रतिशत सफल हो चुकी थी। तो इस प्रकार सभी सुरक्षा इंतजामों को धता बतलाते हुए मक्खी राष्ट्रोपति ओबामा से रूबरू हो गई। अंदर जाने का यह एक ऐसा सीक्रेट है जो सिर्फ कुछ हुनरमंद ही जानते हैं। अच्छा हुआ यह रहस्य उजागर हो गया वरना इस हुनर का भी मक्खी के साथ इंतकाल हो गया होता। पता चला है कि जांच आयोग बिठाने की कवायद शुरू हो चुकी है कि वो मक्खी अमेरिकी थी या अन्यई किसी देश-विदेश से पधारी थी। उसके वाहन कुत्ते का भी अभी तक पता नहीं चला है। उसकी तलाश जोरों से जारी है।

वैसे मक्खी को मारकर ओबामा ने यह संदेश दिया है कि उनसे उलझने वाली ताकतों को मक्खी के माफिक मसल दिया जाएगा। यदि वे कुत्ते की माफिक गायब न हो जाएं। यह संदेश सीधा प्रसारित हुआ है। इसकी सुर्खियां बनी हैं। यदि यह सब भारत में हुआ होता तो कई चैनल इस मक्खी प्रसंग के बल पर टी आर पी बटोर न जाने कितने करोड़ों के विज्ञापन जुटा चुके होते। बार बार मक्खी धुन बज रही होती और देख रही मक्खियां सिहर रही होतीं। कुत्ते भौंक भौंक कर अपने साथी के फरार होने की खुशी प्रकट कर रहे होते। सुर्खियां होतीं : एक मक्खी ने तोड़ा राष्ट्रकपति का सुरक्षा घेरा, राष्ट्रापति ने मक्खी् का कत्ल किया, क्या एक राष्ट्र पति इतना बेरहम हो सकता है, मक्खी की पहचान की जा रही है, मक्खी से उसका परिचय पत्र बरामद हो गया है, मक्खी का मोबाइल फोन बाहर गेट पर मिला है, अभी सिर्फ इस चैनल पर इससे जुड़ी और सनसनीखेज वीडियो देखिएगा, जाइएगा मत। इस प्रसंग में छिपे गहरे अर्थों की चीरफाड़ करने पर साफ नजर आता है कि कुत्ता,सवार मक्खियों पर अमेरिकी सुरक्षा तंत्र कारगर नहीं हो पाया है, वो तो कुत्ते को रोकता रहा और उस पर सवार होकर आई मक्खी महारानी टी वी पर अपनी बलि देकर स्टार बन गई।
17 टिप्पणियाँ
हम तो ओबामा पर व्यंग्य समझ बैठे थे पर यह तो भारत के न्यूज चैनलों पर निकला।
जवाब देंहटाएंजरा बच के ........... ये क्या ,मक्खी का वकील आपकी साईट विजिट कर चुका . बच के रहना रे बाबा बच के रहना रे >>>>>>>>.......तुझ पे नजर है :)
जवाब देंहटाएंओबामा हों या मीडिया मजाक तो दोनो ही हैं।
जवाब देंहटाएंलगता है यह मख्खी आत्मघाती दस्ते से सम्बंध रखती थी।:))
जवाब देंहटाएंमक्खी से सहानुभूति है और उसके इस आकस्मिक निधन पर दुख। शोक संतप्त उसके परिवार से यही कहना है कि दुख की इस ग़्हड़ी में हम उनके साथ हैं
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घुघूती बासूती
शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति ओह मख्खी मारे ..... ये बहादुरी थोड़े है ..... अरे अपने देश के मच्छर मार रहे है उसका भी थोडा कवरेज करा देते तो हम पाठक गण भी पढ़ लेंगे. बढ़िया व्यंग्य बधाई .
जवाब देंहटाएंबढिया व्यंग्य्
जवाब देंहटाएंgazab se bahut zyada
जवाब देंहटाएंajab se thoda sa kam
maan gaye hum
kamaal hai kamaal !
jiyo.........jiyo !
बेचारी मक्खी ...क्या कहें ? शोक ही व्यक्त कर सकते हैं ....
जवाब देंहटाएंअविनाश जी आपके जितने भी व्यंग्य पढे हैं यह उनमें सबसे अच्छे व्यंग्य लेखों में है। सही चित्रण।
जवाब देंहटाएंप्रभावी व्यंग्य है। बेचारे ओबामा कहें या बेचारी मक्खी निर्णय करना मुश्किल है।
जवाब देंहटाएंआ० अविनाश जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा व्यंग ,हमारे देश मे तो यूं भी बहुत लोग बैठे-ठाले मक्खी मारते रहते है मगर न्यूज नहीं बनता जैसे मैं
हो सकता है अगली बार ओसामा ने मक्खी मारी की खबर आए
व्यंग के लिए बधाई
सादर
--आनन्द
अविनाश जी हांलाकि यह व्यंग्य हम आपके रूबरू बैठ कर आपसे सुन चुके थे मगर दोबारा पढने पर भी उतना ही मजा आया.
जवाब देंहटाएंobama ne makkhi mari,
जवाब देंहटाएंtelicast hua tha jari,
parantu makkhi marane ka karan
aapke lekh se samajh me aaya
aap ne bahut badhiya rahasya bataya.
dhanywaad
हम्म ...सवाल ये है कि ये मक्खी थी किसकी ?
जवाब देंहटाएंऔर यह ओमामा कौन है
जवाब देंहटाएंओबामा का मामा
या खुद बामा ?
ऊपरवाले से निवेदन है कि वो दिवंगत मक्खी की आत्मा को शांति बक्शे
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.