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महेंद्रभटनागर की दो कविताएँ [आज जन्मदिवस पर विशेष प्रस्तुति]


वरिष्ठ कवि एवं साहित्य कार महेन्द्र भटनागर का जन्म 26 जून 1926 को हुआ था। इतने लम्बे समय से साहित्य की सेवा में रत आदरणीय महेन्द्र भटनागर जी का आज जन्मदिवस है। साहित्य शिल्पी परिवार उन्हें शुभकामनायें देता है तथा उनके दीर्घायु होने की कामना करता है।

आज आदरणीय महेन्द्र भटनागर जी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रस्तुत है उनकी ही दो कवितायें:-

*****

निष्कर्ष

ज़िन्दगी में प्यार से सुन्दर
कहीं
कुभी भी नहीं !
कुछ भी नहीं !

रचनाकार परिचय:-


महेन्द्र भटनागर जी वरिष्ठ रचनाकार है जिनका हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य पर समान दखल है। सन् 1941 से आरंभ आपकी रचनाशीलता आज भी अनवरत जारी है। आपकी प्रथम प्रकाशित कविता 'हुंकार' है; जो 'विशाल भारत' (कलकत्ता) के मार्च 1944 के अंक में प्रकाशित हुई। आप सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध रहे हैं तथा प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षर माने जाते हैं। समाजार्थिक यथार्थ के अतिरिक्त आपके अन्य प्रमुख काव्य-विषय प्रेम, प्रकृति, व जीवन-दर्शन रहे हैं। आपने छंदबद्ध और मुक्त-छंद दोनों में काव्य-सॄष्टि की है। आपका अधिकांश साहित्य 'महेंद्र भटनागर-समग्र' के छह-खंडों में एवं काव्य-सृष्टि 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' के तीन खंडों में प्रकाशित है। अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।

जन्म यदि वरदान है तो
इसलिए ही, इसलिए !
मोह से मोहक सुगंधित
प्राण हैं तो इसलिए !

ज़िन्दगी में प्यार से सुखकर
कहीं
कुछ भी नहीं !
कुछ भी नहीं !

प्यार है तो ज़िन्दगी महका
हुआ इक फूल है !
अन्यथा; हर क्षण, हृदय में
तीव्र चुभता शूल है !

ज़िन्दगी में प्यार से दुष्कर
कहीं
कुछ भी नहीं !
कुछ भी नहीं !

*****

यथार्थ

राह का
नहीं है अंत
चलते रहेंगे हम!

दूर तक फैला
अँधेरा
नहीं होगा ज़रा भी कम!

टिमटिमाते दीप से
अहर्निश
जलते रहेंगे हम!

साँसें मिली हैं
मात्र गिनती की
अचानक एक दिन
धड़कन हृदय की जायगी थम!

समझते-बूझते सब
मृत्यु को छलते रहेंगे हम!

हर चरण पर
मंज़िलें होती कहाँ हैं?
ज़िन्दगी में
कंकड़ों के ढेर हैं
मोती कहाँ हैं?

एक टिप्पणी भेजें

20 टिप्पणियाँ

  1. महेन्द्र भटनागर जी को जन्मदिवस की शुभकामनायें।

    समझते-बूझते सब
    मृत्यु को छलते रहेंगे हम!

    हर चरण पर
    मंज़िलें होती कहाँ हैं?
    ज़िन्दगी में
    कंकड़ों के ढेर हैं
    मोती कहाँ हैं?

    जवाब देंहटाएं
  2. महेन्द्र जी की रचनायें उनक विशिष्ठ शिल्प और कथ्य के लिये मुझे प्रिय हैं। जन्मदिवस की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  3. महेन्द्र बटनागर चौरासी वर्षीय युवा है। उनकी कविता आज भी समय से कदम मिला कर चल रही है और उसमें नयापन ही है।

    आज जन्मदिवस पर शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  4. जन्मदिवस पर शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  5. जन्मदिन पर महेन्द्र भटनागर जी शुभकामनायें और उनकी काव्य-प्रतिभा को प्रणाम!

    जवाब देंहटाएं
  6. महेन्द्र जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  7. जन्मदिवस की शुभ व मँगल कामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  8. भटनागर जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें.
    सुन्दर रचनाये पढवाने के लिये आभार.

    कंकडों के ढेर में से जो मोती चुन ले वही तो "हंस" है..

    जवाब देंहटाएं
  9. हर चरण पर
    मंज़िलें होती कहाँ हैं?
    ज़िन्दगी में
    कंकड़ों के ढेर हैं
    मोती कहाँ हैं?

    अनुभव से परिपूर्ण रचनायें। शुभकामनायें महेन्द्र भटनागर जी।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्छी कवितायें, जन्मदिवस की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय भटनागर जी को जन्म दिन की बहूत बहूत बधाई ..... प्यार को बांटती .......... प्यार को ही जीवन का सार मानती लाजवाब रचना है उनकी..... आप का आभार रचना पढ़वाने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर कवितायेँ .. वाकई प्यार जितना सुन्दर है उतना ही दुष्कर भी ...

    "साँसें मिली हैं
    मात्र गिनती की
    अचानक एक दिन
    धड़कन हृदय की जायगी थम!

    समझते-बूझते सब
    मृत्यु को छलते रहेंगे हम!"

    ये पंक्तियाँ युधिष्ठिर से पूछे गए यक्ष प्रश्न का स्मरण करा गयीं , जिसमें पूछा गया था कि "सब से बड़ा आश्चर्य क्या है ?" और युधिष्ठिर ने उत्तर दिया था कि "ये जानते हुए भी कि प्रतिदिन असंख्य लोग मरते हैं , अमरत्व की लालसा जीवित है , यही सब से बड़ा आश्चर्य है " ...
    बहुत सरल और बहुत गहरी कविता जो बताती हैं की महेंद्र भटनागर इतने सफल साहित्यकार क्यूँ हैं |
    जन्मदिन की बधाई भी प्रेषित करता हूँ |

    जवाब देंहटाएं
  13. BHATNAGAR JEE,
    APNE JANM DIWAS PAR MEREE
    BADHAAEE SWEEKAAR KIJIYE.
    AAPKEE DONO KAVITAYEN BHEE
    ACHCHHEE LAGEE HAIN.UNKEE BHEE
    BADHAAEE.

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय महेन्द्र भटनागर जी को मेरी ओर से तथा साहित्य शिल्पी परिवार की ओर से जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  15. aap ko janm din ki shubhkamnayen.ap ki rachnaye sada man mohti hai
    saader
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  16. जन्म दिन की शुभ कामनाएँ-
    बहुत -बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  17. bhatnaagarji,

    janm divas ki
    hardik shubh kaamnaayen

    aapki kavitaayen padh kar man aur aatmaa bheetar tak tript ho gaye

    abhinandan !

    जवाब देंहटाएं
  18. 'साहित्य-शिल्पी' के जागरूक और सुधी पाठकों के प्रति कृतज्ञ हूँ।
    *महेंद्रभटनागर
    [सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर]
    फ़ोन : ०७५१-४०९२९०८

    जवाब देंहटाएं

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