
2 अक्टूबर, 1974 को पंजाब के अबोहर मे जन्मी सीमा सचदेव पेशे से हिन्दी-अध्यापिका हैं।
इनकी कई रचनाये जैसे-"मेरी आवाज़ भाग-१,२", "मानस की पीड़ा", "सन्जीवनी", "आओ सुनाऊं एक कहानी", "नन्ही कलियाँ" आदि विभिन्न अंतर्जाल पत्रिकाओ मे प्रकाशित हैं। "आओ गाएं" नामक रचना-संकलन ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हैं।
पुल के नीचे
सड़क के बाजु में
तीलो की झोंपड़ी के अंदर
खेलते.............
दो बूढ़े बच्चे
एक नग्न और
दूजा अर्ध-नग्न
दीन-दुनिया से बेख़बर
ललचाई नज़रों से
देखते.........
फल वाले को
आने-जाने वाले को
हाथ फैलाते.....
कुछ भी पाने को
फल,कपड़े,जूठन,खाना
कुछ भी.........
सरकारी नल उनका
गुस्लखाना
और रेलवे -लाइन.....पाखाना
चेहरे पर उनके केवल अभाव
सर्दी-गर्मी का उन पर
नहीँ कोई प्रभाव
अकेले हैं बिल्कुल
कुछ भी तो नहीँ
उनके अपने पास
नहीँ करते वे किसी से
हस्स कर बात
और झोंपड़ी से
झाँकता सूर्य देवता
मानो दिला रहा हो
अहसास........
कोई हो न हो
लेकिन
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
तब तक............
जब तक है
तुम्हारा जीवन
यह झोंपड़ी
और ग़रीबी का नंगा नाच.........
14 टिप्पणियाँ
संवेदना से भरी रचना। बहुत प्रभाव छोडने वाली कविता।
जवाब देंहटाएंऔर झोंपड़ी से
जवाब देंहटाएंझाँकता सूर्य देवता
मानो दिला रहा हो
अहसास........
कोई हो न हो
लेकिन
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
कविता नें मन को छू लिया।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी में कहते हैं , "best things in life are free " | जैसे कि सूर्य की किरणें , पंछियों का चहचहाना , हवा ,( कुछ समय पहले तक पानी भी था , अब नहीं है ) | प्रकृति/धरती को शायद इस लिए ही माँ कहा गया है ... वो भेद भाव नहीं करती .. जो है सब को बराबर बाँट देती है | रूखी रोटी हो या पकवान ... गंगा का पानी हो ओजोन परत से आती पराबैंगनी किरनें .. :-) इसी मातृत्व की भावना को चरितार्थ किया इस कविता में सूर्य के वर्णन से आप ने | वही पसंद भी आया मुझे .. बाकी सब तो देखा सुना है ...:-) बधाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता, बधाई।
जवाब देंहटाएंSamvedansheel Rachnaa....gareebi ek kaduaa saty hai...... Subdar kavita
जवाब देंहटाएंचंदेल जी आप ने कविता का सुन्दर चयन किया है आप को और कवी को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी कविता।
जवाब देंहटाएंनग्त सत्य को दर्शाती हुई कविता।
जवाब देंहटाएंसीमा जी को बहुत बहुत बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अहसास........
जवाब देंहटाएंकोई हो न हो
लेकिन
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
संवेदना से भरी रचना।
seemaji,
जवाब देंहटाएंsabse pahle toh abohar ko sri ganganagar ki raam-raam
tadopraant aapko badhaai is aalatareen kavita k liye.....
daridra bacchon ki daaruna dashaa aur surya k maadhyam se prakriti ke udaar bhaav ko vyakt karti ye kavita atyant maarmik aur abhinav rachna hai..
BADHAAI
BADHAAI
bahut sanvedansheel aur sarthak rachna ke liye badhai sweekar karen
जवाब देंहटाएंअकेले हैं बिल्कुल
जवाब देंहटाएंकुछ भी तो नहीँ
उनके अपने पास
नहीँ करते वे किसी से
हस्स कर बात
और झोंपड़ी से
झाँकता सूर्य देवता
मानो दिला रहा हो
अहसास........
कोई हो न हो
लेकिन
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
marmsparshi abhivyakti.. Dhirendra Acharya
अकेले हैं बिल्कुल
जवाब देंहटाएंकुछ भी तो नहीँ
उनके अपने पास
नहीँ करते वे किसी से
हस्स कर बात
और झोंपड़ी से
झाँकता सूर्य देवता
मानो दिला रहा हो
अहसास........
कोई हो न हो
लेकिन
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
marmsparshi abhivyakti.. Dhirendra Acharya
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.