
रचनाकार परिचय:-
श्री अब्दुल रहमान मन्सूर दिल्ली व आसपास में एक जाने-माने गज़लकार हैं। वर्तमान में फरीदाबाद में निवास कर रहे रहमान साहब मूलत: मुरादाबाद से सम्बद्ध हैं।
आप पिछले बीस से भी अधिक वर्षों से संज़ीदा और मज़ाहिया (हास्य) दोनों तरह की गज़लों और गीतों की रचना करते आ रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर के मुशायरों में शिरकत कर आपने सुनने वालों को अपनी खूबसूरत गज़लों और गीतों के सम्मोहन में बाँधा है।
एक बेहतरीन गज़लकार होने के साथ साथ आप गज़ल के रचना-शास्त्र (उरूज़) के उस्ताद के रूप में भी जाने जाते हैं।
मुँह के दे-दे कर निवाले क्या कहें
किस तरह बच्चे हैं पाले क्या कहें
जिनके ज़हनों पे हैं ताले क्या कहें
क़ौम है उनके हवाले क्या कहें
शेर सुनने का नहीं जिनको शऊर
पढ़ रहे हैं वो मकाले क्या कहें
पाए जो हमने अज़ीज़ों के तुफ़ैल
क्या दिखायें दिल के छाले क्य़ा कहें
की तरक्की इस कदर साइन्स ने
पड़ गये जीने के लाले क्या कहें
हम वफ़ा की राह पे जब भी चले
किस कदर फिक्रे उछाले क्या कहें
गर नहीं तुझको मुहब्बत पे यकीं
और मुझको आजमा ले क्या कहें
15 टिप्पणियाँ
bahut khub ustad nat mastak hun
जवाब देंहटाएंsaadar
praveen pathik
9971969084
जिनके ज़हनों पे हैं ताले क्या कहें
जवाब देंहटाएंक़ौम है उनके हवाले क्या कहें
बहुत खूब पूरी की पूरी गज़ल लाजवाब है बधाई
इसे कहते हैं ग़ज़ल जो बार बार पडने की इच्छा हो।
जवाब देंहटाएंमुँह के दे-दे कर निवाले क्या कहें
जवाब देंहटाएंकिस तरह बच्चे हैं पाले क्या कहें
शेर सुनने का नहीं जिनको शऊर
पढ़ रहे हैं वो मकाले क्या कहें
की तरक्की इस कदर साइन्स ने
पड़ गये जीने के लाले क्या कहें
हम वफ़ा की राह पे जब भी चले
किस कदर फिक्रे उछाले क्या कहें
वाह वाह!!
बहुत बढिया गज़ल प्रेषित की है।बधाई।
जवाब देंहटाएंकमाल की ग़ज़ल है। बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंमुँह के दे-दे कर निवाले क्या कहें
जवाब देंहटाएंकिस तरह बच्चे हैं पाले क्या कहें
जिनके ज़हनों पे हैं ताले क्या कहें
क़ौम है उनके हवाले क्या कहें
बेहतरीन ग़ज़ल है।
की तरक्की इस कदर साइन्स ने
जवाब देंहटाएंपड़ गये जीने के लाले क्या कहें
हम वफ़ा की राह पे जब भी चले
किस कदर फिक्रे उछाले क्या कहें
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है..........आपके शेर समाज से जुड़े हुवे हैं, समाज की विसंगतियों को उठाते हैं......... लाजवाब
JANAAB ABDUL RAHMAN "MANSOOR" KEE
जवाब देंहटाएंGAZAL ACHHEE LAGEE HAI.UNKAA YE
SHER -
MUNH KE DE-DE KAR NIVAALE KYA KAHEN
KIS TARAH BACHHE HAIN PAALE KYA
KAHEN
PADHKAR MUJHE APNA EK PURAANAA
SHER YAAD AA GAYAA HAI--
HAREK KO HEE KUNBE MEIN IK JAAESA PALNAA
KITNAA KATHIN HAI DOSTO GHAR
KO SAMBHAALNAA
रहमान साहब को पढ़ना और सुनना अपने आप में एक यादगार अनुभव है। गज़ल के फ़न में तो आप उस्ताद हैं ही, आपके खयालात की सादगी और आम आदमी से उनकी वाबस्तगी भी बरबस ध्यान खींचती है।
जवाब देंहटाएंसुभानअल्लाह...
जवाब देंहटाएंदिलकश गज़ल.
जवाब देंहटाएंजिनके ज़हनों पे हैं ताले क्या कहें
जवाब देंहटाएंक़ौम है उनके हवाले क्या कहें
kya kahna bahut khoob
sader
rachana
रहमान जी की सुन्दर गजल... पिछले दिनों राजीव रंजन जी के घर पर उनसे मुलाकात हुई और उनके ख्यालात और गजल सुनने का मौका मिला..बहुत ही सरल शब्दों में गहरी बात कहने का फ़न उन्हें हासिल है.
जवाब देंहटाएंशेर सुनने का नहीं जिनको शऊर
जवाब देंहटाएंपढ़ रहे हैं वो मकाले क्या कहें
Waahhhhhhhhhhhhh!
Devi Nangrani
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.