
अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
8 टिप्पणियाँ
रिश्वत का फल
जवाब देंहटाएंन जाए निष्फल
मुझे चेख़व की कहानी गिरगिट याद आ गई।
जवाब देंहटाएंचलो! ठेला हटाओ ....
जवाब देंहटाएंलो केला खाओ..
अच्छा रिश्वत खिलाते हो..!
केला ही खिलाना हैं तो
घर पहुचाना रोजाना
फिर ही ठेला लगाना
कभि कभि अनार ले आना
ऊभ भी तो जायेंगे रोजाना
यहि बात अपने साथियों समझाना
फिर न पडे पछताना
शुक्र है कि केला अकेला नहीं था वर्ना ठेले को तो हटना ही पड़ता...
जवाब देंहटाएंदो लाईनें पेश हैँ
रेल पटरियों सी लम्बी अजगर मानिन्द लपलपाती जेबें
डस डस बस यही कहती हैँ...और देवें और देवें
बढ़िया!
जवाब देंहटाएंहा हा!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कार्टून।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंन बिन तेल पानी
आती गाडी में रवानी..
रिश्वत लेते पकडे जाओ
रिश्वत देके छूट जाओ
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