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कौवा और साँप [हितोपदेश का काव्यानुवाद - 4, स्थायी स्तंभ] - सीमा सचदेव

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कौवा-कौवी इक डाली पर
रहते थे अपने घर पर
उन दोनों के बच्चे चार
सुन्दर था उनका घर-बार
पर उस वृक्ष की छाया पर
साँप ने डाल लिया था घर
करता वह सबको परेशान
ले लेता बच्चों की जान
नन्हें बच्चो को खा जाता
फिर अपने बिल में छुप जाता

साहित्य शिल्पीरचनाकार परिचय:-


2 अक्टूबर, 1974 को पंजाब के अबोहर मे जन्मी सीमा सचदेव पेशे से हिन्दी-अध्यापिका हैं। इनकी कई रचनाये जैसे- विभिन्न अंतर्जाल पत्रिकाओ मे प्रकाशित हैं। "मेरी आवाज़ भाग-१,२", "मानस की पीड़ा",,"सन्जीवनी", "आओ सुनाऊं एक कहानी", "नन्ही कलियाँ", "आओ गाएं" नामक रचना-संकलन ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हैं।

दुखी थे उससे पक्षी सारे
पर क्या करते वे बेचारे
इक दिन साँप गया तरु पर
कौवी- कौवा नही थे घर
खेल रहे थे उनके बच्चे
पकड़ साँप ने खाए कच्चे
खाकर उनको भर गया पेट
गया वो जाकर बिल मे लेट

कौवी- कौवा घर वापिस आए
बच्चे उन्होंने गायब पाए
समझ गए वो सारी चाल
साँप ने खाए उनके लाल
दुखी बहुत था उनका दिल
पर वो रो सकते थे केवल
साँप तो कितना ताकतवर
उसके मुख में है जहर
दुखी हो कौआ मन में विचारे
बैठ गया जा नदी किनारे

देखा उसने नदी के पार
खड़े हुए है पहरेदार
अपने गहने वहाँ रखकर
गई रानी जल के अन्दर
आया कौए को एक ख्याल
चली एक उसने भी चाल
एक हार उसने उठाया
जाके साँप के बिल में गिराया

भागे पीछे पहरेदार
देखा साँप के बिल में हार
जैसे ही लेने लगे वो हार
देख के साँप भी आया बाहर
पहरेदार ने साँप को मारा
खुश हो गया अब जंगल सारा
कौए की समझदारी रँग लाई
सबने मिलकर खुशी मनाई

बच्चो, समझदारी अपनाना
गुस्सें मे तो कभी न आना
सोच समझ के करना काम
होगा ऊँचा जग में नाम

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5 टिप्पणियाँ

  1. गुस्सें मे तो कभी न आना
    सोच समझ के करना काम
    होगा ऊँचा जग में नाम
    in panktiyon me hi to jeevan ka saar chhupa hai

    जवाब देंहटाएं
  2. हितोपदेश की कहानियों का यह काव्य रूप अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छा प्रयास है! सीमा जी को साधुवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. आप इन शिक्षाप्रद कहानियों बहुत अच्छी तरह कवितायों का रूप देती हो बहुत सुंदर. आपकी कविता मैं बहुत सुंदर बहाब होता है. धन्यवाद अमिता

    जवाब देंहटाएं

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