
4 जून 1958 को सुलतानपुर (उ.प्र.) में जन्मे देवमणि पांडेय हिन्दी और संस्कृत में प्रथम श्रेणी एम.ए. हैं।
अखिल भारतीय स्तर पर लोकप्रिय कवि और मंच संचालक के रूप में सक्रिय हैं। अब तक आपके दो काव्यसंग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- "दिल की बातें" और "खुशबू की लकीरें"।
मुम्बई में एक केंद्रीय सरकारी कार्यालय में कार्यरत पांडेय जी ने फ़िल्म 'पिंजर', 'हासिल' और 'कहाँ हो तुम' के अलावा कुछ सीरियलों में भी गीत लिखे हैं। फ़िल्म 'पिंजर' के गीत "चरखा चलाती माँ" को वर्ष 2003 के लिए 'बेस्ट लिरिक आफ दि इयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आपके द्वारा संपादित सांस्कृतिक निर्देशिका 'संस्कृति संगम' ने मुम्बई के रचनाकारों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है।
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश
वर्षा का आंचल लहराया
सारी दुनिया चहक उठी
बूंदों ने की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश
रौनक़ तुझसे बाज़ारों में
चहल पहल है गलियों में
फूलों में मुस्कान है तुझसे
और तबस्सुम कलियों में
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश
पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही
गर्मी से बेहाल थे कल
सबके ऊपर मेहरबान हैं
आज घटाएं और बादल
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश
बारिश के पानी में मिलकर
बच्चे नाव चलाते हैं
छत से पानी टपक रहा है
फिर भी सब मुस्काते हैं
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश
सरक गया जब रात का घूंघट
चांद अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा
याद बहुत हमको आया
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश
11 टिप्पणियाँ
वर्षा का आंचल लहराया
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया चहक उठी
बूंदों ने की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी
पहली बारिश का इन्तज़ार किसको नहीं होता! बहुत खूबसूरत अंदाज में आपने उस खुशी का इज़हार किया जो मौसम की पहली बरसात के साथ ही मन-मस्तिष्क पर छा जाती है। बधाई, इस पहली बारिश और एक सुंदर कविता की!
सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंवर्षा का आंचल लहराया
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया चहक उठी
बूंदों ने की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी
मस्ती बनकर दिल में छाई
की पहली बारिश
बहुत सुन्दर भावमय कविता है बधाई
सरक गया जब रात का घूंघट
जवाब देंहटाएंचांद अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा
याद बहुत हमको आया
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश
DEV SAHIB KO IS NAAYAB GAAYEE AANE WAALI KAVITAA KE LIYE DIL SE DHERO BADHAAYE AGAR SACH KAHUN TO GAAYEE JAANE WAALI BAHOT HI KAM KAVITAYEN PADHNE KO MILTI HAI JO WASTAVIK ROOP HAI KBAYA KA .... PURI TARAH SE VISMIT KAR DENE WAALI IS NAAYAB KAVITAA KE LIYE DEV SAHIB KO DIL SE BAHOT BAHOT BADHAAYEE... AUR SAHITYASHILPI KO ISKE LIYE DHERO SADHUVAAD....
MAIN LOGON SE YAHI KAHUNGA KE IS PAWAN KAVITA PE DIL KHOL KE DAAD DEN ... JISASE KABYA KI MAULIKATA BANI RAHI AUR IS ADHBHOOT KAVITAA SE YE KHASA JAAHIR HAI...
ARSH
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जवाब देंहटाएंसत्र की प्रथम वर्षा का सहज उल्लास!
जवाब देंहटाएंरचना का कला-सौष्ठव आकर्षक!
बधाई!
सुकवि देवमणि पाण्डेय मेरे प्रिय गीति-शिल्पी।
*महेंद्रभटनागर
देवमणि जी आपने तो इस रचना को मुझे भेजा था अपने ब्लॉग पर लगाने के लिए और इसे मैं यहाँ देख रहा हूँ...कोई बात नहीं ये रचना जहाँ भी होगी वहीँ खुशियों की बारिश करेगी...अद्भुत बारिश गीत है ये. बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
बारिश का मौसम सहज ही सबको आकर्षित करता है और जब बात मौसम की पहली बरसात की हो तो ये आकर्षण कई गुणा बढ़ जाता है।
जवाब देंहटाएंमोहक प्रस्तुतिकरण के लिये बधाई स्वीकारें।
बहुत ही सुंदर रचना...मन भीग गया
जवाब देंहटाएंसरक गया जब रात का घूंघट
जवाब देंहटाएंचांद अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा
याद बहुत हमको आया
यहां कुछ नया सा लगा..
वर्षा का आंचल लहराया
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया चहक उठी
बूंदों ने की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी
बारिश की इंतज़ार और उसके आगमन में लिखी लाजवाब रचना
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.