
कवि परिचय:-
श्रद्धा जैन अंतर्जाल पर सक्रिय हैं तथा ग़ज़ल विधा में महत्वपूर्ण दख़ल रखती हैं।
आप शायर फैमिली डॉट् क़ॉम का संचालन भी कर रहीं हैं व इस माध्यम से देश-विदेश के स्थापित व नवीन शायरों एवं कवियों को आपने मंच प्रदान किया है। वर्तमान में आप सिंगापुर में अवस्थित हैं व एक अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय में हिन्दी सेवा में रत हैं।
जिस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का
रात देखा है, ताज फूलों का
तेरी खुश्बू, तेरी ही यादें हैं
मेरे घर में है, राज फूलों का
हुस्न के नाज़ भी उठाता है
इश्क़ को इहतियाज*, फूलों का
नफ़रतों को मिटा हैं सकते गर
आग को दें, इलाज फूलों का
थक गये राग-ए-गम को गा गा कर
साज़ छेड़ा है, आज फूलों का
हो न हिंदू, न हो कोई मुस्लिम
बस बने इक, समाज फूलों का
लाई “श्रद्धा” भी मोगरे की लड़ी
लौट आया, रिवाज फूलों का
*इहतियाज = आवश्यकता
15 टिप्पणियाँ
हो न हिंदू, न हो कोई मुस्लिम
जवाब देंहटाएंबस बने इक, समाज फूलों का
श्रद्धा जी हर शेर बेहतरीन है। बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।
SHRDDHAA JEE,AAPNE KHOOB GAZAL KAHEE HAI.DIL MEIN UTAR GAYEE HAI.
जवाब देंहटाएंBADHAAEE.
तेरी खुश्बू, तेरी ही यादें हैं
जवाब देंहटाएंमेरे घर में है, राज फूलों का
श्रद्धा जी क्या कहने उत्तम प्रस्तुति
रत्नेश त्रिपाठी
UMDA GAZAL
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
chhoti bahar ki buniyadi gazal kahi jaa sakti hai shradhaa ji ke liye .... behad umdaa kahi hai inhone ... sidhe dil talak ki baat ho jaati hai .. bahot bahot badhaayee is gazal ke liye mere taraf se aadarniya sharadhaa ji ke liye...
जवाब देंहटाएंarsh
नफ़रतों को मिटा हैं सकते गर
जवाब देंहटाएंआग को दें, इलाज फूलों का
हो न हिंदू, न हो कोई मुस्लिम
बस बने इक, समाज फूलों का
बहुत खूब श्रद्धा जी। काबिल-ए-तारीफ गजल। कुछ इसी तर्ज पर जोड़ने की कोशिश-
सबको बाँटे जो सुगंध हरदम
कभी देखा ये अंदाज फूलों का
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कमाल कर दिया श्रद्धा जी.
जवाब देंहटाएंहो न हिंदू, न हो कोई मुस्लिम
बस बने इक, समाज फूलों का
लाई “श्रद्धा” भी मोगरे की लड़ी
लौट आया, रिवाज फूलों का
नाज़ुक, सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई!
सावन के मौसम में फूलों का जिक्र करके आपने वीराने में तरन्नुम छेड़ दी है और कहूं कि प्रकृति की छटा आपकी ग़ज़ल में उतर आई है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । आपकी ग़ज़ल की नज़र मेरा एक शे'र, आपका ध्यान चाहूंगा,
जवाब देंहटाएंतेरा चेहरे की इबारत गुलशन ही तो है
अब क्यों करूं मैं इंतजार फूलों का
लाई “श्रद्धा” भी मोगरे की लड़ी
जवाब देंहटाएंलौट आया, रिवाज फूलों का
Choti choti baaton ko gazal ke maadhyam se lajawaab likha hai...... aur ye sher meraa pasndeeda sher hai
नफ़रतों को मिटा हैं सकते गर
जवाब देंहटाएंआग को दें, इलाज फूलों का
बहुत बढिया
बहुत ही नादान गजल .... माफ़ी चाहता हूँ इसमें गजलियत का अभाव है
जवाब देंहटाएंअरुण अद्भुत
Umda gazal.
जवाब देंहटाएंश्रधा जी आप की रचनाये हमेशा ही एक अदम्य नूतनता लिए रहती है बहुत ही बेहतरीन गजल खाश कर ये लायनेथक गये राग-ए-गम को गा गा कर
जवाब देंहटाएंसाज़ छेड़ा है, आज फूलों का
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
इस गजल की मार्फ़त से खूबसूरत ख्यालों का मुजाहिरा किया है आपने श्रद्धा जी.
जवाब देंहटाएंएक गजल याद आ गई आपकी गजल पढ कर
"फ़िर चली रात बात फ़ूलों की"
लीजिये हम यहाँ आ गये इस ग़ज़ल पे व्वह-वाह कहने!
जवाब देंहटाएंलेकिन साहित्य-शिल्पी के पाठक इस ग़ज़ल के एक और बेहतरीन शेर से वंचित क्यों रहे? तो उनके लिये काफ़िये के कथित दोष के बावजूद, श्रद्धा जी का ये शेर:
प्यार-ओ-ख्वाब इक जगह रखना
नाम देना, दराज़ फूलों का
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.