
एक कथाकार नें जब साहित्य शिल्पी को अपनी कविता प्रेषित की तो हमें रचना का प्रस्तुतिकरण एक उपलब्धि की तरह लगा। साहित्य शिल्पी के पाठको के लिये प्रस्तुत है प्रसिद्ध कथाकार सूरज प्रकाश की कविता - साहित्यशिल्पी
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सूरज प्रकाश का जन्म १४ मार्च १९५२ को देहरादून में हुआ।
आपने विधिवत लेखन १९८७ से आरंभ किया। आपकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं:- अधूरी तस्वीर (कहानी संग्रह) 1992, हादसों के बीच (उपन्यास, 1998), देस बिराना (उपन्यास, 2002), छूटे हुए घर (कहानी संग्रह, 2002), ज़रा संभल के चलो (व्यंग्य संग्रह, 2002)।
इसके अलावा आपने अंग्रेजी से कई पुस्तकों के अनुवाद भी किये हैं जिनमें ऐन फैंक की डायरी का अनुवाद, चार्ली चैप्लिन की आत्म कथा का अनुवाद, चार्ल्स डार्विन की आत्म कथा का अनुवाद आदि प्रमुख हैं। आपने अनेकों कहानी संग्रहों का संपादन भी किया है।
आपको प्राप्त सम्मानों में गुजरात साहित्य अकादमी का सम्मान, महाराष्ट्र अकादमी का सम्मान प्रमुख हैं।
आप अंतर्जाल को भी अपनी रचनात्मकता से समृद्ध कर रहे हैं।
आपने विधिवत लेखन १९८७ से आरंभ किया। आपकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं:- अधूरी तस्वीर (कहानी संग्रह) 1992, हादसों के बीच (उपन्यास, 1998), देस बिराना (उपन्यास, 2002), छूटे हुए घर (कहानी संग्रह, 2002), ज़रा संभल के चलो (व्यंग्य संग्रह, 2002)।
इसके अलावा आपने अंग्रेजी से कई पुस्तकों के अनुवाद भी किये हैं जिनमें ऐन फैंक की डायरी का अनुवाद, चार्ली चैप्लिन की आत्म कथा का अनुवाद, चार्ल्स डार्विन की आत्म कथा का अनुवाद आदि प्रमुख हैं। आपने अनेकों कहानी संग्रहों का संपादन भी किया है।
आपको प्राप्त सम्मानों में गुजरात साहित्य अकादमी का सम्मान, महाराष्ट्र अकादमी का सम्मान प्रमुख हैं।
आप अंतर्जाल को भी अपनी रचनात्मकता से समृद्ध कर रहे हैं।
भरते रहते हैं हम
उम्र की गुल्लक
अल्लम गल्लम चीजों से
कोई सिलसिला नहीं रहता
भरने का
तारीखें
पाठ
सिर फुट्टौवल
गलबहियां
न जाने क्या क्या भरता रहता है
उम्र की गुल्लक में
हमें याद ही नहीं रहता
कब उसमें डाली थी
दोस्ती की इक्कनी
मास्टर जी की मार का छेद वाला पैसा
या किसी काका के दुलार की अट्ठनी
सब कुछ भरता रहता है
उम्र की गुल्लक में
चाहे अनचाहे
जाने अनजाने
अच्छा लगता है
गुल्लक की फांक में झांकना
उसे हिलाना
सलाई से टटोलना
क्या पता
कोई खोया कलगीदार सिक्का
खुशियों भरा
छपाक से हमारी गोद में आ गिरे
उम्र की गुल्लक से
28 टिप्पणियाँ
अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंगुल्लक की फांक में झांकना
उसे हिलाना
सलाई से टटोलना
क्या पता
कोई खोया कलगीदार सिक्का
खुशियों भरा
छपाक से हमारी गोद में आ गिरे
उम्र की गुल्लक से
हृदयस्पर्शी कविता। सूरज जी बधाई। आपको कवि के रूप में पढना सुखद आश्चर्य है।
क्या पता
जवाब देंहटाएंकोई खोया कलगीदार सिक्का
खुशियों भरा
छपाक से हमारी गोद में आ गिरे
उम्र की गुल्लक से
अहसासों से भरी कविता अच्छी लगी।
"सूरजप्रकाश जी की कविता" बात अकल्पनातीत तो है लेकिन आपकी कविता को पढ कर मन हरा भरा हो गया। आपका इस विधा पर भी दखल है। आपकी अन्य कविताओं की भी प्रतीक्षा रहेगी।
जवाब देंहटाएंNice Poem Suraj ji.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
गुल्लक की फांक में झांकना
जवाब देंहटाएंउसे हिलाना
सलाई से टटोलना
क्या पता
कोई खोया कलगीदार सिक्का
खुशियों भरा
छपाक से हमारी गोद में आ गिरे
उम्र की गुल्लक से
दिल को छूती अद्भुत रचना सूरज जी को बधाई
अनुपम रचना। सूरज जी आपकी और भी कवितायें पढना चाहूंगी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता, बधाई।
जवाब देंहटाएंसूरज प्रकाश जी अपनी गुल्लक फोड कर और भी कविताओं का हमें आस्वादन करायें :)
जवाब देंहटाएंउम्र की गुल्लक से
जवाब देंहटाएंनहीं जाता कुछ भी बाहर
सब अंदर ही रहता है
फिर भी जाने कैसे
घटता रहता है
मुगालते में रहते हैं सब
कि अब बढ़ रहा है।
सूरज भाई]
जवाब देंहटाएंकविता ’उम्र की गुल्लक ’ के लिए बधाई.
चन्देल
हमें याद ही नहीं रहता
जवाब देंहटाएंकब उसमें डाली थी
दोस्ती की इक्कनी
मास्टर जी की मार का छेद वाला पैसा
या किसी काका के दुलार की अट्ठनी
ek marma sparshi kavita
मुझे बहुत अच्छी लगी ...जिंदगी को बयाँ कर रही है
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
एक बेहद खूबसूरत कविता। बचपन की भी याद दिला दी। बधाई सूरज भाई !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंगुल्लक की फांक में झांकना
उसे हिलाना
सलाई से टटोलना
क्या पता
कोई खोया कलगीदार सिक्का
खुशियों भरा
छपाक से हमारी गोद में आ गिरे
उम्र की गुल्लक से
बहुत सही कहा आपने........
"उम्र की गुल्लक" लाजवाब बिम्ब है......
बहुत ही सुन्दर कविता....आभार.
बहुत हीं खूबसूरत रचना है। सीधे-साधारण शब्दों में ज़िंदगी का सच बयां कर जाती है।
जवाब देंहटाएंसूरजप्रकाश जी को पढना हमेशा हीं सुखकर रहा है। आज भी कुछ अलग नहीं हुआ.....वही अनुभूति जो हर बार होती है।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक
आदरणीय सूरज प्रकाश जी की यह कविता उनकी कविता पर गहरी पकड की परिचायक है। उनकी पहली ही कविता नें उनके लिये मेरे मन में स्थित एक कथाकार का स्थापित मानदंड तोड दिया...वे और भी बहुत कुछ हैं।
जवाब देंहटाएंsaade, saaf, bhaavpoorn, दिल को छूते हुवे shabdon me rachi लाजवाब कृति है..............
जवाब देंहटाएंदिल से लिखी कविता को दिल से पढा।
जवाब देंहटाएंBHAI SURAJ PRAKASH JEE,AAP TO CHHUPE RUSTAM NIKLE.KAVITA MEIN
जवाब देंहटाएंBHEE ITNEE ZIADA PAKAD! WAH,KYAA
BAAT HAI!!
SURAJ PRAKASH JEE KEE KAVITA KO PADH KAR KAUN KAH SAKTA HAI KI KAVITA LOP HO RAHEE HAI?
जवाब देंहटाएंबचपन की बातें वैसे भी सबको अच्छी लगती हैं और सब अपने बचपन में वापस लौटने की इच्छा भी करते हैं, ऐसी ही इच्छा आपकी कविता से पूरी होती लगती है । कथाकार हैं तो क्या सिर्फ कथा ही लिखेंगे, कविता भी लिख सकते हैं और अच्छी कविता भी लिख सकते हैं, आप इसके सशक्त उदाहरण हैं ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसासों से भरी है आपकी कविता
जवाब देंहटाएंगहरा प्रभाव छोड़ती हुई,जिन्दगी का सच बयां करती हुई। बधाई आदरणीय सूरज प्रकाश जी को।
जवाब देंहटाएंवाह ...लीक से हट कर सुन्दर रचना..सचमुच उम्र की गुल्लक नायाब चीजों का खजाना है.
जवाब देंहटाएंGULLAK KA HAK AUR PAHCHAN TAB HOTI H JAB HUM GULLAK MEIN KHO JAYE.
जवाब देंहटाएंUMAR KI GULLAK MEIN DOSTI KI EKKKANI,
BAHU T KHOOB.
RAMESH SACHDEVA
hpsshergarh@gmail.com
सरस, सहज और सरल रच पाना बहुत कठिन होता है. आपने कसौटी त्रयी पर खरी रचना दी है बधाई.
जवाब देंहटाएंसूरज जी हिर्दय्स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंके लिए बधाई.
निशा
बहुत ही अच्छी रचना ...एक एक शब्द ,एक एक विराम, एक एक अन्तराल बहुत कुछ समेटे हुए था
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.