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लम्हे [क्षणिकायें] - दिगम्बर नासवा


साहित्य शिल्पीरचनाकार परिचय:-
मूलतः फरीदाबाद, हरियाणा के निवासी दिगंबर नासवा को स्कूल, कौलेज के ज़माने से लिखने का शौक है जो अब तक बना हुआ है।

आप पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट हैं और वर्तमान में दुबई स्थित एक कंपनी में C.F.O. के पद पर विगत ७ वर्षों से कार्यरत हैं।

पिछले कुछ वर्षों से अपने ब्लॉग "स्वप्न मेरे" पर लिखते आ रहे हैं।
1)
तुम पास न आए
मैं करीब न गया
चुपचाप गुज़र गयी थी वो शाम
रात की स्याही चुरा कर
वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
काश ये सफ़र यू ही चलता रहे

2)

जब चाँद पानी में उतर आये
तुम झील में चली आना
चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
तेरे माथे की बिंदिया में कैद
चांदनी मुस्कुरायेगी

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14 टिप्पणियाँ

  1. तेरे माथे की बिंदिया में कैद
    चांदनी मुस्कुरायेगी

    बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  2. चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
    धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
    तेरे माथे की बिंदिया में कैद
    चांदनी मुस्कुरायेगी

    बहुत सुन्दर लगी यह शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  3. रात की स्याही चुरा कर
    वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
    भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
    ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
    खूबसूरत कल्पना...बहुत सुन्दर .

    जवाब देंहटाएं
  4. रात की स्याही चुरा कर
    वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
    भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
    ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
    काश ये सफ़र यू ही चलता रहे
    दिगम्बर नासवा जी की रचनायें पढते हुये कहीं गहरे मे खो जाना पडता है उनकी खास बात ये है कि हर रचना बेजोद होती है बधाई और आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. DONO KSHANIKAAON KEE BHAVANUBHTI
    ATI SUNDAR HAI.BADHAAEE.

    जवाब देंहटाएं
  6. रात की स्याही चुरा कर
    वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
    भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
    ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
    काश ये सफ़र यू ही चलता रहे
    प्यार से लबरेज़ कविता पर क्या कहे.......यह स्याह राते क्यो सताती है .......काश वो लम्हा ही नही आता....काश यह नही होता ....भाई ....सिर्फ आहे है.

    इस चाँदनी के मुस्कुराने पर......

    जवाब देंहटाएं
  7. तेरे माथे की बिंदिया में कैद
    चांदनी मुस्कुरायेगी
    वाह! क्या अंदाज है।

    जवाब देंहटाएं
  8. तेरे माथे की बिंदिया में कैद
    चांदनी मुस्कुरायेगी

    --बहुत कोमल भावना!! वाह ..आनन्द से परिपूर्ण हुए.

    जवाब देंहटाएं
  9. चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
    धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
    तेरे माथे की बिंदिया में कैद
    चांदनी मुस्कुरायेगी ...


    बहुत बढिया

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर भावभरी क्षणिकायें हैं.

    जवाब देंहटाएं
  11. ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
    काश ये सफ़र यू ही चलता रहे

    बहुत सुन्दर भाव दिगम्बर भाई। आपको पढ़ना सुखद लगता है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी कविता है दिगंबर जी।

    जवाब देंहटाएं
  13. बड़े हीं रोचक और खूबसूरत बिंब हैं।
    चाँद और रात तो वैसे भी शायरों के लिए बहुत प्यारे होते हैं :)

    बधाई स्वीकारें।

    -विश्व दीपक

    जवाब देंहटाएं

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