
**********
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' नें नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा. बी.ई.., एम. आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ऐ.., एल-एल. बी., विशारद,, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है।
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि।
वर्तमान में आप म.प्र. सड़क विकास निगम में उप महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं।
तुम निडर थे
हम डरे हैं,
अपने भाई से.
समर्पित तुम,
दूर हैं हम
अपनी माई से.
साल भर
भूले तुम्हें पर
एक दिन 'सलिल'
सर झुकाए बन गए
विनत सलाम हैं...
तुम वचन औ'
कर्म को कर
एक थे जिए.
हमने घूँट
जन्म से ही
भेद के पिए.
बात या
बेबात भी
आपस में
नित लड़े.
एकता?
माँ की कसम
हमको हराम है...
आम आदमी
के लिए, तुम
लड़े-मरे.
स्वार्थ हित
नेता हमारे
आज हैं खड़े.
सत्ता साध्य
बन गयी,
जन-देश
गौड़ है.
रो रही कलम
कि उपेक्षित
कलाम है...
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
*******************
12 टिप्पणियाँ
तुम
जवाब देंहटाएंगुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
प्रहार करती कविता।
बहुत अच्छी कविता, बधाई
जवाब देंहटाएं।
सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंSATYAM,SHIVAM AUR SUNDARAM KO
जवाब देंहटाएंCHARITAARTH KARTEE HUEE KAVITA.
BADHAAEE ACHARYA JEE.
चंद्रशेखर आजाद जिस आजादी के लिये कुर्बान हुए उसकी कीमत हमने रखी ही नहीं।
जवाब देंहटाएंकविता आईना दिखाती है।
जवाब देंहटाएंHAKIKAT KO BYA KARTI KAVITA H
जवाब देंहटाएंAAPKA AABHAR.
SAMJHNE WALE KE LIYE YEH BAHUT H.
SATIK AUR SALIL H.
AABHAR SAWIKAR KARE.
RAMESH SACHDEVA
DIRECTOR
HPS SR. SEC. SCHOOL
SHERGARH, MANDI DABWALI
hpsdabwali07@gmail.com
सशक्त रचना जिसका एक एक शब्द सार्थक है।
जवाब देंहटाएंआम आदमी
जवाब देंहटाएंके लिए, तुम
लड़े-मरे.
स्वार्थ हित
नेता हमारे
आज हैं खड़े.
सत्ता साध्य
बन गयी,
जन-देश
गौड़ है.
रो रही कलम
कि उपेक्षित
कलाम है...
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
काश कि आपकी कविता में अंतर्निहित भावना जन जन तक पहुँचे।
Nice Poetry on Ajad-Jayanti.
जवाब देंहटाएंसलिल साब को प्रणाम इस अनूठी रचना पर !
जवाब देंहटाएंतुम
जवाब देंहटाएंगुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
यही शब्द इतना कुछ कह रहे हैं कि और कुछ कहने की जरूरत नहीं है... यही गंभीर लेखन का एक सटीक उदाहरण है
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.