
नीरज गोस्वामी का जन्म 14 अगस्त 1950 को जम्मू में हुआ। इंजिनियरिंग स्नातक नीरज जी लगभग 30 वर्षों के कार्यानुभव के साथ वर्तमान में भूषण स्टील मुम्बई में असिसटैंट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं।
भीड़ में सबको नज़र आने लगे
सोच को अपनी बदल कर देख तू
मन तेरा गर यार मुरझाने लगे
बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग तो ताने लगे
वो मेहरबां है तभी करना यकीं
जब बिना मांगे ही सब पाने लगे
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग हकलाने लगे
खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
नीर मेरे नैन बरसाने लगे
23 टिप्पणियाँ
सोच को अपनी बदल कर देख तू
जवाब देंहटाएंमन तेरा गर यार मुरझाने लगे
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
वाह, बहुत अच्छी ग़ज़ल।
बहुत अच्छी ग़ज़ल, बधाई।
जवाब देंहटाएंKHAAR TERE PAANV MEIN "NEERAJ"CHUBHE
जवाब देंहटाएंNEER MERE NAIN
BARSAANE LAGE
BAHUT KHOOB NEERAJ JEE! ACHCHHEE GAZAL KE LIYE BADHAAEE.
good one.
जवाब देंहटाएंAvaneehs Tiwari
बहुत अच्छी ग़ज़ल नीरज जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंBahut sundar gazal...badhai.
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जवाब देंहटाएंHindi bookmarking and social networking sites gives more visitors and great traffic to your blog.
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Nice GaZal.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
जवाब देंहटाएंअब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
Ati Sundar !!
waah neerajji,
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
आदरणीय नीरज जी के गज़ल्गोई के बारे अब मैं भला क्या कह सकता हूँ हर शे'र बेहद बारीक और नाजुक हैं... मतले के बारे में जीतनी तारीफ़ करी जाए वो कम ही है... और ये शे'र
जवाब देंहटाएंसच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग हकलाने लगे
और मक्ता खुद खड़े होकर दाद देने को कह रहा है साहित्य शिल्पी को इस नायब ग़ज़ल को पढ़वाने के लिए दिल से आभार...
अर्श
वो मेहरबां है तभी करना यकीं
जवाब देंहटाएंजब बिना मांगे ही सब पाने लगे
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
वाह neeraj जी ............ कमाल करते हैं आप अपनी हर ग़ज़ल में ............ सीधे दिल पे vaar करते हैं .......... बहुत खूब ......
सुन्दर शब्द से सजी ,
जवाब देंहटाएंनीरज भाई साहब की ग़ज़लें
हमेशा पसंद आतीं हैं
आज
साहित्य शिल्पी के मंच पर
उन्हें पढ़ना ,
सुखद रहा
- लावण्या
waah..waah...
जवाब देंहटाएंसोच को अपनी बदल कर देख तू
जवाब देंहटाएंमन तेरा गर यार मुरझाने लगे
वाह ! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
नीरज जी, बहुर खूबसूरत ग़ज़ल है. ये शेर बहुत पसंद आये:
जवाब देंहटाएंमतला भी बहुर ख़ूब है.
गीत तेरे जब से हम गाने लगे
भीड़ में सबको नज़र आने लगे
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
नीर मेरे नैन बरसाने लगे
बधाई.
नीरज जी आपकी यह गजल भा गयी मन को।
जवाब देंहटाएंhar ek sher kamaal dhmaal hai
जवाब देंहटाएंvenus kesari
मजेदार! शानदार!
जवाब देंहटाएंकह गए हैं नीरज कुछ ऐसी गजल
जवाब देंहटाएंबैठ करके सुमन गुनगुनाने लगे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सोच को अपनी बदल कर देख तू
जवाब देंहटाएंमन तेरा गर यार मुरझाने लगे ।।
वाह्! लाजवाब्!!
भाई नीरज जी को इस बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाई!!!
गीत तेरे जब से हम गाने लगे
जवाब देंहटाएंभीड़ में सबको नज़र आने लगे
बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग तो ताने लगे
नीरज जी! बेहतरीन गजल...
बधाई !
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.