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वो पुरानी बात घर में छोड़ आया [गज़ल] - धीरेन्द्र सिंह



रचनाकार परिचय:-
धीरेन्द्र सिंह का जन्म १० जुलाई १९८७ को छतरपुर जिले के चंदला नाम के गाँव में हुआ था| आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चंदला में ही पूरी की। वर्तमान में आप इंदौर में अभियन्त्रिकी में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं| कविताएँ लिखने का शौक आपको अल्पायु से ही था, किन्तु पन्नो में लिखना कक्षा नवीं से प्रारंभ किया| आप हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में रचनाएं लिखते हैं। आपका 'काफ़िर' तखल्लुस है|

वो पुरानी बात घर में छोड़ आया
याद के कूचे शहर में छोड़ आया

आरजू वो, जुस्तुजू वो, कूबकू जो
तोड़ के अपनी नज़र में छोड़ आया

रात भर मैं बाम पर जागा हुआ था
नींद को लम्बे सफ़र में छोड़ आया

देर तक मैं भी वहाँ ठहरा नहीं था
मैं उसे, राहेगुज़र में छोड़ आया

आज दीवारें उदासी हैं , मना लो
इल्तिजा उसके दहर में छोड़ आया

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5 टिप्पणियाँ

  1. वो पुरानी बात घर में छोड़ आया
    याद के कूचे शहर में छोड़ आया
    .......

    एक उम्दा गज़ल ... शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  2. देर तक मैं भी वहाँ ठहरा नहीं था
    मैं उसे, राहेगुज़र में छोड़ आया
    bhut behtreen mitr meri badhaayi swikaar kare saadar
    praveen pathik
    9971969084

    जवाब देंहटाएं
  3. नींद को लम्बे सफ़र में छोड़ आया

    नींद को लम्बे सफ़र में छोड़ आया

    bahut khoob

    जवाब देंहटाएं
  4. वो पुरानी बात घर में छोड़ आया
    याद के कूचे शहर में छोड़ आया

    अच्छी शायरी है।

    जवाब देंहटाएं

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