
मूलतः फरीदाबाद (हरियाणा) के निवासी दिगंबर नासवा को स्कूल, कौलेज के ज़माने से लिखने का शौक है जो अब तक बना हुआ है।
आप पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट हैं और वर्तमान में दुबई स्थित एक कंपनी में C.F.O. के पद पर विगत ७ वर्षों से कार्यरत हैं।
पिछले कुछ वर्षों से अपने ब्लॉग "स्वप्न मेरे" पर लिखते आ रहे हैं।
१)
तुम पास न आए
मैं करीब न गया
चुपचाप गुज़र गयी थी वो शाम
रात की स्याही चुरा कर
वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
ढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
काश ये सफ़र यू ही चलता रहे
२)
जब चाँद पानी में उतर आये
तुम झील में चली आना
चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
तेरे माथे की बिंदिया में कैद
चांदनी मुस्कुरायेगी
12 टिप्पणियाँ
SARAS AUR SAJEEV BHAVAABHIVYAKTI
जवाब देंहटाएंKE LIYE SHRI DIGAMBAR NASWA JEE KO
MEREE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA
भटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
जवाब देंहटाएंढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
काश ये सफ़र यू ही चलता रहे
बहुत ही प्यारे भाव संजोये है नासवा साहब ! दूरसे वाले छंद को आप एक बड़ी कविता में ढाल सकते है !
badhiyaa !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति, आभार्
जवाब देंहटाएंजब चाँद पानी में उतर आये
जवाब देंहटाएंतुम झील में चली आना
चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
तेरे माथे की बिंदिया में कैद
चांदनी मुस्कुरायेगी
बहुत खूब।
तुम पास न आए
जवाब देंहटाएंमैं करीब न गया
चुपचाप गुज़र गयी थी वो शाम
रात की स्याही चुरा कर
वक़्त ने लिख दिया था तेरा नाम
जब प्यार होता है तो ऐसा ही होता है .......इतने खुब्सूरत एहसास है कि जिसे लब्ज़ व्यान नही कर पा रहे है सिर्फ उस स्याह रात् मे मै डुबे जा रहा हूँ...........मै तो बस खो सा गया हूँ
........
जब चाँद पानी में उतर आये
तुम झील में चली आना
चांदनी तेरे अक्स में उतर आएगी
धीरे धीरे ये रात तो ढल जायेगी
तेरे माथे की बिंदिया में कैद
चांदनी मुस्कुरायेगी
इतने कोमल भाव है कि सिर्फ महबूब ही दिख रहा है ........और क्या कहे .......मै तो इसी ख्याल का कायल हूँ आपका............मुझे आपकी सभी रचानाये इतने कोमल और खुब्सूरत लगते है की बता नही सकता है कई बार मै डुब ही जाता हूँआपकी रचनाओ मे .............बहुत देर तक उससे बाहर नही निकल पाता हूँ........
बेहद खूबसूरत भाव लिए हैं हैं दोनों रचनाये कोमलता से दिल को छु जाती है
जवाब देंहटाएंभटक रहा हूँ आज भी उन लम्हों में
जवाब देंहटाएंढूंढ रहा हूँ तेरा नाम
काश ये सफ़र यू ही चलता रहे
सुन्दर संवेदनायें।
दिगम्बर जी,
जवाब देंहटाएंप्यार के कोमल भावों से सजी हुई रचनायें अपने मोहपाश में बांध लेती हैं।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सुन्दर कोमल मनोभाव लिये रचना... आभार
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी,
जवाब देंहटाएंआपकी दोनों क्षणिकाएं मन मोह लेने वाली हैं.दूसरी रचना तो शब्द- चित्र की तरह प्रतीत होती है.अति सुन्दर अभिव्यक्ति!
किरण सिन्धु.
बहुत कोमल भाव की रचना। खासकर अंतिम क्षणिका। वाह दिगम्बर भाई।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.