
माथे पर
झुर्रियाँ झलकने लगी हैं
ये चिन्ता की हैं
या उम्र की... पर
चेहरे पर प्रौढ़ता का
अहसास कराती हैं ये
हर बुजुर्ग के चहरे पर
बल खाते हुए देखी जा सकती हैं
यह सुखों का कटाव है
या दुखों का हिसाब
कहा नहीं जा सकता
किसी बूढ़ी माँ के ललाट पर
संवेदना का स्वर उचारती
काव्य पंक्तियाँ ज़रूर दिखती हैं
बूढ़े बाप के फ़लक पर
ज़िन्दगी का जोड़-घटाव
ऋण-धन का हो या
दुख-दर्दों का पड़ाव
पढ़ा जा सकता है
झुर्रियाँ
जीवन-इतिहास की लिपिबद्ध कहानी हैं
क्या आपने कभी पढ़ने की कोशिश की है?
9 टिप्पणियाँ
झुर्रियाँ
जवाब देंहटाएंजीवन-इतिहास की लिपिबद्ध कहानी हैं
क्या आपने कभी पढ़ने की कोशिश की है?
मन को छू जाने वाली कविता।
बहुत अच्छी कविता, बधाई।
जवाब देंहटाएंकिसी बूढ़ी माँ के ललाट पर
जवाब देंहटाएंसंवेदना का स्वर उचारती
काव्य पंक्तियाँ ज़रूर दिखती हैं
बूढ़े बाप के फ़लक पर
ज़िन्दगी का जोड़-घटाव
ऋण-धन का हो या
दुख-दर्दों का पड़ाव
पढ़ा जा सकता है
परिपक्व और हृदय स्परशी कविता के लिये आभार।
कवि की संकेदना पर बारीक पकड है।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी टिप्पणी में "संवेदना" पढें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुति करी है आपनी भावनाओ का .........बधाई
जवाब देंहटाएं........
जवाब देंहटाएंकिसी बूढ़ी माँ के ललाट पर
संवेदना का स्वर उचारती
काव्य पंक्तियाँ ज़रूर दिखती हैं
बूढ़े बाप के फ़लक पर
ज़िन्दगी का जोड़-घटाव
संवेदना की .... मर्मस्पर्शी अनुभूति ..... सुन्दर रचना
"जीवन-इतिहास की लिपिबद्ध कहानी हैं
जवाब देंहटाएंक्या आपने कभी पढ़ने की कोशिश की है?"
बड़ी सरल भाषा में आप ने बहुत ही बारीक और गूढ़ प्रश्न पूछा है | मैं कायल हुआ आप का आज से. :)
झुर्रियाँ
जवाब देंहटाएंजीवन-इतिहास की लिपिबद्ध कहानी हैं
क्या आपने कभी पढ़ने की कोशिश की है?
....Behad sundar abhivyakti...!!
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.