
अजय यादव अंतर्जाल पर सक्रिय हैं तथा आपकी रचनायें कई प्रमुख अंतर्जाल पत्रिकाओं पर प्रकाशित हैं।
आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में हैं।
सुरमयी आँखों में हँसती, यार की; पहली किरन।
हमने देखी है चमकती, प्यार की पहली किरन॥
खिल-खिलाकर फूल हँसते, खुशबुयें लाती हवा;
पलकें बिछाते रास्ते सब, मुसकराती हर दिशा;
क्या है मुहब्बत की यही, पहली खुमारी की छुअन।
झील के पानी में हिलतीं, आकाश की परछाइयाँ;
दिल में उमंगों की नयी लहरों का जैसे आसमाँ;
है फैलता जाता, डुबोता वर्जना का हर चलन।
उन अधखुली आँखों में देखी, इश्क़ की मस्ती वही;
पीर-ओ-मुर्शिद ढूँढ़ते फिरते हैं जिसको हर गली;
मैंने खुदा को पा लिया औ दिल को रखा है रेहन।
11 टिप्पणियाँ
उन अधखुली आँखों में देखी, इश्क़ की मस्ती वही;
जवाब देंहटाएंपीर-ओ-मुर्शिद ढूँढ़ते फिरते हैं जिसको हर गली;
मैंने खुदा को पा लिया औ दिल को रखा है रेहन।
इस तबीयत की कविता बडे दिनों बाद साहित्य शिल्पी पर आयी।
मनभावन।
जवाब देंहटाएंकविता का प्रवाह और भावों की सुन्दरता देखते ही बनती है।
जवाब देंहटाएंNice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
ACHCHHE BHAVON KE SAATH AGAR CHHAND
जवाब देंहटाएंKA PRAYOG BHEE ACHCHHA HOTA TO
KAVITA JAANDAR BAN JAATEE.KAEE
PANKTIYON MEIN CHHAND KAA NIRVAH
ACHCHHEE TARAH NAHIN HUA HAI .JAESE
UN ADHKHULEE AANKHON MEIN DEKHEE
ISHQ KEE MASTEE VAHEE
" UN" SHABD KEE 2 MAATRAAYEN
FALTOO HAIN.ISEE TARAH AUR BHEE AESEE KAEE DODHPOORN PANKTIYAN HAIN.
YAH MAINE IS LIYE LIKHAA HAI
KI KOEE KAVITA CHHAND MEIN KAHEE
JAAYE TO USKAA PRAYOG SAHEE HONA
CHAHIYE.KSHMAA SAHIT.
प्राण जी की बात भी ध्यान देने योग्य है। कविता अच्छी है।
जवाब देंहटाएंवाह !!! भावपूर्ण प्रवाहमयी अतिसुन्दर प्रेमगीत....
जवाब देंहटाएंउन अधखुली आँखों में देखी, इश्क़ की मस्ती वही;
जवाब देंहटाएंपीर-ओ-मुर्शिद ढूँढ़ते फिरते हैं जिसको हर गली;
VAAH .. KYA BAAT KAHI HAI ... BAHOOT HI SUNDAR SHABD SANSAAR AI AAPKA.....
एक-दो जगह मात्राओं के कारण प्रवाह में छोटा सा 'अटकाव' आया है लेकिन फिर भी पूरी रचना भावों से ओत-प्रोत, आकर्षक और उचित शब्द-चयन और सुन्दर अभिव्यक्ति से अच्छी रचना बन गयी है. एक अच्छी रचना है.
जवाब देंहटाएंकविता को पढ़ने और अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराने के लिये सभी पाठकों का हार्दिक आभार! विशेष रूप से आदरणीय प्राण शर्मा जी का आभारी हूँ जिन्होंने कविता की कुछ खामियों को इंगित किया। आप जैसे अनुभवी और सिद्धहस्त रचनाकारों का मार्गदर्शन मिलता रहे तो शायद मैं अपनी इन तुकबंदियों को कविता कहने लायक बना सकूँ।
जवाब देंहटाएंपुनश्च आभार!
प्रेम भाव में डूबी हुई एक दिलकश रचना.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.