
कुरकुरे गुनगुने से सपने
कुछ पुरानी गीली यादों के
वर्षा जलाती है
मन में स्नेह दीप
गर्माहट इसकी
देह में उर्जा का संचार करती है
अभिलाषा
तुम्हारी निगाहों के छुअन की
बलवती हो जाती है
वर्षा देती है जन्म
एक अमर प्रेम को
बूंद - धरती ,पात - हरितमा
बिजली और बादल
के प्रणय की साक्षी होती है
वर्षा बरसती है घर में
धो देती है काजल
आंसुओं में घुल
नमकीन हो जाती है
वर्षा
भर देती है नदी ,
कच्चे घडे और प्रेम के बीच
डुबो देती हैं उन्हें
चिर जीवित करने के लिए
वर्षा दे जाती है
कुरकुरे गुनगुने से सपने
पर नींद छीन लेती है
7 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छी रचना है रचना जी।
जवाब देंहटाएंNice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
रचना बढ़िया कविता--
जवाब देंहटाएंबधाई.
sundarv rachna hai .....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना....
जवाब देंहटाएं.
बधाई... रचना जी
वर्षा
जवाब देंहटाएंभर देती है नदी ,
कच्चे घडे और प्रेम के बीच
डुबो देती हैं उन्हें
चिर जीवित करने के लिए
bahut sunder bhav
badhai
mahesh
aap sabhi ka dil ki gahraiyon se dhnyavad.
जवाब देंहटाएंrachana
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