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जिन्नागिरी के पेंच [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक

पाकिस्तानियों का दिल खुश हो गया होगा। गांधीगिरी की बहुत चर्चा हो गयी थी। पाकिस्तान वाले अब राहत महसूस कर सकते हैं कि अब जिन्नागिरी चर्चा में है। गांधीगिरी जोड़ने का काम करती रही है, अब जिन्नागिरी की बारी है, तोड़ने का जिक्र होगा। महान आत्माएं ऐसी ही होती हैं, जाने के कई सालों बाद तक करामात दिखाती रहती हैं। बंटवारे के काम में जिन्नाजी इतने माहिर थे, कि जाने से पहले देश बंटवा दिया, अब जाने के कई सालों बाद पार्टियां बंटवा रहे हैं। जिन्ना साहब मरकर भी नहीं मरे हैं।

जिन्नागिरी के तमाम आयाम इस प्रकार हैं-

1- मुहावरे बदल दिये जाने चाहिए। दो भाईयों के बीच बंटवारा हो, तो कहना चाहिए कि भाई अब तक तो गांधीगिरी में चल रहे थे, अब जिन्नागिरी पर उतर आये हैं। कल दोनों के बीच जिन्नागिरी हो गयी। या जिनका बंटवारा हो चुका है, उनके बुजुर्गों को यह कह देना चाहिए कि भई एक बार जब तुम दोनों के बीच जिन्नागिरी हो गयी, तो फिर झगड़ा काहे का,तुम अपने घर में खुश वो अपने घर में खुश। सच्ची जिन्नागिरी तो यही है कि बंटवारे को बाद सब चैन से रहें। हां पाकिस्तान इस रुल का अपवाद है। वह बंटवारे के बाद चैन से नहीं है, उसे भारत का चैन ठीक नहीं लगता। यह जिन्नागिरी की सही स्पिरिट नहीं है। कम से कम जिन्नागिरी के बाद तो सब को चैन से रहना चाहिए।


2- पार्टियां टूटें, बंटे, तो यही कहा जाना चाहिए कि पार्टियां जिन्नाइज्ड हो गयी हैं। जो पार्टी कभी नहीं बंटी हो, उसके बारे में कहा जाना चाहिए भई पार्टी हो तो ऐसी, आज तक जिन्नाइज्ड नहीं हुई। भगवान करे, जिन्ना साहब की नजर उस पर ना लगे। जो पार्टियां कभी ना बंटी हों, उनके बारे में कहा जाना चाहिए कि बड़ी शुभ घड़ी में शुरु हुई थीं ये पार्टियां। लगता है कि पार्टियों की कुंडली में जिन्नायोग दूर दूर तक नहीं है। ज्योतिष में जिन्ना योग पढ़ाया जाना चाहिए और बताया जाना चाहिए कि जिन्ना योग किस हद तक प्रबल है। प्रबल जिन्ना योग की शक्ल में पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं को पार्टी के बंटवारे के लिए तैयार रहना चाहिए।

3- कोई पार्टी कई बार बंटे, जैसे जनता दल टाइप, तो उसके बारे में कहा जाना चाहिए कि जनता दल जिन्ना गति को प्राप्त हो गया है। ऐसी पार्टियों के हेडक्वार्टर में जिन्ना साहब की फोटू होनी चाहिए। जिस पार्टी को बंटवाना हो, उसकी दीवारों पर जिन्ना साहब के फोटुओं लगा दिये जाने चाहिए।

4- जो पार्टियां बंटवारा नहीं चाहतीं, उनके दफ्तर के कई किलोमीटर दूर तक जिन्ना का फोटू नही होना चाहिए।

5- गंडे तावीजों की दुकानों के जिन्ना साहब के लाकेट बिकने शुरु हो जाने चाहिए। किसी के घर में बंटवारा कराना हो, तो वहां के बंदों को जिन्ना साहब के लाकेट गिफ्ट किये जाने चाहिए।

6- जो दंपत्ति शादी के बाद कभी भी अलग नहीं होना चाहते, उन्हे जिन्ना की तस्वीर को उलटा करके उसके चारों ओर फेरे लगाने चाहिए। जिन्नागिरी का साया उन्हे परेशान नहीं करेगा।

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5 टिप्पणियाँ

  1. जिन्नागिरि शब्द भी ढूंढ कर निकाला है आलोक जी, इसका कॉपीराईट करा लीजिये

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  2. ऐसा लगता है जिन्नागिरी शब्द शब्दकोष में जल्द ही शामिल कर लिया जाएगा |

    अच्छा व्यंग है |

    अवनीश तिवारी

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  3. कसा व्यंग्य है आलोक जी तो वैसे भी इस विधा के महारथी हैं

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  4. जिन्नाजी का जिन्न बहुत खतरनाक है.. जिसके सिर मंडराने लगता है... वह प्रसिद्ध हो जाता है .. हा हा

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