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करना जरुरी है [गज़ल]- नीरज गोस्वामी



रचनाकार परिचय:-

नीरज गोस्वामी का जन्म 14 अगस्त 1950 को जम्मू में हुआ। इंजिनियरिंग स्नातक नीरज जी लगभग 30 वर्षों के कार्यानुभव के साथ वर्तमान में भूषण स्टील मुम्बई में असिसटैंट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं।

कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरुरी है
समंदर ओक में अपनी, कभी भरना जरुरी है

उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है

तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है

किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है

दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है

कहीं है भेद "नीरज" आपके कहने व करने में
छिपाना आंख को सबसे, कहां वरना जरुरी है
*********

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19 टिप्पणियाँ

  1. दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
    ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है

    ग़ज़ल आपके न ही केवल मन को भाते है अपितु एक प्रेरणा भी देते है.इस बार भी आपकी बेहतरीन कृति....बहुत बढ़िया लगा हमे...

    बधाई...नीरज जी..बधाई!!!

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  2. उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
    दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है

    नीरज जी आपको पढ कर मन नहीं भरता।

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरुरी है
    समंदर ओक में अपनी, कभी भरना जरुरी है

    तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
    हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है

    दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
    ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है

    सभी अच्छे शेर।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं !
    बेहद उम्दा ग़ज़ल

    यह वाला शेर कुछ अलहदगी लिए यादगार बन पड़ा है !
    बहुत ही प्यारा लगा :
    'किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
    किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है'

    आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
    दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है

    तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
    हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है

    वाह नीरज जी, एक-एक शब्द कुछ कह रहा है !

    जवाब देंहटाएं
  6. कहीं है भेद "नीरज" आपके कहने व करने में
    छिपाना आंख को सबसे, कहां वरना जरुरी है

    वाह

    जवाब देंहटाएं
  7. दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
    ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है



    बहुत खूब...सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने

    जवाब देंहटाएं
  8. नीरज जी,
    बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है.प्रत्येक पंक्ति अपने आप में भावपूर्ण है.एक उत्तम प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.ईश्वर करे इस्पाती जमीन इसी तरह और गज़लों के पौधे उगते रहें!
    ------किरण सिन्धु.

    जवाब देंहटाएं
  9. नीरज जी की कविता हो समीक्षा हो या गज़ल हो हमेशा लाजवाब होती है और ये गज़ल तो दिल छू गयी
    कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरुरी है
    समंदर ओक में अपनी, कभी भरना जरुरी है

    उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
    दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
    बहुत सुन्दर अद्भुत नीरज जी को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. मंत्रमुग्ध करती अतिसुन्दर रचना जो सकारात्मकता से जीना भी सिखाती है और सुन्दर भावों से ह्रदय को विभोर भी करती है... वाह !!!

    जवाब देंहटाएं
  11. उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
    दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
    वाह बहुत सुन्दर भाव और ग़ज़ल पढ़कर फिर नीरज भाई की लेखनी को सलाम करने को जी चाह रहा है
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  12. नीरज जी,
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल-

    उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
    दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है

    दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
    ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
    बहुर -बहुत बधाई--

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छा लिखते हैं भाई नीरज गोस्वामी जी।

    जवाब देंहटाएं
  14. सभी शेर बेहद उम्दा

    बहुत सुन्दर ग़ज़ल

    venus kesari

    जवाब देंहटाएं
  15. कहीं है भेद "नीरज" आपके कहने व करने में
    छिपाना आंख को सबसे, कहां वरना जरुरी है

    गजल जैसे जैसे आगे बढती है..शेर एक से एक गहरे होते जाते हैं..अंत मे आ कर आखिरी शेर पर अटक गया..शुक्र है कि मक़ता था..इससे आगे होता तो बढ़ना मुश्किल होता..मस्त!

    जवाब देंहटाएं
  16. नीरज
    बधाई हो इस रचनात्मक पहलु के लिए जिस में सुंदर शब्दों से सजी है ग़ज़ल!!!!

    दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
    ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है


    इबादत की तरह तहरीर लिख दी है जो अब तुमने
    उसे नीरज यहाँ आकर के बस पढना ज़रूरी है

    देवी नागरानी

    जवाब देंहटाएं

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