

4 जून 1958 को सुलतानपुर (उ.प्र.) में जन्मे देवमणि पांडेय हिन्दी और संस्कृत में प्रथम श्रेणी एम.ए. हैं।
अब तक आपके दो काव्यसंग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- "दिल की बातें" और "खुशबू की लकीरें"।
पांडेय जी ने फ़िल्म 'पिंजर', 'हासिल' और 'कहाँ हो तुम' के अलावा कुछ सीरियलों में भी गीत लिखे हैं। फ़िल्म 'पिंजर' के गीत "चरखा चलाती माँ" को वर्ष 2003 के लिए 'बेस्ट लिरिक आफ दि इयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
ख़यालों में तुम्हारे जब कभी मैं डूब जाता हूं
जिधर देखूं नज़र के सामने तुमको ही पाता हूं
मोहब्बत दो दिलों में फ़ासला रहने नहीं देती
मैं तुमसे दूर रहकर भी तुम्हें नज़दीक पाता हूं
किसी लम्हा किसी भी पल ये दिल तनहा नहीं होता
तेरी यादों के फूलों से मैं तनहाई सजाता हूं
तेरी चाहत का जादू चल गया है इस तरह मुझ पर
ख़ुशी में रक्स करता हूं मैं ग़म में मुसकराता हूं
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
कोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
मेरे दिल पर मेरे एहसास पर यूं छा गए हो तुम
तुम्हें जब याद करता हूं मैं सब कुछ भूल जाता हूं
मेरी आँखों में तू ही तू मेरी धड़कन में तू ही तू
मैं हर इक सांस अपनी नाम तेरे लिखता जाता हूं
जिधर देखूं नज़र के सामने तुमको ही पाता हूं
मोहब्बत दो दिलों में फ़ासला रहने नहीं देती
मैं तुमसे दूर रहकर भी तुम्हें नज़दीक पाता हूं
किसी लम्हा किसी भी पल ये दिल तनहा नहीं होता
तेरी यादों के फूलों से मैं तनहाई सजाता हूं
तेरी चाहत का जादू चल गया है इस तरह मुझ पर
ख़ुशी में रक्स करता हूं मैं ग़म में मुसकराता हूं
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
कोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
मेरे दिल पर मेरे एहसास पर यूं छा गए हो तुम
तुम्हें जब याद करता हूं मैं सब कुछ भूल जाता हूं
मेरी आँखों में तू ही तू मेरी धड़कन में तू ही तू
मैं हर इक सांस अपनी नाम तेरे लिखता जाता हूं
14 टिप्पणियाँ
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
जवाब देंहटाएंकोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
बहुत खूब।
मेरे दिल पर मेरे एहसास पर यूं छा गए हो तुम
जवाब देंहटाएंतुम्हें जब याद करता हूं मैं सब कुछ भूल जाता हूं
मेरी आँखों में तू ही तू मेरी धड़कन में तू ही तू
मैं हर इक सांस अपनी नाम तेरे लिखता जाता हूं
श्रंगार रस से भरे पूरे शेर।
ख़यालों में तुम्हारे जब कभी मैं डूब जाता हूं
जवाब देंहटाएंजिधर देखूं नज़र के सामने तुमको ही पाता हूं
मोहब्बत दो दिलों में फ़ासला रहने नहीं देती
मैं तुमसे दूर रहकर भी तुम्हें नज़दीक पाता हूं
किसी लम्हा किसी भी पल ये दिल तनहा नहीं होता
तेरी यादों के फूलों से मैं तनहाई सजाता हूं
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
कोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
ख़यालों में तुम्हारे जब कभी मैं डूब जाता हूं
जिधर देखूं नज़र के सामने तुमको ही पाता हूं
मोहब्बत दो दिलों में फ़ासला रहने नहीं देती
मैं तुमसे दूर रहकर भी तुम्हें नज़दीक पाता हूं
किसी लम्हा किसी भी पल ये दिल तनहा नहीं होता
तेरी यादों के फूलों से मैं तनहाई सजाता हूं
तेरी चाहत का जादू चल गया है इस तरह मुझ पर
ख़ुशी में रक्स करता हूं मैं ग़म में मुसकराता हूं
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
कोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
बहुत खूब...
तेरी चाहत का जादू चल गया है इस तरह मुझ पर
जवाब देंहटाएंख़ुशी में रक्स करता हूं मैं ग़म में मुसकराता हूं
मज़ा आ गया
Nice Gazal.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
एक खूबसूरत ग़ज़ल है. बधाई.
जवाब देंहटाएंमहावीर शर्मा
मंथन
मेरी आँखों में तू ही तू मेरी धड़कन में तू ही तू
जवाब देंहटाएंमैं हर इक सांस अपनी नाम तेरे लिखता जाता हूं
prem aur man ko mohne waali gazal hai Dev ji ki ..........
देवमणि पाण्डेय जी कि ग़ज़ल का एक एक शेर असर करता है. बधाई !
जवाब देंहटाएंसुभाष नीरव
मेरे दिल पर मेरे एहसास पर यूं छा गए हो तुम
जवाब देंहटाएंतुम्हें जब याद करता हूं मैं सब कुछ भूल जाता हूं
बहुत अच्छी ग़ज़ल, बधाई!!!
बहुत खूबसूरत. बेहतरीन ग़ज़ल. शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..अच्छी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल है
जवाब देंहटाएंपढ़वाने के लिए आभार
वीनस केसरी
bahut achchhee rachna.
जवाब देंहटाएंदेवमणि जी बहुत प्यारी ग़ज़ल है. मनभावनी.
जवाब देंहटाएंबधाई.
तुझे छूकर तेरी ख़ुशबू हवा जब लेके आती है
कोई दिलकश ग़ज़ल लिखता हूं लिखकर गुनगुनाता हूं
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